Wednesday - 30 October 2024 - 2:35 AM

चंचल की डायरी : अलविदा भाई अजय सिंह

(वरिष्ठ पत्रकार और कालांतर में केंद्र में मंत्री रहे अजय सिंह का आज देहांत हो गया । अजय सिंह को याद कर रहे हैं चंचल)

चंचल

वी पी सिंह सरकार में अजय सिंह रेल राज्य मंत्री बन कर रेल भवन आये । जॉर्ज फ़र्नान्डिस रेल मंत्री थे । अजय के बहैसियत मंत्री आने की सूचना हमे यस यन सिंह जो प्रधानमंत्री वी पी सिंह के निजी सचिव रहे ,उनसे मिल चुकी थी ।

अजय सिंह से हम लोंगो की दोस्ती पहले से ही रही । वे लोकदल में रहे । चौधरी चरण के प्रिय रहे । लोक दल के अखबार ‘ विशाल भारत ‘ ( शायद यही नाम था ) का सम्पादन कर रहे थे । शरद यादव , के सी त्यागी , भाई राजेन्द्र चौधरी, यह खादिम भी उसमे शामिल था , अजय सिंह इसके हिस्से में आते थे । शांत , मुस्कुराते हुए ,संभ्रांत कम बोलने वाले । दोस्तबाज बहुत बढ़िया ।

रेल भवन में हम तीन चार लोग बैठे जार्ज के साथ दोपहर का खाना खा रहे थे । अचानक जार्ज ने पूछा –

– अजय कैसा रहेगा ?

किसी ने जार्ज से पूछा – कौन अजय ?

जवाब हमने दिया – रेल को एक अच्छा जूनियर मंत्री मिलेगा । ‘ जार्ज हंसे – तुम्हे किसने बताया ? हमने बता दिया । चूंकि अजय सिंह आगरा से थे और राज बब्बर आगरा से उतरने की तैयारी में थे , अजय सिंह को यह जानकारी थी कि राज और हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं इसलिए एक हल्की सी दूरी बनी रहती थी ।

अजय सिंह और हम रेल विभाग में अच्छे दोस्त की तरह वक्त काटने लगे । कई कहानियां हैं । एक दिलचस्प कहानी है जो रेल भवन में उस वक्त बहुत मकबूल हुई ।

रेल मंत्री या उनके सलाहकारों जो पेरोल पर हों उन्हें यह हक हासिल होता है कि रेल में एन वक्त पर सीट या बर्थ आरक्षित करा सकते हैं उसे HQ कहते हैं । हेड क्वार्टर कोटा । प्रसिद्ध पत्रकार प्रभु चावला से अजय सिंह के पारिवारिक संबंध थे । चावला जी को राजधानी से बॉम्बे जाना था ।

अजय सिंह ने HQ विभाग को नाम भेज दिया पूरे विवरण के साथ । HQ का क्लर्क अजय सिंह की दस्तखत पहचान नही पाया न ही उस समय तक अजय सिंह का निजी स्टाफ HQ को अजय सिंह की दस्तखत को भेजा ही नही था । चुनांचे HQ लिस्ट में नाम गया ही नही । तुर्रा यह कि भाई अजय सिंह खुद चलकर स्टेशन तक गए चावला जी को छोड़ने लेकिन नियम तो नियम ।

दूसरे दिन अजय सिंह हमारे कमरे में आये । पूरी बात बताई । गुस्से में थे । हमने HQ के क्लर्क को बुला कर जब दरियाफ्त किया उसने माफी मांगते हुए वही दस्तखत की तकनीकी जानकारी दी । और मामला रफा दफा हुआ । इतने सहज चाल चलन और सऊर के मालिक रहे भाई अजय सिंह । उनका इस तरह जाना अखर रहा है ।

सादर नमन भाई अजय ।

(लेखक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र संघ पदाधिकारी रहे, प्रख्यात चित्रकार हैं और एक प्रखर चिंतक हैं )

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