अहम बातें
- एआइसीएफ के अध्यक्ष डा संजय कपूर ने दोनों गुटों को एक साथ लाने में अहम भूमिका निभाई
- अब हर स्कूलों में चेस को दिया जायेगा बढ़ावा
- क्रिकेट की तरह अब चेस की अकादमी खोलने की योजना
- आईपीएल की तरह चेस की लीग शुरू करने की तैयारी
- नई टीम का पूरा ध्यान चेस को आगे बढ़ाने पर
जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। कई वर्षों की आंतरिक कलह के बाद आखिरकार अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) में भारतीय शतरंज संघ (सीएफआई) का विलय हो गया। अब देश में शतरंज को एक ही इकाई एआईसीएफ आगे बढ़ाएगी।
एआईसीएफ के हाल ही में निर्वाचित अध्यक्ष डा संजय कपूर ने शनिवार को प्रेसवार्ता में एलान किया कि न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि विभिन्न राज्यों के सभी गुट एक साथ आ गए हैं और सभी एआईसीएफ की छत्रछाया में काम करने को राजी हैं।
संजय ने कहा, ‘मैंने व्यक्तिगत रूप से सभी हितधारकों के साथ कई दौर की बातचीत की है और देश में शतरंज और उसके सभी खिलाडिय़ों के विकास के लिए एक मंच पर लाया हूं।
‘एआईसीएफ के सचिव भरत सिंह चौहान ने कहा, ‘अन्य महासंघों की तरह, हम भी कोविड महामारी के कारण अपने वाॢषक आयोजनों और चैंपियनशिप के आयोजन के लिए संघर्ष कर रहे हैं और अपने आंतरिक मतभेदों से खेल को और अधिक प्रभावित नहीं होने दे सकते।
जैसा कि अब सब जान गए हैं कि भारतीय शतरंज में वर्षों से जारी अंतर्कलह को मिटा दिया गया है, कई शक्तिशाली लोग अपने स्वयं के एजेंडे साबित करने में लगे हुए थे, जिससे शतरंज को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा।
जब नए निकाय का गठन किया तो हमारा पहला लक्ष्य प्रत्येक सदस्य की सभी चिंताओं को दूर करना और खेल के लिए सभी को एक साथ लाना था।’
वहीं संजय ने आगे कहा, ‘राष्ट्रीय स्तर पर तकरार के अलावा, उत्तर प्रदेश में भी शतरंज को बहुत नुकसान हुआ है, राज्य में दो अलग-अलग निकायों यूपी शतरंज एसोसिएशन और यूपी शतरंज स्पोट्र्स एसोसिएशन में आपस में भिड़ंत थी।
यह एक लंबे समय से चल आ रहा झगड़ा था और जैसा कि मैं खुद कानपुर से हूं, मेरा मानना था कि इस समस्या को प्राथमिकता पर हल करना मेरा कर्तव्य था। आज, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि दोनों समूह हमारे साथ हैं।’
प्रेसवार्ता में में उत्तर प्रदेश शतरंज संघ के अध्यक्ष पीसी चतुर्वेदी (सेवानिवृत्त आइएएस), भारतीय शतरंज संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एसएल हर्ष, भारतीय शतरंज संघ के महासचिव एवं उत्तर प्रदेश शतरंज संघ के सचिव एसके तिवारी सभी उपस्थित थे।
इस अवसर पर डा संजय कपूर और चौहान ने खिलाडिय़ों के लिए अविजय शतरंज अकादमी का भी शुभारंभ किया। अखिल भारतीय शतरंज महासंघ ने अपने पदाधिकारियों के नए सेट के तहत देश में शतरंज को पुनर्जीवित करने के लिए कई योजनाओं का एलान भी किया था लेकिन उनके कोरोना महामारी ने उनकी सभी योजनाओं पर पानी फेर दिया।
संजय ने अंत में कहा, ‘हम जल्द से जल्द अपनी कुछ प्रमुख पहलों को शुरू करने के लिए उत्सुक हैं और देश में स्थितियों में सुधार की प्रतीक्षा कर रहे हैं।शतरंज के लिए भारत की पहली अत्याधुनिक अकादमी स्थापित करने के लिए भुवनेश्वर में कलिंगा विश्वविद्यालय के साथ मिलकर प्रयास जारी है। यह हमारे राष्ट्रव्यापी चेस इन स्कूल्स कार्यक्रम का हिस्सा है जिसे हम जल्द ही लागू करने के इच्छुक हैं।