Monday - 28 October 2024 - 7:22 AM

EWS कोटे की सीमा पर दोबारा विचार करेगी केंद्र सरकार

जुबिली न्यूज डेस्क

केंद्र सरकार सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को सालाना 8 लाख रुपये की सीमा पर फिर से समीक्षा करेगी।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह EWS कोटे की सीमा पर दोबारा विचार करेगा। अदालत से इसके लिए सरकार ने चार हफ्ते का समय मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच को सरकार के सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने इसकी जानकारी दी।

उन्होंने बेंच को बताया कि सरकार एक समिति का गठन कर वार्षिक आय के मानदंड पर फिर से विचार करेगी।

शीर्ष अदालत में सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले मेहता ने जस्टिस सूर्यकांत और विक्रम नाथ वाली बेंच को बताया, “मेरे पास यह कहने का निर्देश है कि सरकार ने EWS के मानदंडों पर फिर से विचार करने का फैसला किया है। हम एक समिति बनाएंगे और चार सप्ताह के भीतर फैसला करेंगे। हम आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण के मानदंड पर फिर से विचार करेंगे।”

केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल

देश भर में समान रूप से EWS के लिए आय मानदंड तय करने को लेकर केंद्र द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली के संबंध में पिछले दो महीनों में सुप्रीम कोर्ट में कई प्रस्तुतियां आईं।

यह भी पढ़ें :  डेल्टा से भी ज्यादा खतरनाक है कोरोना का नया वेरिएंट, वैक्सीन को भी दे सकता है चकमा

यह भी पढ़ें :  किसान आंदोलन का पूरा हुआ एक साल, SMK का पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन

अदालत ने ऐसी कई याचिकाओं की जांच की जिनमें वर्तमान शैक्षणिक साल 2021-22 से मेडिकल एंट्री में अखिल भारतीय कोटा सीटों के भीतर EWS के 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती दी है।

21 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार पर कई सवाल उठाए थे।

गुरुवार को शीर्ष अदालत ने मेहता के बयान को रिकॉर्ड में लिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि EWS  मानदंड की समीक्षा करने के लिए चार हफ्ते की जरूरत होगी। तब तक नीट ऑल इंडिया की काउंसिंग नहीं होगी।

यह भी पढ़ें :  इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर परिवहन मंत्री का बड़ा बयान

यह भी पढ़ें :  सपा से गठबंधन के बाद राजभर ने ओवैसी को दिया यह ऑफर

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय देते हुए अगली सुनवाई 6 जनवरी 2022 को तय की है।

इस मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस नियम और शर्त का कोई आधार भी है या केंद्र सरकार ने कहीं से भी उठाकर ये मानदंड शामिल कर दिए हैं।

अदालत ने सवाल उठाते हुए कहा कि इसके आधार में कोई सामाजिक, क्षेत्रीय या कोई और सर्वे या आंकड़ा तो होगा? अदालत ने कहा कि ओबीसी वर्ग में जो लोग आठ लाख रुपये से सालाना कम आय वर्ग में हैं वो तो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं लेकिन संवैधानिक योजनाओं में ओबीसी को सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़ा नहीं माना जाता है। सरकार को अपनी जिम्मेदारी संभालनी चाहिए।

आय का अलग पैमाना होना जरूरी नहीं

26 अक्टूबर को, सरकार ने 8 लाख रुपये से कम की वार्षिक आय वाले परिवारों से आने वाले लोगों के लिए 10 प्रतिशत कोटा लागू करने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए अपना हलफनामा दायर किया।

केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि आरक्षण के मामलों में, गरीबों की पहचान करने के लिए आय सीमा निर्धारित करने के लिए गणितीय सटीकता नहीं हो सकती है।

यह भी पढ़ें :  टिकैत की धमकी की वजह से कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए अजय मिश्रा!

यह भी पढ़ें : शायद न आए अब कोरोना की तीसरी लहर -एम्स निदेशक

केंद्र सरकार ने कहा कि अलग-अलग शहरों, राज्यों और क्षेत्रों के लिए अलग-अलग आय पैमाना होना जरूरी नहीं है क्योंकि समय के साथ आर्थिक स्थितियां बदलती रहती हैं।

पूरे देश में लागू एक व्यापक मानदंड को ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण प्रदान करने के आधार के रूप में लिया जाना चाहिए। सरकार ने कहा कि ये नीतिगत मामले हैं जिनमें अदालतों को दखल देने की जरूरत नहीं है।

विशेष समिति का गठन जरूरी

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार और अधिवक्ता चारु माथुर ने इस मामले में तर्क दिया है कि राज्यों में हर व्यक्ति की आय व्यापक रूप से अलग है। इसलिए अखिल भारतीय स्तर पर ईडब्ल्यूएस का निर्धारण करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन जरूरी है, जो सावधानीपूर्वक इसकी समीक्षा कर सके ताकि सामाजिक न्याय प्राप्त हो।

इस साल के लिए वकीलों ने अनुरोध किया है कि आरक्षण की व्याख्या करने वाले किसी भी मानदंड के अभाव में ईडब्ल्यूएस आरक्षण को प्रभावी नहीं किया जाना चाहिए।

बता दें कि 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा 103 वें संविधान (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत पेश किया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष चुनौती दी जा रही है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com