न्यूज डेस्क
कोरोना को लेकर केंद्रीय मंत्रियों के समूह (GOM) की बैठक में तय किया गया है कि फिलहाल देश में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का सकारात्मक असर दिख रहा है। इसलिए रैपिड टेस्ट किट से जांच को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
आपको बता दें कि कोरोना की जांच के लिए चीन से खरीदी गईं रैपिड जांच किट से गलत नतीजे निकलने की शिकायतों के मद्देनजर कई राज्यों ने इन किटों से टेस्ट करने पर रोक लगा दी थी।
सरकार की दलील है कि अभी हमारे पास 15 लाख से ज्यादा टेस्ट करने की क्षमता है। साथ ही कई भारतीय कंपनियां भी टेस्ट किट तैयार करने में जुटी हैं। इसके अलावा कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश भर में जिले स्तर पर सवा लाख से ज्यादा वालंटियर तैयार किए गए हैं। ऐसे में रैपिड टेस्ट किट से जांच को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
According to govt, currently, the capacity is to conduct more than 15 lakh tests. Additionally, several Indian companies are in the process of developing test kits. More than 1.25 lakh volunteers are ready to assist in the fight against #COVID19: Sources on today’s GoM meeting https://t.co/RWPzfATsIS
— ANI (@ANI) April 25, 2020
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मंगलवार को नियमित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान आईसीएमआर के प्रतिनिधि डा. रमन गंगाखेडकर ने कहा कि राजस्थान ने एक दिन पहले आईसीएमआर द्वारा भेजी गई रैपिड जांच किट यह कहकर लौटा दी थी कि इनसे बहुत कम मामलों की जांच हो पा रही है। राजस्थान ने पांच फीसदी नतीजे ही सही देने की बात कही थी। इसके बाद आईसीएमआर ने मंगलवार को तीन और राज्यों से जानकारी जुटाई।
गंगाखेडकर ने कहा कि यह पता चला है कि रैपिड जांच किट द्वारा किए जा रहे परीक्षणों में 6-71 फीसदी का तक अंतर है। यह अंतर बहुत ज्यादा है। रैपिड किट आरटीपीसीआर टेस्ट की तरह पूरी तरह से सही नतीजे नहीं देती हैं लेकिन जितना फर्क आ रहा है, वह बहुत ज्यादा है। इसलिए राज्यों को कहा गया है कि वे अगले दो दिन किट का इस्तेमाल नहीं करें। दो दिन बाद आईसीएमआर की ओर से आगे के लिए दिशा-निर्देश जारी होंगे।
पश्चिम बंगाल सरकार ने भी केंद्र सरकार पर खराब कोरोना वायरस टेस्ट किट देने का आरोप लगाया है। राज्य सरकार की ओर से जारी ट्वीट में आईसीएमआर पर खराब टेस्ट किट भेजने का आरोप लगाया, जिसकी वजह से बार-बार परिणाम गलत आ रहे हैं।
क्या होता है रैपिड टेस्ट
जब आप किसी वायरस या और किसी पैथोजन से संक्रमित होते हैं, तो शरीर उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है। रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए इन्हीं एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है। खून में मौजूद एंटीबॉडी से ही पता चलता है कि किसी शख्स में कोरोना या किसी अन्य वायरस का संक्रमण है या नहीं। रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट बीमारी की पहचान के लिए नहीं होता। यह टेस्ट सिर्फ ऐसे लोगों की पहचान के लिए है जिनमें लक्षण दिख रहे हों। एंटीबॉडी टेस्ट नेगेटिव आने का यह मतलब नहीं कि व्यक्ति को बीमारी या संक्रमण नहीं है।
आईसीएमआर के मुताबिक खांसी, जुकाम आदि के लक्षण दिखने पर पहले 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया जाता है और उसके बाद उस व्यक्ति के खून के नमूने लेकर एंटीबॉडी टेस्ट या सीरोलॉजिकल टेस्ट किए जाते हैं। इसका परिणाम भी आधे घंटे के अंदर आ जाता है।