जुबिली न्यूज डेस्क
कुछ दिनों पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोरोना के टीके की कीमतों का ऐलान किया था। कीमतों के ऐलान के बाद से इस पर घमासान मचा हुआ है। राज्य सरकारें कीमतों को लेकर केंद्र सरकार से दखल देने की गुहार लगा चुकी है।
फिलहाल कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कोरोना वैक्सीन की अधिक और अलग-अलग लोगों से अलग-अलग कीमतें वसूलने पर हुए विवाद के बाद केंद्र सरकार ने अब इन कोरोना टीका उत्पादकों से कहा है कि वे इसकी कीमतें कम करें।
कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक से कहा कि वे अपने-अपने टीकों की कीमतें कम करें।
ऐसा माना जा रहा है कि ये कंपनियां अब नई कीमतों का एलान करेंगी।
ये भी पढ़े: कोरोना : बीते 24 घंटों में 3,23,144 नए मामले, 2771 मौतें
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने अपने कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन की कीमत सरकार के लिए प्रति खुराक 600 रुपए और निजी अस्पतालों के लिए 1200 रुपए कर रखी है।
दूसरी कंपनी सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया ने अपने टीके कोवीशील्ड की कीमत केंद्र सरकार के लिए 150 रुपए, राज्य सरकारों के लिए 400 रुपए और निजी क्षेत्र के लिए 600 रुपए कर रखी है।
ये भी पढ़े:… तो हालात ऐसे हैं कि घर पर भी मास्क पहने तो बेहतर है
कोरोना टीका से जुड़े नए प्रोटोकॉल के मुताबिक कोरोना बनाने वाली कंपनियां अपने उत्पादन का आधा हिस्सा केंद्र सरकार को देंगी, बाकी आधा वे राज्य सरकारों व निजी क्षेत्र के अस्पतालों को बेचने को स्वतंत्र हैं।
इसके पहले कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार टीका उत्पादकों को मुनाफाखोरी करने में मदद कर रही है, उसने इन कंपनियों को 1.11 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुनाफा कमाने में मदद की है।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी कहा था कि यह गलत है कि कोवीशील्ड केंद्र को 150 रुपए और राज्यों को वही टीका 400 रुपए में दिया जा रहा है।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि सीरम इंस्टीच्यूट के प्रमुख ने यह भी कहा है कि कंपनी को 150 रुपए में भी मुनाफा हो रहा है, पर यह जबरदस्त मुनाफा नहीं है।
ये भी पढ़े: आपदा में लोगों की मजबूरी का फायदा उठा कर लूटने वाले 44 आरोपी पहुंचे जेल
ये भी पढ़े:इस कॉफी को पीने से बढ़ती है इम्युनिटी पावर, जानें कैसे…
इन आरोपों पर सीरम इंस्टीट्यूट ने सफाई दी थी। उसने कहा था, ‘एसआईआई के उत्पादन का एक बहुत ही छोटा सा हिस्सा ही 600 रुपए की कीमत पर बेचा जाएगा। कोरोना इलाज की दूसरी दवाओं की तुलना में यह कम है।’
शुरू में वैक्सीन की कीमत कम होने के बारे में कंपनी ने सफाई देते हुए कहा है, ‘शुरू में टीके की कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम रखी गई थी क्योंकि खरीदने वाले देशों ने वैक्सीन विकसित होने के पहले ही कुछ पैसे अग्रिम दे दिए थे और उन्होंने जोखिम उठाया था। इसलिए भारत समेत पूरी दुनिया में इम्यूनाइजेशन की कीमत कम रखी गई थी।’
इसके पहले ही इस पर विवाद होने के बाद केंद्र सरकार ने शनिवार को सफाई दी और कहा था कि वह तो 150 रुपए में ही खरीद रही है। केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि राज्यों को वह टीका मुफ्त में देगी।
ये भी पढ़े: भारत में कोरोना महामारी के चलते लाशों से भर गए हैं श्मशान : WHO
ये भी पढ़े: कोरोना महामारी पर लिखने वाले आस्ट्रेलियाई अखबार को भारतीय उच्चायोग ने क्या कहा?
वहीं सीरम इंस्टीच्यूट के प्रमुख अदार पूनावाला ने कुछ दिन पहले ही इस पर सफाई देते हुए कहा था, ‘हम भारत सरकार को यह टीका 150 रुपए में दे रहे हैं। इसकी औसत कीमत 20 डॉलर (यानी लगभग 1400-1500 रुपए) है, लेकिन मोदी सरकार के कहने पर हम इसे यहां सस्ते में दे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि हम इस पर मुनाफा नहीं कमा रहे हैं, पर हमें बहुत मुनाफा नहीं हो रहा है, जो निवेश के लिए जरूरी है।’
अब सवाल यह है कि जब 150 रुपए में भी मुनाफा हो रहा तो राज्य सरकारों को 400 रुपए में यह टीका क्यों दिया जा रहा है। आखिर यह मुनाफाखोरी नहीं है तो और क्या है।