Tuesday - 5 November 2024 - 9:07 AM

केंद्र ने GST के लिए कर्ज लेकर 16 राज्यों को जारी किए इतने करोड़

जुबिली न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, असम, दिल्ली और जम्मू कश्मीर समेत 16 राज्यों एवं दो केंद्र शासित प्रदेशों को माल एवं सेवा कर (GST) क्षतिपूर्ति की पहली किस्त के रूप में कर्ज लेकर 6,000 करोड़ रुपए हस्तांतरित किए हैं।

पिछले सप्ताह केंद्र ने जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों की मांग को स्वीकार कर लिया था। उनकी मांग थी कि केंद्र स्वयं कर्ज लेकर राज्यों की जीएसटी की क्षतिपूर्ति करे।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि केंद्र, राज्यों को जीएसटी संग्रह में 1.1 लाख करोड़ रुपए की कमी की क्षतिपूर्ति के लिए बाजार से किस्तों में कर्ज उठायेगा। मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार ने 2020-21 में जीएसटी संग्रह में कमी को पूरा करने के लिए विशेष कर्ज की व्यवस्था की है।

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कुल 21 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने इस व्यवस्था का विकल्प चुना है। कर्ज को लेकर समन्वय वित्त मंत्रालय करेगा। इनमें से पांच राज्यों में जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में कोई कमी नहीं है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा केंद्र सरकार ने आज 6,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर उसे 16 राज्यों को जारी किया है। ये 16 राज्य हैं आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, ओड़िशा, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड। इसके अलावा दो केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और जम्मू कश्मीर को भी राशि हस्तातंरित की गई है।

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बयान के अनुसार यह कर्ज 5.19 प्रतिशत ब्याज पर लिया गया है और इसकी मियाद मोटे तौर पर 3 से 5 साल के लिये है। मंत्रालय ने कहा कि वह हर सप्ताह राज्यों को 6,000 करोड़ रुपये जारी करेगा।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस व्यवस्था से केंद्र के राजकोषीय घाटे पर असर नहीं होगा और यह राज्य सरकारों की पूंजी प्राप्ति के रूप में प्रदर्शित होगा। केंद्र ने जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर अगस्त में राज्यों को दो विकल्प दिए थे।

पहला वह जीएसटी क्रियान्वयन के कारण राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करने के लिए 97,000 करोड़ रुपए रिजर्व बैंक की विशेष खिड़की से ले या फिर कुल 2.35 लाख करोड़ रुपये (इसमें 1.38 लाख करोड़ रुपए कोविड संकट के कारण) बाजार से ऋण ले ले। इस राशि को संशोधित कर अब क्रमश: 1.10 लाख करोड़ रुपये और 1.8 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।

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