जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. इजराइल और हमास के के बीच 11 दिन के युद्ध के बाद माहौल शांत हो गया. इजराइल की मिसाइलों ने गाजापट्टी में तबाही मचा दी थी तो इजराइल को भी हमास ने सुकून से बैठने नहीं दिया. इजराइल ने अपनी आयरन डोम तकनीक से अपनी बड़ी इमारतों को तो हमास के हमले से बचा लिया लेकिन रिहायशी इलाकों को जब हमास ने निशाना बनाया तो इजराइल की सरकार भी दबाव में आ गई.
जिस अंदाज़ में इजराइल ने यह युद्ध शुरू किया था उसमें फिलिस्तीन को पूरी तरह से बर्बाद किये बगैर इजराइल ने कदम वापस खींचने से इनकार कर दिया था. शुरुआत के चार-पांच दिन खाड़ी देशों की खामोशी ने इजराइल के मंसूबों को भी बुलंद कर दिया था लेकिन फिलिस्तीन में जिस तरह से खून बहना शुरू हुआ उसके खिलाफ खाड़ी देशों के नागरिकों ने घरों से निकलकर इजराइल के खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी.
खाड़ी देशों के नागरिकों का विरोध प्रदर्शन देखने के बाद अमेरिका को भी होश आया और उसने इजराइल को कदम वापस खींचने को कहा. 11 दिन के युद्ध में 200 लोगों की मौत के बाद इजराइल के सेना प्रमुख ने मिस्र के संघर्ष विराम प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
गाज़ा के सरकारी बयान के मुताबिक़ इजराइली हमले में 65 बच्चो और 39 महिलाओं समेत 230 मौतें हुईं और 1710 लोग ज़ख़्मी हुए. उधर इजराइल में 12 लोगों की मौत हुई है.
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अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजराइल-फिलिस्तीन युद्धविराम की पुष्टि करते हुए भविष्य में इजराइल को आयरन डोम सिस्टम की पूर्ति करने की बात कही है. इजराइल और फिलिस्तीन के बीच युद्धविराम ऐसे समय में आया है जब इसी मार्च में हुए चुनाव के बाद नेतन्याहू संसद में बहुमत पाने से चूक गए हैं. विपक्ष के पास वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए दो जून तक का समय है.