Thursday - 31 October 2024 - 11:05 AM

11 कंडोम कंपनियों ने सरकार को लगाया चूना

न्यूज डेस्क

जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार ने कंडोम के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए सभी सरकारी अस्पताल में निःशुल्क कंडोम देने की योजना बनाई थी। इसके लिए सरकार की तरफ से कंडोम बनाने वाली कंपनियों से टेंडर भरवाए गए थे उसके बाद उन्हें ठेका दिया गया। लेकिन अब देश की ग्यारह शीर्ष कंपनियां भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के घेरे में आ गई थी। सीसीआई ने अपनी जांच में यह पाया है कि इन कंपनियों ने गोलबंदी कर 2010 से 2014 के बीच कंडोम आपूर्ति के लिए सरकार से ठेका हांसिल किया और जरूरत से ज्यादा कीमत वसूली।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह बोली में हेराफेरी करने का मामला है। सीसीआई की महानिदेशक स्तर की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कंपनियों के डायरेक्टर, सीईओ और ऑपरेशनल हेड ने पहली ही बात कर कीमत को  तय कर लिया था।

रिपोर्ट में कहा गया कि इन 11 कंपनियों ने मिलकर कंडोम खरीदने के सरकारी टेंडर में गैर प्रतिस्पर्धी बोली लगाई। इन कंपनियों ने मिलकर गोलबंदी कर कंडोम आपूर्ति के लिए ज्यादा कीमत वसूली और ज्यादातर सबसे कम रकम की बोली में प्रति बॉक्स 50 पैसे का भी अंतर नहीं था। ऐसी स्थ‍िति में होता यह है कि सबसे कम बोली वाले बिडर के करीब बोली लगाने वाले अन्य सप्लायर को भी आपूर्ति का ठेका दे दिया जाता है।

इन कंपनियों के खिलाफ हुई जांच

वो ग्यारह  कंपनियां जिनके खिलाफ जांच हुई है उनमें एचएलएल लाइफकेयर (हिंदुस्तान लैटेक्स), टीटीके प्रोटेक्टिव डिवाइसेज, सुरेटेक्स प्रॉफीलैक्टिक्स इंडिया लिमिटेड, अनोंदिता हेल्थकेयर, क्यूपिड लिमिटेड, मर्केटर हेल्थकेयर लिमिटेड, कॉन्वेक्स लैटैक्स प्राइवेट लिमिटेड, जेके एंसेल लिमिटेड, यूनिवर्सल प्रॉफीलैक्ट‍िक्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडस मेडिकेयर लिमिटेड और हैविया फाइन प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड लिमिटेड शामिल हैं।

इनमे एचएलएल लाइफकेयर सार्वजनिक कंपनी है और मूड्स ब्रांड का, टीटीके प्रोटेक्टिव डिवाइसेज स्कोर ब्रांड और जेके एंसेल कामसूत्र ब्रांड नाम से कंडोम बनाती है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग देश की ऐसी रेगुलेटरी संस्था है, जिसका उद्देश्य स्वच्छ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है ताकि बाजार में उपभोक्ताओं के हित की रक्षा की जा सके।

छह हज़ार करोड़ रुपए का  लगाया था जुर्माना

इससे पहले भी सीसीआई ने साल 2011 में ऐसे ही एक बहुचर्चित मामले में 11 सीमेंट कंपनियों को गोलबंदी कर कीमत का निर्धारण करने का दोषी ठहराते हुए छह हज़ार करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। हाल में प्रतिस्पर्धा आयोग ने इंदौर केमिस्ट एसोसिएशन, मध्य प्रदेश केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसो., हिमालया ड्रग कंपनी और इंटास फार्मास्युटिक लिमिटेड पर करीब 74 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा था।

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