जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई को रिटायर्ड जज जस्टिस एस.एन. शुक्ला के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है. इस इजाज़त के साथ ही जस्टिस आई.एम. कुद्दूसी के खिलाफ मुकदमे का रास्ता भी साफ़ हो गया है. इन जजों पर एक प्राइवेट मेडिकल कालेज को फायदा पहुंचाने का इल्जाम है.
प्रसाद इंस्टीटयूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ को खराब सुविधाओं और आवश्यक मानदंडों को पूरा न कर पाने के कारण केन्द्र ने छात्रों का एडमिशन करने से रोक दिया था. मई 2017 में इसी आधार पर 47 मेडिकल कालेजों पर छात्रों को दाखिला देने से रोक लगाई गई थी. उन्हीं में से प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ भी था.
इस मेडिकल कालेज को संचालित करने वाले प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के भगवान प्रसाद यादव, पलाश यादव, भावना पाण्डेय और सुधीर गिरी ने मेडिकल कालेज पर लगे प्रतिबन्ध को हटवाने के लिए हाईकोर्ट का सहारा लेने का फैसला किया. हाईकोर्ट से अपने पक्ष में फैसला हासिल करने के लिए इन लोगों ने घूस का रास्ता अपनाया. जस्टिस एस.एन. शुक्ला ने ट्रस्ट के पक्ष में फैसला सुना दिया.
इस प्रकरण पर सीबीआई की पड़ताल में पता चला कि रिटायर्ड जज आई.एम. कुद्दूसी ने रिटायर्ड जज होने के बावजूद ट्रस्ट के मध्यस्थ के तौर पर काम किया और इस भ्रष्टाचार के सहभागी बने. जस्टिस कुद्दूसी क्योंकि इस फैसले के वक्त रिटायर्ड थे इसलिए उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई को किसी इजाजत की ज़रूरत नहीं थी लेकिन जस्टिस एस.एन. शुक्ला के खिलाफ हाईकोर्ट की मंजूरी ज़रूरी थी. जस्टिस शुक्ला 2020 में रिटायर हो चुके हैं.
जस्टिस एस.एन. शुक्ला पर सीबीआई की नज़र इस वजह से चली गई क्योंकि ट्रस्ट केन्द्र सरकार द्वारा लगाई गई रोक को हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में जा चुका था लेकिन एक साजिश के तहत सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका को ट्रस्ट ने आपसी सहमति से वापस ले लिया और इसी बीच जस्टिस आई.एम.कुद्दूसी की जस्टिस एस.एन. शुक्ला से बात हो गई.
सब कुछ तय हो जाने के बाद जस्टिस एस.एन.शुक्ला की अदालत में ट्रस्ट ने याचिका दाखिल की और जस्टिस शुक्ला ने ट्रस्ट के पक्ष में फैसला सुना दिया. सीबीआई ने मामले की तह में पहुँचने के लिए लखनऊ, मेरठ और दिल्ली में कई स्थानों पर छापे मारे थे. अब इन आरोपितों के खिलाफ धारा 120 बी और भ्रष्टाचार रोकथाम क़ानून के तहत मुकदमा चलाया जायेगा.
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