- सीबीआई ने आईओए के पूर्व अध्यक्ष नरिंदर बत्रा से जुड़े परिसरों पर छापा मारा
- बत्रा ने एफआईएच अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दिया, आईओसी की सदस्यता भी छोड़ी
जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के पूर्व अध्यक्ष नरिंदर बत्रा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के पूर्व अध्यक्ष नरिंदर बत्रा से जुड़े दिल्ली और जम्मू के पांच परिसरों पर छापा मारा। इसको लेकर सीबीआई की तरफ से कहा गया है कि भ्रष्टाचार के एक कथित मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद तलाशी ली गई।
वहीं अनुभवी खेल प्रशासक नरिंदर बत्रा ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और साथ ही अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) की सदस्यता भी छोड़ दी। दूसरी ओर सीबीआई का शिकंजा भी कसता नजर आ रहा है।
सीबीआई की माने तो शिकायत में आरोप लगाया गया है कि हॉकी इंडिया के 35 लाख रुपये बत्रा के निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किए गए। वहीं बत्रा को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) का अध्यक्ष पद छोडऩा पड़ा था, जब 25 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने हॉकी इंडिया में ‘आजीवन सदस्य’ के पद को खत्म कर दिया था। बत्रा ने 2017 में हॉकी इंडिया के आजीवन सदस्य के रूप में ही आईओए का चुनाव लड़ा और जीता था। इस पूरे खेल में उनके ऊपर पहले से इस्तीफा का दबाव बढ़ रहा था तो रही सही कसर सीबीआई ने छापा मारकर पूरी कर दी है। ऐसे में बत्रा के पास कोई और रास्ता नजर नहीं रहा था और तीन अलग अलग पत्रों के जरिए बत्रा ने आधिकारिक रूप से आईओए, आईओसी और एफआईएच में अपने पदों से किनारा करते हुए इस्तीफा दे दिया है।
अपने इस्तीफे को लेकर बत्रा ने कहा कि ‘‘निजी कारणों से मैं एफआईएच के अध्यक्ष पद से इस्तीफा सौंपता हूं।’’ हालांकि इसके पीछे कोई और खेल बताया जा जा रहा है। दरअसल बत्रा की आईओसी सदस्यता उनकी आईओए अध्यक्षता से जुड़ी थी लेकिन एफआईएच से उनका इस्तीफा हैरानी भरा है क्योंकि उन्होंने मई में कहा था कि वह अब विश्व हॉकी संस्था में अपने काम पर ध्यान लगाना चाहते हैं।दिल्ली उच्च न्यायालय ने खंडपीठ के समक्ष लंबित उनकी अपील पर स्टे देने से इनकार कर दिया था जिसके कारण संभवत: बत्रा ने इस्तीफा देने का फैसला किया। इस मामले की सुनवाई 26 जुलाई को होनी है।
दूसरी ओर सीबीआई के अनुसार बत्रा के खिलाफ एक शिकायत मिलने के बाद उसने प्रारंभिक जांच शुरू की जो पहली नजर में अपराध साबित करने की ओर शुरुआती कदम है। अधिकारियों ने बताया कि शिकायत में आरोप है कि हॉकी इंडिया के 35 लाख रुपये बत्रा के निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किए गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसोसिएशन के शीर्ष पदाधिकारियों के प्रशासनिक गतिरोध है। नरिंदर बत्रा और महासचिव राजीव मेहता समेत कई लोग आमने-सामने हैं। हाल ही में नरिंदर बत्रा और हॉकी इंडिया में तनातनी की खबरें थीं।
इस साल 29 मार्च को आईओए के कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडे ने नरिंदर बत्रा को एक पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने नरिंदर बत्रा पर अनियमितताओं का आरोप लगाया था। साथ ही उनके कार्यालय पर खर्च और हॉकी इंडिया के साथ उनके स्वामित्व वाली कंपनी के वित्तीय लेनदेन का जवाब मांगा था।
साल 2017 में भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष बने नरिंदर बत्रा फिलहाल अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ के अध्यक्ष भी हैं। पिछले साल बत्रा लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए एफआईएच अध्यक्ष चुने गए थे और वो 2024 तक इस पद पर रहेंग। बत्रा हॉकी इंडिया के भी अध्यक्ष रह चुके हैं।
हॉकी इंडिया के आजीवन सदस्य के तौर पर बत्रा द्वारा ली सुविधाओं पर खर्च पैसे वसूलने का आदेश जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय खेल संहिता के उल्लंघन के मामले में दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए हॉकी इंडिया को भंग कर दिया। इस मामले में कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि हॉकी इंडिया में आजीवन सदस्य, आजीवन अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पदों को सृजन खेल संहिता का उल्लंघन है क्योंकि नियमों के तहत इन पदों का सृजन नहीं हाे सकता है।
फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशानुसार गठित तीन सदस्यीय कमेटी को हॉकी इंडिया के संविधान में बदलाव के पश्चात चुनाव की जिम्मेदारी मिली है लेकिन चुनाव कराने में अभी लगभग पांच माह लग सकते है। इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अनिल दवे, पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी व हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी और पूर्व कप्तान जफर इकबाल है।
इसके साथ ही कोर्ट ने आजीवन सदस्य के तौर पर नरिंदर ध्रुव बत्रा के द्वारा ली गई सुविधाओं के बारे में खर्च पैसे वसूलने का आदेश दिया है और इससे जुड़ी फाइल हॉकी इंडिया की नई कमेटी को देने को कहा है।
बताते चले कि कि एडवोकेट वंशदीप डालमिया के जरिये दायर की गई याचिका में नरिंदर ध्रुव बत्रा की आजीवन सदस्यता और इलेना नोर्मन की सीईओ के रूप में नियुक्ति रद्द करने की मांग हुई थी।
याचिका में कहा गया कि खेल संहिता और राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) के लिए आदर्श चुनाव दिशानिर्देशों के तहत किसी खास अवधि के लिए सात पदाधिकारी और पांच अतिरिक्त सदस्य ही चुने जा सकते है और हॉकी इंडिया द्वारा सृजित तीन पद इसके अनुरूप नहीं हैं।