Friday - 25 October 2024 - 6:15 PM

तोता बन गया बाज, नेताओं पर गाज

सुरेंद्र दुबे 

त से तोता जो किसी का नहीं होता। जिसकी सरकार होती है उसी की भाषा बोलने लगता है। कुछ वर्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने स्‍वयं माना था कि सीबीआई पिंजरे में बंद एक तोता है। यानी कि सरकार जैसा चाहती है वैसा उससे करवाती है, जिस समय ये टिप्‍पणी की गई तब तोता कांग्रेसी समझा जाता था। आज मैं जिस तोते की बात कर रहा हूं वह दल बदल कर भाजपाई हो गया है। दल बदल कानून में जानवरों के दल बदलने के संबंध में कोई दिशा-निर्देश नहीं है। इसलिए हम तोता की सदस्‍यता रद्द नहीं कर सकते हैं।

इस तोते ने पिछले कई वर्षों में कई प्रकार के फल खाए हैं। इसने प्रवर्तन निदेशालय के साथ मिलकर बाज का रूप धारण कर लिया है। तोते की तरह चोंच नहीं मारता बल्कि बाज की तरह झपट्टा मार कर लोगों को घायल कर देता है। कल इस बाज ने कांग्रेसी नेता व देश के पूर्व वित्‍तमंत्री पी चिदंबरम पर झपट्टा मारा और उन्‍हें घसीट कर सीबीआई मुख्‍यालय ले आया। कल जिस तरह सीबीआई के अफसर चिदंबरम के बंगले में कूद कर घुसे उससे ऐसा लगता था, जैसे चंदन तस्‍कर वीरप्‍पन को पकड़ने आए हैं।

कल इन लोगों की सक्रियता देख कर विदेश भाग गए नीरव मोदी, मेहुल चौकसी व विजय माल्‍या कांप गए होंगे। अगर सीबीआई उस समय बाज की तरह काम कर रही होती तो ये लोग देश का अरबों रुपया लेकर भाग नहीं पाते। लेकिन उस समय तो सीबीआई सिर्फ तोता थी इसलिए ज्‍यादा उड़ान नहीं भर सकती थी। पर अब सीबीआई बाज बन गई है इसलिए खुब उड़ रही है। कल चिदंबरम पर झपट्टा मारा और महाराष्‍ट्र में महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे पर झपट्टा मारने की तैयारी में है।

ये बाज काफी समझदार है इसलिए उसने राज ठाकरे पर पंजा मारने का प्‍लान बनाया है क्‍योंकि वहां इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। बाज को मालूम है कि राज ठाकरे ने लोकसभा चुनाव में सत्‍ताधारी दल का जमकर विरोध किया था।

हालांकि, इस विरोध से सत्‍ता धारी दल को कोई नुकसान नहीं हुआ पर राज ठाकरे को इतना तो समझना चाहिए था कि सुरज से अब भगवा रोशनी निकलती है। इसलिए उसकी आरती करें या चुप्‍पी मार कर बैठ जाएं। पर राज ठाकरे ठहरे जड़ बुद्धी के नेता सो फिर विरोध के गीत गाने लगे। अब उनकी समझ में नहीं आया तो भुगते।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मनोहर जोशी के बेटे उन्मेश जोशी के स्वामित्व वाले कोहिनूर सीटीएनएल में 850 करोड़ रुपये से अधिक के आईएल एंड एफएस (IL&FS) के ऋण और निवेश की कथित अनियमितताओं की जांच कर रहा है। कोहिनूर सीटीएनएल एक रियलिटी क्षेत्र की कंपनी है जो पश्चिम दादर में कोहिनूर स्क्वॉयर टॉवर का निर्माण कर रही है।

जोशी की कंपनी और उसके निवेश पहले से ही सवालों के घेरे में हैं क्योंकि यह लगभग 135 करोड़ रुपये के आईएल एंड एफएस (IL&FS) के प्रमुख डिफॉल्टरों में से है। उन्मेश जोशी, ठाकरे और उनके सहयोगी द्वारा यह एक दशक पहले लॉन्च की गई थी।

उनकी 421 करोड़ रुपये में विवादास्पद कोहिनूर मिल्स नंबर-3 खरीदने की योजना थी, लेकिन आईएल एंड एफएस ने 2008 में अचानक कथित तौर पर इस सौदे से हाथ पीछे खींच लिए और महज 90 करोड़ रुपये में अपने शेयरों को बेच दिया। बाद में राज ठाकरे भी अपने शेयर बेचने के बाद इससे बाहर निकल गए।

ईडी ने रविवार को राज ठाकरे और उनके पूर्व कारोबारी सहयोगी रहे पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना नेता मनोहर जोशी के बेटे उन्मेश जोशी के साथ ही एक अन्य कारोबारी सहयोगी को नोटिस जारी किया था।

आइए आपको पश्चिम बंगाल में हुए शारदा चिटफंड घोटाले की वादियों में ले चलते हैं। इसमें लगभग 40 हजार करोड़ रुपए का घोटाला चिटफंड के माध्‍यम से किया गया था। जिसमें पश्चिम बंगाल के लाखों लोग बर्बाद हो गए।

शारदा चिटफंड कंपनी की स्थापना जुलाई 2008 में की गई थी। इस कंपनी की ओर से 34 गुना रकम करने का वादा किया गया था और लोगों से पैसे ठग लिए। बताया जाता है कि इस घोटाले में करीब 40 हजार करोड़ रुपये का हेर-फेर हुआ।

इस कंपनी के मालिक सुदिप्तो सेन ने ‘सियासी प्रतिष्ठा और ताक़त’ हासिल करने के लिए मीडिया में खूब पैसे लगाए और हर पार्टी के नेताओं से जान पहचान बढ़ाई। शारदा चिटफंड घोटाले में ममता बनर्जी का साथ छोड़ कर बीजेपी में शामिल मुकुल रॉय और कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्‍वाइन कर चुके असम के स्वास्य्थ मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा भी इस घोटाले के घेरे में फंसे थे।

अब सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय दोनों के पास मुकुल रॉय और हेमंत बिस्‍वा का काला चिट्ठा मौजूद है इनके खिलाफ बाज की जांच करने की औकात नहीं है। जब से दोनों भाजपाई हुए हैं शारदा चिटफंड घोटाले का मामला ठंडे बस्‍ते में पड़ा है और लाखों लोगों की कमाई फंसी हुई है। अगर बाज हिम्‍मत दिखाए तो ये प्रकरण फिर से सुर्खियों में आ सकता है। पर जब बड़े-बड़े शेर गर्दन झुकाए बैठे हैं तो फिर बाज बेचारा क्‍या करे। जिधर इशारा मिलता है झपट्टा मार देता है। जिधर देखने की मनाही है उधर खीसे निपोरे टुक-टुक देखते रहने को मजबूर है।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

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