जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इनकम टैक्स के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे सभी करदाताओं के कर मांग की गणना अगस्त के अंत तक कर लें। सीबीडीटी के चेयरमैन पीसी मोदी ने सभी फील्ड अधिकारियों के लिए अपीलों के निपटान का मंथली टारगेट भी दिया है।
कोरोना वायरस महामारी के कारण टैक्स कलेक्शन में कमी आने से राजस्व प्राप्ति के लक्ष्यों को पाना चुनौती नजर आ रहा है, जिसके मद्देनजर सीबीडीटी प्रमुख ने यह निर्देश जारी किया है।
आयकर विभाग के प्रधान मुख्य आयुक्तों को लिखे पत्र में सीबीडीटी प्रमुख पीसी मोदी ने कहा है कि कई करदाता विवाद से विश्वास योजना के तहत आवेदन करने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन उनको विभाग की तरफ से उन पर बने इनकम टैक्स की सही मांग के बारे में सूचना का इंतजार है।
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सीबीडीटी प्रमुख पीसी मोदी ने टैक्स अधिकारियों के लिए लंबित अपीलों के निपटान का मासिक लक्ष्य भी तय किया है। अधिकारियों से कहा गया है कि वे ई-फाइलिंग पोर्टल या सिर्फ ई- मेल के जरिये जानकारी भेजकर अपीलों का निपटान करें।
सीबीडीटी के प्रमुख ने नौ जुलाई को लिखे पत्र में कहा, बोर्ड चाहता है कि विवाद से विश्वास योजना के तहत आने वाले करदाताओं की कर मांग और कर भुगतान की गणना या रिफंड से संबंधित कामकाज प्राथमिकता के आधार पर किया जाए।
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सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि यह कार्य सभी आयकरदाताओं के लिए किया जाना है, चाहे वे इस योजना का विकल्प चुनना चाहते हों या नहीं। इससे अंतिम समय में किसी तरह की समस्या खड़ी नहीं होगी।
प्रक्रिया को 31 अगस्त तक पूरा करना होगा। विवाद से विश्वास योजना के तहत कर विवादों का निपटान करने की समयसीमा 30 दिसंबर, 2020 को समाप्त होगी। योजना के तहत विवाद का समाधान के करने के इच्छुक करदातओं को 31 दिसंबर तक टैक्स की पूरी राशि जमा कराने पर ब्याज और जुर्माने से छूट मिलेगी।
इस योजना के तहत 9.32 लाख करोड़ रुपए के 4.83 लाख प्रत्यक्ष कर मामलों के निपटान का लक्ष्य है। ये मामले विभिन्न अपीलीय मंचों मसलन आयुक्त (अपील), आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी), उच्च न्यायालयों तथा उच्चतम न्यायालयों में लंबित हैं। यह राशि 2020-21 के प्रत्यक्ष कर संग्रह (Direct tax collection) के बजट लक्ष्य 13.19 लाख करोड़ रुपए का 71% है।
इसमें से आयकर संग्रह का लक्ष्य 6.38 लाख करोड़ रुपए तथा कॉरपोरेट कर संग्रह का लक्ष्य 6.81 लाख करोड़ है। 2019-20 में कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह 12.33 लाख करोड़ रहा था। जबकि, 2018-19 में यह 12.97 लाख करोड़ था।
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