संध्या की बिखरी अलकों मे, निशा का फैला श्याम दुकूल, मूक है मद्धिम है पदचाप, तुमको प्रेम सौंपना भूल। अधर की पगली थी मदप्यास, तभी तो रहा तुम्हे था पूज। हाय रे भावुक था उन्माद, प्रलय का स्वागत करता ऊज। तुम्हारे रोदन की मुस्कान, उड़ाता आया उर मे धूल। हाथ …
Read More »लिट्फेस्ट
यक्ष- युधिष्ठिर संवाद : कौन है सरकार ?
पंकज मिश्र यक्ष- कितने दिन हो गए ” भारत सरकार ” शब्द सुने हुए अब तो प्रधान मंत्री भी इसे मोदी सरकार कहते है | युधिष्ठिर – मने , आप कहना क्या चाहते है ….यक्ष | यक्ष – मोदी सेना के नाम पे नोटिस मिलती है और मोदी सरकार …
Read More »सहर में गांव की मस्जिद से आती…अजान की सुरीली सी आवाज…
सहर में गांव की मस्जिद से आती… अजान की सुरीली सी आवाज आवाज सुनकर रोज उठ जाता हूँ नींद से.. मेरे घर के पीछे वाली सड़क के उस पर है कलीम चचा के किराने की दुकान…… रोज करता हूँ उसकी कई बार परिक्रमा क्यूंकि वहां मिलता है मुझे मेरा अली …
Read More »लोकगीतों संग मनीष के लोकनृत्य का दिखा धमाल
जुबिली पोस्ट ब्यूरो लखनऊ। श्रीराम लीला समिति ऐशबाग के तुलसी शोध संस्थान की ओर से श्रीराम लीला परिसर में चल रहे भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव- 2019 में संजोली पाण्डेय के लोकगीतों व मनीष यादव के बुन्देलखण्डी लोकनृत्य ने मंत्र मुग्ध किया। समारोह में श्रीराम लीला समिति के सचिव …
Read More »मैं कभी कभी भगवान होना चाहता हूं, और सृजन कर देना चाहता…
मैं कभी कभी भगवान होना चाहता हूं, और सृजन कर देना चाहता हूं नई दुनिया का। हां, नई सृष्टि जिसमें सिर्फ अंधेरा हो क्योकि अंधेरा सुकून भरा होता है और उजाला हमें थका देता है। अंधेरे के सुकून में मां की छांव होती है और बीड़ी के धुंए के छल्ले …
Read More »शाखाएं मौसम हवायें सब उसी के खिलाफ…
शाखाएं मौसम हवायें सब उसी के खिलाफ हैं बस इसीलिए वो पत्ते आवारा हुए जा रहे हैं कलम दवात दिख रहे हैं आज कल मयखाने में ज़रूर कुछ लोग आज शायर बने जा रहे हैं । जंग ज़रूरतें और ज़िम्मेदारियों के बीच छिड़ी हुई है , और बेचारे ख्वाब हार …
Read More »सुख और दुख में फर्क यूं खुद को बताते हो…
सुख और दुख में फर्क यूं खुद को बताते हो, तुम उसको याद करते हो और भूल जाते हो तुम जिसको चाहते थे, हासिल न कर सके फिर खुशनसीब क्यों भला खुद को बताते हो क्या इस ख़ुशी में तेरी कहीं गम भी है शरीक क्यों रौशनी बुझा कर जन्मदिन …
Read More »तुम्हारा हंसना मादक है, मैंने बुरा नही माना…
तुम्हारा हंसना मादक है, मैंने बुरा नही माना, लेकिन मेरे आंसू का प्रिय तुमने भेद नही जाना। अपनेपन के हृदय मुकुर मे, परिचित मेरी तेरी छाया, सुख दुख के स्वप्नो की सरिता, पलकों का मन लगे पराया। नयनो के सावन का बादल, बनकर तुमको पहचाना।लेकिन .. स्मित अधरों की रेखा …
Read More »शूलों की सेज़ सा,आशिक़ का मकान होता है….!!
शूलों की सेज़ सा,आशिक़ का मकान होता है….!! मोहब्बत का सफ़र कहाँ आसान होता है| हासिल हो,तो ख़िलाफ़ सारा जहाँन होता है|| सिसकियों की ईंट पर, हादसों की खिड़कियां शूलों की सेज़ सा,आशिक़ का मकान होता है|| ज़िन्दगी निकलती है ,जब समंदर की सैर पर तब वहीँ नाँव से लिपटा,कोई …
Read More »रंगारंग सांंस्कृतिक कार्यक्रमों ने समां बांधा
जुबिली पोस्ट ब्यूरो लखनऊ। जवाहर भवन- इन्दिरा भवन कर्मचारी महासंघ के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण एवं होली मिलन समारोह मंगलवार को जवाहर भवन परिसर में रंगारंग कार्यक्रम के साथ सम्पन्न हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत बृज के लोकगीतों को मथुरा से आयी वन्दना ने अपने मधुर आवाज में श्रोताओं …
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