Sunday - 20 April 2025 - 9:02 PM

लिट्फेस्ट

नहीं रहे मंगलेश डबराल

जुबिली न्यूज़ डेस्क नई दिल्ली. सुप्रसिद्ध लेखक, कवि और पत्रकार मंगलेश डबराल का ह्रदय गति रुक जाने से निधन हो गया. वह 71 साल के थे. टिहरी-गढ़वाल में पैदा हुए मंगलेश डबराल के पांच कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं. जनसत्ता और अमृत प्रभात के अलावा सहारा समय में भी उन्होंने …

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‘फॉरेस्ट गम्प’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, ये ज़िंदगी का सबक है

दिनेश श्रीनेत   जीवन ही जीवन को बड़ा बनाता है। जीने की सार्थकता जीवन के भीतर है, उसके बाहर नहीं। किसी धर्म में नहीं, किसी दर्शन में नहीं, किसी स्वर्ग-नर्क में नहीं। जीवन का अर्थ उसके विस्तार से ही निकलता है। टॉम हैंक्स अभिनीत और रॉबर्ट जमैकस द्वारा निर्देशित फिल्म …

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मालविका हरिओम की ये 2 लाजवाब गज़ले

फिलहाल के दौर में तेजी से अपनी पहचान बना रहीं लखनऊ की शायरा मालविका हरिओम की गज़ल में जिंदगी की जद्दोजहद के साथ साथ मन की भावनाएं भी बखूबी झलकती हैं। जुबिली पोस्ट अपने पाठकों के लिए साहित्यकारों की इस नई पीढ़ी की रचनाएं लगातार प्रस्तुत करता रहा है। इसी …

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दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग्स इसलिए बना रही थीं लड़कियां

प्रमुख संवाददाता लखनऊ. हाईकोर्ट के पास दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग्स बनाते कलाकार सड़क पर गुजरने वालों के आकर्षण का केन्द्र बन गए. यह कलाकार पेंटिंग भी बना रहे थे और हैशतैग्स के साथ समाज को सन्देश भी देते जा रहे थे. महिला अधिकारों और महिला सशक्तिकरण का सन्देश देती इन …

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हैप्पी बर्थडे शेखर कपूर : जिसने बालीवुड से हालीवुड तक डंका बजाया

जुबिली न्यूज़ डेस्क नई दिल्ली. छह दिसम्बर की तारीख अयोध्या के साथ जुड़ गई है. यह तारीख सामने आती है तो ज़ेहन में बाबरी मस्जिद पर चढ़ी कारसेवकों की भीड़ नजर आती है लेकिन इस तारीख की एक और मायने में बड़ी अहमियत है. छह दिसम्बर को फ़िल्मी दुनिया की …

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किसान आंदोलन ने तो कवियों और शायरों को भी जगा दिया है

शबाहत हुसैन विजेता पूस के महीने की ठंडी रातों में भी दिल्ली के चारों तरफ किसान आंदोलन की गर्मी सभी को महसूस हो रही है। दिल्ली जाने वाली हर सड़क पर किसानों का डेरा है। जब सत्ता  इस आंदोलन को सियासी कुचक्रों में फँसाने के लिए पैंतरे चल रही है …

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किसानों के बहाने सत्ता की हकीकत बता रही है देवेन्द्र आर्य की गज़ल

  देश में चल रहे किसान आंदोलन ने कवियों को भी छुआ है । गजलगो देवेन्द्र आर्य ने वर्तमान माहौल पर एक सचेत साहित्यकार की तरह हमेशा ही टिप्पणी की है । उनकी इन गज़लों में भी आप इसे महसूस कर सकते हैं। गोरखपुर में रहने वाले देवेन्द्र आर्य अपनी हिन्दी गज़लों …

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‘यादों’ को नई पहचान देने वाले शायर डॉ. बशीर बद्र की याददाश्त गुम

उत्कर्ष सिन्हा “उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए .”  ये मशहूर शेर कहने वाला मकबूल शायर फिलहाल अपनी याददाश्त से ही जंग लड़ रहा है।  हम बात कर रहे हैं इस दौर के सबसे बड़े शायर बशीर बद्र …

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कथाकार नरेन: साहित्य के साथ सिनेमा और विज्ञान में भी दखल

जयनारायण प्रसाद पिछले साल दुर्गापूजा उत्सव के बीच पटना जाना हुआ था। साथ में मित्र धर्मेंद्र कुमार माहुरी भी थे। नरेन को फोन किया, तो कहने लगा- मेरे यहां ही ठहरना होगा। उसकी जिद् के आगे नतमस्तक था। पूरे एक दिन और एक रात उसके घर ही था। खूब बातचीत …

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ललकी चुनरिया उढ़ाई द नजरा जइहैं मइया ….

प्रमुख संवाददाता लखनऊ. उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के स्थापना दिवस पर पारम्परिक गीतों का उछाह हिलोरें लेता दिखाई दिया. यहां छठ पर्व के क़रीब- छठी माई के घरवा पे… व उगहे सुरुज देव भइले भिनसरवा…. जैसे छठ गीतों के संग माड़व तो भल सुंदर…. व अम्मा सावन मां जिया …

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