धनंजय कुमार जीवन और मृत्यु दोनों के ऊपर हमारा वश नहीं है. दोनों नियत है. जो जन्मा है उसकी मृत्यु होगी ही. किसी की ज़िंदगी पलभर की हो या किसी की सौ साल की. लेकिन…लेकिन जब कोई छोटी उम्र में ही मृत्यु की गुफ़ा में समा जाय तो दुःख ज़्यादा …
Read More »जुबिली डिबेट
डंके की चोट पर : … तो जन्नत में बदल गई होती यह ज़मीन
शबाहत हुसैन विजेता कुछ महीने से बड़ी शर्मिंदगी की साँसें ले रहा था. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हमारे मेहमान थे और हम दिल्ली की सड़कों पर हिन्दू-मुसलमान कर रहे थे. मेहमान की मौजूदगी में 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. सरकारी और गैर सरकारी प्रोपर्टी जलाकर ख़ाक …
Read More »कोरोना संकट के बीच मोदी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा
कृष्णमोहन झा केंद्र में मोदी सरकार की दूसरी पारी का प्रथम वर्ष पूर्ण हो चुका है लेकिन वर्तमान परिस्थितियां सरकार को इस अवसर पर उल्लासपूर्ण आयोजन करने की अनुमति नहीं दे रही हैं। देश में कोरोना संक्रमण ने जो भयावह रूप अख्तियार कर लिया है उसे देखते हुए सरकार खुद …
Read More »पीएम मोदी को इस पर भी ध्यान देना होगा कि कहीं विपक्ष अर्थहीन न हो जाए
प्रीति सिंह मजबूत विपक्ष किसी भी देश के अस्तित्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मजबूत विपक्ष को लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था के लिए बेहद जरूरी माना जाता है वह वर्तमान में भारत में नदारद दिख रहा है। 2014 में मोदी के सत्तासीन होने के बाद विपक्ष का जो कमजोर होने का …
Read More »जीने के लिए कोई ऐसे मरता है यारों?
घर लौट रही श्रमिकों की भीड़ में हर शक्स अकेला है कोई सफर में मर जाता, हमसफर को खबर तक न होती राजीव ओझा घर लौटने की जद्दोजहद में कुछ श्रमिक अक्सर रास्ते में ही मर जाते हैं। हम बस आह कर के रह जाते हैं। हादसों के लिए दूसरों …
Read More »मोदी काल में पत्रकारिता
सुरेन्द्र दुबे आज पत्रकारिता दिवस है इसलिए हमने सोचा कि क्यों न हम पत्रकारिता की दशा और दुर्दशा पर चिंतन करें. हो सकता है पत्रकारिता आने वाले दिनों में और निचले पायदान पर चली जाए या हो सकता है कि पत्रकारों की आत्मा जागे जिससे समाज को लगे कि भले …
Read More »4 साल में आधी हो गई GDP, आर्थिक मोर्चे पर असफल रहे नरेंद्र मोदी ?
उत्कर्ष सिन्हा कुछ वक्त पहले जब भारत की अर्थव्ययवस्था के 5 ट्रिलियन होने का लक्ष्य घोषित किया गया था, तब ये खबर हफ्तों मीडिया की सुर्खियों में रही थी। सरकार के नुमाईनदे और समर्थक इस खबर को लगातार चर्चा में बनाए हुए थे। लेकिन अब जब आर्थिक मोर्चे से बुरी …
Read More »लाक डाउन 5.0 की विवशता को स्वीकार करें हम
कृष्णमोहन झा कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए संपूर्ण देश में जब पहली बार21 दिन के लाक डाउन कीघोषणा की गई थीतब हमें यह उम्मीद थी कि कोरोना वायरस को परास्त करने के लिए यह अवधि पर्याप्त सिद्ध होगी परंतु 21 दिनों कीअवधि पुर्ण होने के पहले …
Read More »टिड्डियों का हमला तो आम बात है, फिर इतना शोर क्यों?
डॉ. प्रशान्त राय विश्व भर में 2020 का वर्ष लगातार प्राकृतिक या यूँ कहें तो जैविक आपदावो से घिरा हुवा वर्ष साबित हो रहा है। पहले क़ोरोना नामक एक विषाणु पूरे विश्व पर क़ब्ज़ा किया और तमाम विकसित और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को धाराशाई कर दिया। दूसरी तरफ़ आसमानी …
Read More »क्या कोरोना युद्ध में असफल हो रही है सरकार ?
उत्कर्ष सिन्हा ये खबर लिखने के वक्त 64 दिन हो चुके हैं जब हमारे प्रधानमंत्री ने कोरोना से लड़ाई की शुरुआत की घोषणा जनता कर्फ्यू के साथ की थी । आज दो महीने 4 दिन बाद हालात और भी बदतर हो चुके हैं। शहरों में सिमटा कोरोना गावों तक पहुच …
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