सुरेंद्र दुबे कोरोना महामारी और उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन के कारण हमारी अर्थव्यवस्था चरमरा कर ढह गई है। सेंटर फॉर मॉनिटारिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार लगभग 12 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं। इसके अलावा कई करोड़ लोग आंशिक रूप से बेरोजगार हुए हैं या फिर उन्हें दूसरी …
Read More »जुबिली डिबेट
जिंदगी का लॉकडाउन अब भी जारी है
संदीप पाण्डेय केन्द्रीय सरकार 2.0 के सालाना जश्न को मिली छूट के बीच जिंदगी का लॉकडाउन अब भी जारी है। वैसे भी लॉकडाउन नाम के इलाज के दौरान मरीजों की संख्या घटने के बजाए विस्फोटक तरीके से बढ़ी। तो अब थोड़ा टेस्ट कर लिया जाए। 4 घंटे की मोहल्लत में …
Read More »रास्तों पर कांटें हैं, इन्हें गुलाब कहने भर से सफर नहीं कट सकता
डॉ. श्रीश पाठक वजहें अधिकतर नाजायज हैं और कुछ जायज हैं लेकिन यह सच है कि देश कोरोना से वैसे जूझ नहीं सका, जैसी उम्मीद थी। केंद्र सरकार मानो यह मानकर चल रही थी कि भारत में यह बीमारी अपने रौद्र रूप में नहीं आने पाएगी। जिस देश की सरकारें …
Read More »काश ! फेविकोल से जुड़ता जीवन का रिश्ता, संगीतकार वाजिद की यादें
धनंजय कुमार जीवन और मृत्यु दोनों के ऊपर हमारा वश नहीं है. दोनों नियत है. जो जन्मा है उसकी मृत्यु होगी ही. किसी की ज़िंदगी पलभर की हो या किसी की सौ साल की. लेकिन…लेकिन जब कोई छोटी उम्र में ही मृत्यु की गुफ़ा में समा जाय तो दुःख ज़्यादा …
Read More »डंके की चोट पर : … तो जन्नत में बदल गई होती यह ज़मीन
शबाहत हुसैन विजेता कुछ महीने से बड़ी शर्मिंदगी की साँसें ले रहा था. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हमारे मेहमान थे और हम दिल्ली की सड़कों पर हिन्दू-मुसलमान कर रहे थे. मेहमान की मौजूदगी में 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. सरकारी और गैर सरकारी प्रोपर्टी जलाकर ख़ाक …
Read More »कोरोना संकट के बीच मोदी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा
कृष्णमोहन झा केंद्र में मोदी सरकार की दूसरी पारी का प्रथम वर्ष पूर्ण हो चुका है लेकिन वर्तमान परिस्थितियां सरकार को इस अवसर पर उल्लासपूर्ण आयोजन करने की अनुमति नहीं दे रही हैं। देश में कोरोना संक्रमण ने जो भयावह रूप अख्तियार कर लिया है उसे देखते हुए सरकार खुद …
Read More »पीएम मोदी को इस पर भी ध्यान देना होगा कि कहीं विपक्ष अर्थहीन न हो जाए
प्रीति सिंह मजबूत विपक्ष किसी भी देश के अस्तित्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मजबूत विपक्ष को लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था के लिए बेहद जरूरी माना जाता है वह वर्तमान में भारत में नदारद दिख रहा है। 2014 में मोदी के सत्तासीन होने के बाद विपक्ष का जो कमजोर होने का …
Read More »जीने के लिए कोई ऐसे मरता है यारों?
घर लौट रही श्रमिकों की भीड़ में हर शक्स अकेला है कोई सफर में मर जाता, हमसफर को खबर तक न होती राजीव ओझा घर लौटने की जद्दोजहद में कुछ श्रमिक अक्सर रास्ते में ही मर जाते हैं। हम बस आह कर के रह जाते हैं। हादसों के लिए दूसरों …
Read More »मोदी काल में पत्रकारिता
सुरेन्द्र दुबे आज पत्रकारिता दिवस है इसलिए हमने सोचा कि क्यों न हम पत्रकारिता की दशा और दुर्दशा पर चिंतन करें. हो सकता है पत्रकारिता आने वाले दिनों में और निचले पायदान पर चली जाए या हो सकता है कि पत्रकारों की आत्मा जागे जिससे समाज को लगे कि भले …
Read More »4 साल में आधी हो गई GDP, आर्थिक मोर्चे पर असफल रहे नरेंद्र मोदी ?
उत्कर्ष सिन्हा कुछ वक्त पहले जब भारत की अर्थव्ययवस्था के 5 ट्रिलियन होने का लक्ष्य घोषित किया गया था, तब ये खबर हफ्तों मीडिया की सुर्खियों में रही थी। सरकार के नुमाईनदे और समर्थक इस खबर को लगातार चर्चा में बनाए हुए थे। लेकिन अब जब आर्थिक मोर्चे से बुरी …
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