डा. रवीन्द्र अरजरिया दुनिया के सामने मातृभूमि की छवि धूमिल करने की एक कोशिश गोरों की धरती पर फिर हो रही है। लंदन के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में आइडियाज फार इंडिया सम्मेलन का आयोजन किया गया। यूं तो कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी गुलामी के दौर से ही भारत के विरुध्द वहां पढने वाले …
Read More »जुबिली डिबेट
जिसको सिर माथे लगाती है कांग्रेस वे क्यों छोड़ रहे साथ?
यशोदा श्रीवास्तव राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर का कांग्रेस जनों पर क्या और कितना प्रभाव होगा इसके प्रकटीकरण में वक्त लगेगा लेकिन इसके पहले साइड इफेक्ट दिखने लगा। जब चिंतन शिविर मे युवाओं को जोड़ने और कांग्रेस के बुजुर्गो के अनुभवों का अनुसरण करने की …
Read More »डंके की चोट पर : वक्त के गाल पर हमेशा के लिए रुका एक आंसू है ताजमहल
शबाहत हुसैन विजेता अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ताजमहल के सामने आकर खड़े हुए तो बस खड़े ही रह गए. एक दम विस्मित, आश्चर्यचकित. मुंह से शब्द निकलना मुश्किल हो गया. जब सामान्य हुए तो बोले कि इस दुनिया में दो तरह के लोग हैं. एक वह जिन्होंने ताजमहल देखा है …
Read More »लुंबिनी से पीएम मोदी ने साधे कई लक्ष्य
यशोदा श्रीवास्तव 16 मई बुद्ध पूर्णिमा के दिन भारत के प्रधानमंत्री मोदी का नेपाल में भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी आगमन कई मायने में अहम रहा. लुंबिनी यानी बुद्ध के जन्मस्थली तक जाने के लिए बुद्ध के परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर होकर जाना भी बस “यूं ही” नहीं था. बुद्ध का …
Read More »शतरंजी चालों से राजनैतिक दलों ने बिगाड़ा है देश का माहौल
डा. रवीन्द्र अरजरिया देश में दलगत राजनीति ने हमेशा से ही फूट डालो, राज करो की नीति अपनाई। दूरगामी योजनायें बनाकर शतरंज की चालें चलीं। जातिगत, आस्थागत और व्यवहारगत विभेदों को हमेशा ही हवा देकर टकराव की स्थितियां पैदा की। भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवानी ने सितम्बर सन …
Read More »राष्ट्र भक्त युवा या डिग्री धारक युवा : क्या राष्ट्रीय गौरव न्यूनतम 36% ही होना चाहिए?
प्रो. अशोक कुमार बात गोरखपुर की है। मैं एक बार एक सांस्कृतिक संध्या में गया हुआ था। सांस्कृतिक संध्या में मेरे साथ में एक माननीय सांसद जी बैठे हुए थे। हम सभी लोग मुख्य अतिथि का इंतजार कर रहे थे, उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। लेकिन इसी बीच वर्षा आ …
Read More »डंके की चोट पर : सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं बिकने दूंगा
शबाहत हुसैन विजेता मेरे पसंदीदा शायर बशीर बद्र ने लिखा था, “उम्र बीत जाती है एक घर बनाने में, तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में” यह शेर हालांकि उनका खुद का दर्द था. यह शेर मेरठ में हुए दंगे से निकला था. मगर हकीकत की ज़िन्दगी में खुद को …
Read More »सुखद नहीं है धर्म के नाम पर कट्टरता परोसना
डॉ. रवीन्द्र अरजरिया वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम एक बार फिर बाधित किया जाने लगा है. मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने सर्वे में सहयोग न करने की घोषणा कर दी है. प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से कोर्ट कमिश्नर को बदलने हेतु सिविल जज सीनियर …
Read More »नेपाल: निकाय चुनाव परिणाम के बाद बदलेंगे राजनीतिक समीकरण
यशोदा श्रीवास्तव नेपाल में जो गांव पालिका से लगायत नगरपालिका व मेयर के चुनाव हो रहे हैं, दरअसल यह आम चुनाव का लिटमस टेस्ट है। संपूर्ण नेपाल में इन पदों का परिणाम इस बात का संकेत होगा कि सात आठ महीने बाद नेपाल में होने वाले संसद व विधानसभा चुनाव …
Read More »डंके की चोट पर : उसके कत्ल पे मैं भी चुप था, मेरा नम्बर अब आया
शबाहत हुसैन विजेता वह लाउडस्पीकर पर चिल्ला रहे हैं लाउडस्पीकर के खिलाफ. वह हिन्दुओं से चार-चार बच्चे पैदा करने को कह रहे हैं जिन्हें न तो शादी में आस्था है और न ही दुनियावी रिश्तों में. जिन्हें निर्माण की ज़िम्मेदारी दी गई है वह बुल्डोजर लेकर निकल पड़े हैं, और …
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