नवेद शिकोह पत्रकारिता के सुनहरे दौर के गवाह अनूप श्रीवास्तव भी चले गए अट्टहास अंत में आंखों में आंसू ला देता है। ज़िन्दगी भी अट्टहास है और हंसती-खेलती ज़िन्दगी का अंत भी आंसू यानी मौत है। अनूप श्रीवास्तव जी के संपादन में अट्टहास पत्रिका का ये आखिरी अंक था। …
Read More »जुबिली डिबेट
एकत्र जातियों का अमृत कलश ‘महाकुंभ’
नवेद शिकोह एक जमाना था जब कुंभ में खो जाने का भय बना रहता था, पर आज का कुंभ इकट्ठा होकर मिल जाने की नज़ीर बन रहा है। दूरसंचार की क्रांति के बाद का ये महाकुंभ प्रयागराज के संगम पर लोगों को मिलवा रहा है, जातियों का भेद मिटा रहा …
Read More »क्या विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता केवल अकादमिक ही होनी चाहिये ?
अशोक कुमार यह एक बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न है जो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लगातार चर्चा का विषय बना रहता है। अकादमिक स्वायत्तता क्या है? यह विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रम, शोध और शिक्षण पद्धतियों को स्वतंत्र रूप से निर्धारित करने की अनुमति देती है। यह उन्हें नवाचार करने और वैश्विक …
Read More »आज भी प्रासंगिक हैं स्वामी विवेकानंद के विचार
कृष्णमोहन झायह एक प्रसिद्ध कहावत है कि जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होना चाहिए। यह कहावत भारतीय दर्शन और अध्यात्म के प्रकांड विद्वान और युवा पीढ़ी के अनन्य प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद का के यशस्वी व्यक्तित्व और कृतित्व पर पूरी तरह खरी उतरती है जिनके क्रांतिकारी विचारों ने मात्र 39 वर्ष …
Read More »जो कभी नहीं रहा विवादों में उसकी मौत हुई रहस्यमई
जुबिली स्पेशल डेस्क 2 अक्टूबर को ही देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती मनाई जाती है जबकि 11 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में उनकी बड़ी रहस्यमयी तरीके से मौत हुई थी। उनकी सादगी अपने आप में एक मिसाल है। ईमानदारी और स्वाभिमानी छवि की …
Read More »दिल्ली में कांग्रेस के सामने शून्य से शुरुआत करने की चुनौती
कृष्णमोहन झा केंद्रीय चुनाव आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की विधानसभा के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है और इसी के साथ वहां चुनाव में किस्मत आजमाने की मंशा रखने वाले राजनीतिक दलों के चुनाव अभियान में तेजी आ गई है। इन दलों में आम आदमी पार्टी और …
Read More »प्रवासी पक्षियों को रास नहीं आया अयोध्या का ग्लोबलाइजेशन…
✍️ओम प्रकाश सिंह कंक्रीट के उगते जंगलों ने ईश्वर प्रदत्त प्राकृतिक वातावरण का हरण कर लिया है। उन वृक्षों को काटा जा रहा है जिनमें देवता वास करते हैं। जल स्रोत सूख रहे हैं। झील, तालाब, कुएं अब इतिहास बनते जा रहे हैं। नदियों से छेड़खानी की जा रही है। …
Read More »राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में रुकावट क्यों है ?
प्रो. अशोक कुमार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी रुकावट इसके प्रशंसक है जो इस नीति की वास्तविक ज़मीनी हक़ीक़त की अनदेखी कर रहे हैं ।यह जमीनी हकीकत है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) अभी तक देश में पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है। इसके पीछे …
Read More »उच्च शिक्षा के लिए 2025 होगा महत्वपूर्ण वर्ष
प्रो. अशोक कुमार 2025, भारत की उच्च शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष होने की आशा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के साथ, हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं जहां उच्च शिक्षा अधिक समावेशी, नवीन और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी होगी। 2025 तक, हम निम्नलिखित परिवर्तनों …
Read More »RSS के सौवे वर्ष में उल्टी गंगा : संघ से उलेमा सहमत, साधु-संत असहमत
नवेद शिकोह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष ऐसा रंग दिखा रहा है जो रंग पिछले सौ वर्षों में कभी नजर नहीं आया। पहली बार लग रहा है कि बीजेपी आंख बंद करके आर एस एस की आज्ञा मानने को शायद तैयार ना हो। खासकर यूपी में तो ऐसा ही …
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