नदीम अख्तर अगर शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस में आकर पटना साहिब से बीजेपी कैंडिडेट रविशंकर प्रसाद को टक्कर दें तो कौन जीतेगा? शत्रुघ्न सिन्हा को हल्के में ना लीजिएगा। पहली बात। दूसरी बात। बीजेपी ने मुस्लिम चेहरा शाहनवाज हुसैन का टिकट काट दिया। बीजेपी प्रवक्ता कह रहे हैं कि ये …
Read More »जुबिली डिबेट
बनारसी अड़ी : काशी में प्रियंका और होली
अभिषेक श्रीवास्तव पूरा नाम उनका जो भी हो, आमजन उन्हें ‘विश्लेषण’ गुरु की संज्ञा देते हैं। गुरु की खूबी के चलते यह नाम पड़ा है। गुरु हर मुंह से निकली हर बात को उक्त मुंह का विश्लेषण मान लेते हैं। चूंकि प्रत्येक का विश्लेषण विशिष्ट और मौलिक होता है, लिहाजा …
Read More »सावधान पाकिस्तान: मुमकिन है तीसरी स्ट्राइक …
कृष्णमोहन झा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ दिनों पूर्व एक नारा दिया था ‘मोदी है तो मुमकिन है’ और उन्होंने शीघ्र ही अपने नारे को सच साबित कर दिखाया। प्रधानमंत्री मोदी ने सारी दुनिया को यह दिखा दिया कि उनके हाथों में देश के प्रधानमंत्री पद की बागडोर थी इसीलिये …
Read More »बैंको से तो ख़त्म हो रही चौकीदार की नौकरियां !
उत्कर्ष सिन्हा चौकीदार चोर है के नारे पर नरेंद्र मोदी आक्रामक हो चले हैं। ठीक वैसे ही जैसे 5 साल पहले चाय वाले विशेषण पर हुए थे। तब उन्होंने चाय वालों से खूब बात की और भाजपा ने गली निक्कड़ पर “चाय पर चर्चा” नाम से आयोजनों की झड़ी लगा …
Read More »राजनीतिक दलो के एजेंडे से गायब है महिला रोजगार का मुद्दा
डॉ. योगेश बंधु वैसे तो मुद्दों के मामले में 17वी लोकसभा के चुनाव अन्य चुनावों से एकदम अलग हैं। सभी राजनीतिक दल वास्तविक मुद्दों से अलग जुमलों की लड़ाई में उलझे हुए हैं। ऐसे में महिलाओ के श्रम अधिकारों और उनके आर्थिक और राजनीतिक अवसरों की कमी से बढ रही …
Read More »गठबंधन के बाहर क्या है कांग्रेस की उम्मीदें
रतन मणि लाल कोई समझौता नहीं, फिर भी है. कोई जगह नहीं, फिर भी है. अभी कोई बात नहीं, लेकिन गुंजाईश फिर भी है। ऐसा तो किन्ही दो गहरे चाहने वालों के बीच ही होता है, और हमारा साहित्य ऐसी कहानियों से भरा हुआ है, लेकिन आजकल की राजनीति में …
Read More »राष्ट्रवाद के समकालीन भारतीय सन्दर्भ
श्रीश पाठक जैसे मनोविज्ञान के लिए मन, अर्थशास्त्र के अर्थ, भौतिकी के लिए पदार्थ, भूगोल के लिए पृथ्वी और समाजशास्त्र के लिए समाज सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, वैसे ही राजनीति शास्त्र के लिए राज्य की संकल्पना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एवं सर्वांगीण विकास के …
Read More »राम मंदिर : जी हां यह प्रतीक्षा करो और देखो का समय है….
कृष्णमोहन झा सर्वोच्च न्यायालय ने रामजन्म भूमि बाबरी, मस्जिद विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने की नई पहल की है। सर्वोच्च न्यायालय ने संबधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा था कि बाबर ने जो किया है, उस पर हमारा नियंत्रण नहीं था। अब हमारी कोशिश विवाद को सुलझाने की …
Read More »यादव वोट बैंक : जागरूक, ताकतवर और दांव-पेच में माहिर!
राजेन्द्र कुमार यूपी में यादव समाज पिछड़ों के नव सामंत हैं। यूं कहें, यादव समाज यूपी में पिछड़े वर्ग का सबसे आक्रमक और दबंग वोट बैंक है । गैर कांग्रेसवाद का जनक है, जिसमें अपने अधिकारों के लिए कुछ भी करने का माद्दा है। जोड़तोड़ में माहिर है। कभी खेती …
Read More »दुर्भाग्यपूर्ण है सेना के पराक्रम का प्रमाण मांगना
डा. रवीन्द्र अरजरिया विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र में चुनावी बिगुल बजते ही राजनैतिक आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर तेज हो गया है। सत्ताधारी पार्टी पर विपक्ष ने एक जुट होकर हमला बोलना शुरू कर दिया है। राष्ट्र की एकता, अखण्डता और संप्रभुता की कीमत पर भी वोट बटोरने की चालें तेज …
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