डा. रवीन्द्र अरजरिया समय के साथ सब कुछ बदल जाता है। बदलाव का यह क्रम देश के भविष्य के साथ भी दिखना चाहिये। वर्तमान के शब्दों से भविष्य की तस्वीर बनती हुई दिखना चाहिये। बजट की घोषणाओं में लुभावने दृश्य देखने को मिले। स्वर्णिम आभा की आशायें जागी। इन सब …
Read More »जुबिली डिबेट
डंके की चोट पर : सिलसिला जो बड़ा दर्द देता है
शबाहत हुसैन विजेता एक रिक्शे पर तीन लाशें लदीं थीं। बिल्कुल वैसे ही जैसे धोबी एक के ऊपर एक कपड़े की गठरियां लादता है। उन लाशों के ऊपर पुलिस का एक सिपाही बैठा था। सिपाही को देखकर यह लग ही नहीं रहा था कि वह अपने जैसे इन्सानों की लाशों …
Read More »योगी का आपरेशन 1076
के पी सिंह स्वच्छ और संवेदनशील प्रशासन के मोर्चे पर योगी सरकार सिर्फ मीडिया में प्रचार के दम पर जिंदा रहना चाहती है। इसलिए वह इसके लिए उपलब्ध संस्थाओं और संसाधनों के उपयोग की बेहतर रणनीति नहीं बना पा रही है। योगी सरकार को सोचना होगा कि छलावे से बहुत …
Read More »गांव, गरीब और किसान के लिए जीरो बजट
धर्मेंद्र मालिक देश की पहली महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा बजट पेश किए जाने से किसानों को काफी उम्मीदें थीं। किसानों को उम्मीद थी कि निर्मला सीतारमन द्वारा पिछली सरकार में वाणिज्य मंत्री के रूप में व्यापार को आसान बनाने के लिए 7,000 कदम उठाए गए थे। कृषि को …
Read More »हाथ में कटोरा और पीटेंगे ढिंढोरा
सुरेंद्र दूबे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान आगामी 22 जुलाई को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मिलने जाने वाले है। उद्देश्य साफ़ है पाकिस्तान के लिए इमदाद मांगनी है। सबको मालूम है पाकिस्तान पूरी तरह से कर्ज में डूबा हुआ है जो कुछ उसकी कमाई होती है या कही …
Read More »क्या मोदी की नाराजगी कोई रंग लाएगी
सुरेंद्र दुबे आइये सबसे पहले ये देखते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाश विजयवर्गिय द्वारा इंदौर नगर निगम के अधिकारी की क्रिकेट बैट से पिटाई किए जाने की घटना पर क्या कहा इसके बाद इस वक्तव्य में प्रधानमंत्री द्वारा कही गई बातों का अर्थ ढूंढने की कोशिश करेंगे। दिल्ली …
Read More »क्या कांग्रेस को किसी भरत की तलाश है
सुरेंद्र दुबे गत 23 मई को लोकसभा चुनाव के परिणाम आए थे, जिसमें कांग्रेस को मात्र 52 सीटे मिली। कहने को तो ये सीटे वर्ष 2014 के चुनाव से 44 से 8 ज्यादा थी, पर इस बार जितनी फजीहत कांग्रेस की हुई उतनी फजीहत 44 सीटें पाने पर नहीं हुई …
Read More »किस राह पर चल रहे हैं मध्यमवर्गीय परिवार
डा. रवीन्द्र अरजरिया देश की लोकतांत्रिक प्रणाली में अनुशासनात्मक व्यवस्था हेतु नियम बनने का काम विधायिका को सौंपा गया है। नियमों के अनुपालन हेतु कार्यपालिका को स्थापित किया गया। अनियमितताओं, अनुशासनहीनता एवं अमानवीय व्यवहार करने वालों को दण्डित करने हेतु न्यायपालिका की संरचना की गई। नियमों के अनुपालन में की …
Read More »घर में नहीं है खाने को, अम्मा चली भुनाने को
सुरेन्द्र दुबे एक कहावत है-घर में नहीं है खाने को, अम्मा चली भुनाने को कुछ ऐसा ही काम हमारी केन्द्र व राज्य सरकारें कर रही हैं। नौकरियों का पता नहीं है, जो पद खाली पड़े हैं उन पर नियुक्तियां करने की सरकार की मंशा नहीं है। जो पद खाली हो …
Read More »ज़िन्दगी के रंग इसी माहौल से पैदा होते हैं
शबाहत हुसैन विजेता दवा खरीदने के लिये मेडिकल स्टोर पर गया। इस मेडिकल स्टोर के एक हिस्से में स्किन स्पेशलिस्ट डाक्टर का चैम्बर भी है। नेमप्लेट के साथ ही लिखा है कंसल्टेशन फीस 300 रुपये। उस मेडिकल स्टोर के मालिक के हाथ से लेकर सर तक में सफ़ेद दाग …
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