Wednesday - 30 October 2024 - 5:46 PM

धोखाधड़ी व गबन मामले में अवध विवि के पूर्व कुलपति पर केस दर्ज

जुबिली स्पेशल डेस्क

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जीसीआर जायसवाल व पूर्व प्रभारी कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक एमए अंसारी समेत तीन लोगों पर धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, दस्तावेजों में हेराफेरी जैसे गंभीर मामलों को लेकर नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है।

जानकारी के मुताबिक यह मुकदमा विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. अजय प्रताप सिंह की तहरीर के बाद दर्ज किया गया है। पूर्व कुलपति जी सी आर जैसवाल व प्रभारी पूर्व कुलसचिव एम ए अंसारी के ऊपर धारा 419,420,467,468,471,409 व 120बी के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया है। । वर्तमान में प्रो. जायसवाल बिहार के पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय नालंदा के कुलपति हैं, जबकि अंसारी सेवानिवृत्त होकर लखनऊ में रहते हैं।

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बता दें कि इस पूरे मामले की जांच तीन साल पहले एसआईटी व मंडलायुक्त ने की थी। जांच के बाद दोनों को दोषी बताया गया था। इतना ही नहीं रिपोर्ट कराने के लिए कहा गया था। हालांकि बाद में मामले को दबा दिया गया था।

जिसके तहत थाना कोतवाली नगर में डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्विद्यालय के कुलानुशासक प्रो अजय प्रताप सिंह ने विश्विद्यालय की तरफ से पूर्व कुलपति जी सी आर जैसवाल और पूर्व प्रभारी कुलसचिव एम ए अंसारी के खिलाफ कोतवाली नगर में मुकदमा पंजीकृत कराया।

मंडलायुक्त द्वारा की गई जांच की आख्या 7 जनवरी 2017 के आधार पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के लिए तत्कालीन कुलानुशासक प्रो. आरएन राय द्वारा एसपी सिटी को पत्र भेजा गया था, बावजूद इसके एफआईआर दर्ज नहीं की गई। वहीं, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 11 जुलाई 2020 को जारी पत्र में इन दोनों पर केस दर्ज कराने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे।

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अवध विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. अजय प्रताप सिंह ने अपनी तहरीर में आरोप लगाया है कि पूर्व परीक्षा नियंत्रक व प्रभारी कुलसचिव एएम अंसारी ने कुलपति जीसीआर जायसवाल की मदद से बगैर टेंडर व कोटेशन के अपने लिए वाहन व चालक उपलब्ध कराया। साथ ही लॉग बुक में प्रतिदिन 80 किलोमीटर की यात्रा दर्शाइ, जबकि उनका घर विश्वविद्यालय से महज डेढ़ किलोमीटर दूर है।

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यही नहीं अंसारी ने यात्रा के नाम पर विश्वविद्यालय को लाखों रुपए की हानि पहुंचाई। अंसारी ने अपने कार्यकाल के दौरान नियम विरुद्ध व आर्थिक लाभ हासिल करते हुए कर्मचारियों का स्थानांतरण भी किया। उन्होंने अनुबंध से अघिक श्रमिकों का भुगतान करा कर लाखों हड़पे, साथ ही लैडिंग सहायक अखंड प्रताप सिंह का वेतन केंद्रीय पुस्तकालय कर्मचारियों के वेतन पर्ची के साथ सम्मिलित किए जाने की कूट रचना की। आरोप है कि गोपनीय प्रिंटिंग के नाम पर सुरक्षा एजेंसी अनुबंध व कैंप ऑफिस के नाम पर करोड़ों का वारा न्यारा किया गया।

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