Tuesday - 29 October 2024 - 12:11 AM

कोरोना काल में कैंसर और डायबिटीज के मरीजों की हालत खस्ता

  • कैंसर, दिल, डायबिटीज जैसी बीमारियों से हर साल दुनिया भर में 4.1 करोड़ लोग गवाते हैं जान
  • कोरोना के कारण दबाव में आया हेल्थ केयर सिस्ट, दूसरी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की नहीं कर पा रहा है देखभाल

न्यूज डेस्क

कोरोना महामारी और तालाबंदी के बीच दुनिया भर के देशों में हालात बदल गए हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित दिल, कैंसर और डायबिटीज के मरीज हुए हैं। भारत ही नहीं दुनिया के 155 देशों में दिल, कैंसर, किडनी और डायविटीज के मरीजों की सुध लेने की फुर्सत किसी को नहीं है। इन देशों में पूरा स्वास्थ्य महकमा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में लग या और इसके चक्कर में बाकी गंभीर रोगों के मरीज की हालत खस्ता हो गई है।

कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में कैंसर और डायबिटीज के मरीजों की हालत खस्ता है। करीब 155 देशों में उन्हें इलाज पाने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक सर्वें के अनुसार कोरोना वायरस के कारण दबाव में आया हेल्थ केयर सिस्टम दूसरी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की देखभाल नहीं कर पा रहा है। 155 देशों में डब्ल्यूएचओ ने सर्वे के बाद यह दावा किया है।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेदरोस आदानोम ग्रैबिएसिस कहते हैं, “कई लोग, जिन्हें कैंसर, कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों और डायबिटीज के लिए इलाज की जरूरत है, उन्हें महामारी के शुरू होने के बाद से स्वास्थ्य सेवाएं और दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। ”

सर्वे के मुताबिक 31 प्रतिशत देशों को हार्ट संबंधी बीमारियों का इलाज सीमित या पूरी तरह निलंबित करना पड़ा है, तो वहीं 42  प्रतिशत देशों में कैंसर ट्रीटमेंट प्रभावित हुआ है।

दुनिया के 75 से अधिक देशों में डायबिटीज के मरीज स्वास्थ्य सेवाओं की कमी झेल रहे हैं तो हाई बीपी से जूझ रहे लोगों पर तो शायद ही कहीं पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है। सर्वे में यह भी पता चला कि 31 फीसदी देशों में हार्ट इमरजेंसी के मामले भी झटके खा रहे हैं।

ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने वाले स्क्रीनिंग प्रोग्राम तो 75 से ज्यादा देशों में निलंबित करने पड़े हैं।

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सर्वे में शामिल ज्यादातर देशों में हेल्थ केयर वर्कर कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं। तालाबंदी का भी आम स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी असर पड़ा।

ग्रैबिएसिस के अनुसार, “कोविड-19 से लडऩे का साथ ही यह भी अहम है कि देश असंक्रामक बीमारियों के लिए जरूरी इलाज के लिए नए तरीके खोजें। ”

सर्वे के मुताबिक निम्न आय वर्ग वाले देशों में ऐसी समस्याएं ज्यादा सामने आ रही हैं। कैंसर, दिल, डायबिटीज जैसी बीमारियों से हर साल दुनिया भर में 4.1 करोड़ लोग मारे जाते हैं।

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