जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. दिल्ली के सिन्धु बार्डर पर ट्रकों पर सवार होकर चार दर्जन घोड़े पहुंचे हैं. यह घोड़े आने वाले दिनों में सरकार की नींद हराम कर सकते हैं. एक तरफ सरकार इस बात पर अड़ी हुई है कि वह किसानों के लिए बनाए गए क़ानून रद्द नहीं करेगी तो दूसरी तरफ किसानों ने भी आरपार की लड़ाई करने का मन बना लिया है.
दिल्ली घेरने के लिए आये किसानों ने शुरू में यह बताया था कि वह अगले छह महीने की तैयारी के साथ आये हैं लेकिन घोड़े आने के बाद जो हालात बन रहे हैं वह सरकार को जल्दी झुकाने की तकनीक नज़र आ रहे हैं.
सिन्धु बार्डर पर किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरीकेडिंग लगा रखी है. इस बैरीकेडिंग के आसपास पुलिस का जो इंतजाम है उसमें किसानों का उसे पार कर पाना आसान नहीं है. किसानों ने तय किया है कि पांच दिसम्बर की बैठक में भी अगर बात नहीं बनी तो किसान दिल्ली पहुँचने के लिए घोड़ों का इस्तेमाल करेंगे.
घोड़ों पर सवार किसान पुलिस के बैरीकेड्स लांघ जायेंगे और दिल्ली में प्रवेश कर लेंगे. तीन दिसम्बर को किसानों की सरकार के साथ जो मीटिंग हुई थी उसके बारे में बार्डर पर मौजूद किसानों को स्टेज के ज़रिये बताया गया. किसानों ने इस बातचीत को सीधे तौर पर नकार दिया है.
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दिल्ली बार्डर पर किसानों के पहुँचने का सिलसिला लगातार जारी है. कई किलोमीटर तक किसानों के वाहन खड़े हुए हैं. प्रदर्शन कर रहे किसानों के पास छह महीने का राशन बताया जा रहा है लेकिन किसानों के भोजन का फिलहाल इंतजाम गुरुद्वारे की तरफ से किया जा रहा है. ऐसे में किसानों को लम्बे समय तक दिल्ली सीमा पर डटे रहने का इंतजाम है.
यह आन्दोलन किसानों के लिए जीने-मरने का सवाल है. भारतीय किसान यूनियन के एक सदस्य की बेटी की शादी थी लेकिन यह किसान आन्दोलन के मद्देनज़र बेटी की शादी में भी नहीं गया. इस किसान का कहना है कि खेती बचेगी तभी तो परिवार को चला पायेंगे. परिवार की खुशियाँ इसी खेती की वजह से है. इसी वजह से वह बेटी की शादी में जाने के बजाय बार्डर पर ही डटा हुआ है.