न्यूज डेस्क
जितनी तेजी से कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है उतनी ही तेजी से सोशल मीडिया पर इससे संबंधित फेक और अधपकी खबरें भी वायरल हो रही है। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर सरकारी कर्मचारियों की सैलरी काटने, ताली बजाने से कोरोना वायरस का संक्रमण नष्ट होने जैसी खबरे खूब वायरल हुई थी। अब ऐसा ही एक दावा किया जा रहा है कि कोरोना का संक्रमण अखबारों को जरिए भी हो सकता है।
चूंकि अखबार प्रिटिंग प्रेस से पाठकों के घर तक कई लोगों के जरिए आता है इसलिए इससे कोरोना वायरस का संक्रमण हो सकता है ऐसा कहा जा रहा है। हालांकि अखबार का प्रबंधन लगातार कह रहा है कि वह अखबार को सिनेटाइज कर पाठकों तक पहुंचा रहे हैं। फिलहाल कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार में अखबार कितने सहायक हो सकते हैं इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने कुछ बातें कही हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अगर कोई कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति अखबार को छूता है तो अखबार में ये वायरस कुछ देर के लिए आ सकता है। हालांकि अख़बार से संक्रमण होना का खतरा बेहद कम है, क्योंकि संक्रमण कई फैक्टर पर निर्भर करता है। जैसे कि आप तक वायरस कितनी मात्रा में पहुंचा, किसी सतह पर वायरस कब तक एक्टिव रहा साथ ही वातावरण भी इसमें खास भूमिका निभाता है।’
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वहीं इस मामले में भारत के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के डायरेक्टर डॉ. सुजीत कुमार सिंह ने कहा है कि अखबारों से कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने का कोई प्रमाण नहीं है। यदि ऐसा होता तो हम इसकी सूचना ख़ुद देते।
वह कहते हैं, कोविड-19 का संक्रमण ड्रॉपलेट के जरिए फैलता है। ऐसे में लोगों से दूरी बनाए रखें और हाथ धोते रहें, यही उपाय है। देखिए ये वायरस दुनिया भर के लिए नया है। इसे लेकर धीरे-धीरे जानकारियां सामने आ रही है।
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प्रकाश जावेड़कर ने दी थी सफाई
सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 25 मार्च को पत्रकारों से बातचीत के दौरान इस अफवाह का जिक्र करते हुए कहा था कि आज मेरे घर भी पेपर नहीं आया। मैंने इसका पता लगाने को कहा तो पता चला कि बहुत गलत अफवाह फैली है कि पेपर छूने से भी कुछ हो जाएगा। सोसाइटी के लोगों में भी ये अफवाह फैली है। कुछ लोगों ने ख़ुद पेपर वाले को पेपर देने से मना कर दिया। मैं आपको बता देना चाहता हूं अखबार से कुछ नहीं होता इससे आपको सही जानकारी मिलेगी। आपको पेपर पढ़ कर हाथ धो लेना है।’
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