जुबिली न्यूज डेस्क
देशभर में इस वक्त नाबालिग लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर बहस छिड़ी हुई है. पिछले दिनों देश की कई उच्च न्यायलयों के द्वारा एक समान मामलों पर दिए अलग-अलग फैसलों ने इस बहस को और बढ़ा दिया है. ऐसे में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सहित कई धर्मों के नाबालिग लड़कियों की एक उम्र करने की मांग फिर से उठने लगी है. सुप्रीम कोर्ट में 9 नवंबर को इस विषय पर अहम सुनवाई होने वाली है.
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले दिनों कानूनी रूप से विवाहित एक जोड़े को साथ रहने से वंचित नहीं रखने का फरमान सुनाया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य जानबूझकर एक नाबालिग विवाहित जोड़े के निजी दायरे में प्रवेश नहीं कर सकता है और न ही अलग कर सकता है. हाईकोर्ट ने यह आदेश बिहार की एक मुस्लिम नाबालिग दंपत्ति की याचिका पर सुनाया. दोनों ने मां-बाप के अनुमति के बिना ही मुस्लिम रीति-रिवाज से निकाह किया था. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या हिंदू मैरिज एक्ट में भी नाबालिग को अपने मां-बाप की अनुमति के बिना शादी करने का अधिकार है और क्या यह शादी वैध होगी? हाईकोर्ट ने विवाहित जोड़े की रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार को आदेश जारी किया था.
एक ही तरह के मामले में फैसले अलग-अलग
हाईकोर्ट के इन दोनों फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. कानून के कुछ जानकारों की मानें तो बाल विवाह कानून के तहत ऐसी शादी पर रोक नहीं लगाई जा सकती. 16 वर्षीय मुस्लिम लड़की ने अपनी इच्छा से शादी की है तो इसे गैरकानूनी नहीं ठहराया जा सकता. हालांकि, राज्य के वकील ने याचिका का विरोध किया और कहा कि वह नाबालिग है, इसलिए उसे आशियाना होम में रखा जा रहा है. राज्य के वकील ने याचिका खारिज करने की गुहार लगाई थी.
नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी भी अमान्य?
लेकिन, इसी तरह का एक और मामले में 31 अक्टूबर 2022 को कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक अलग ही फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने कहा कि एक नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी अमान्य मानी जाएगी, हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा एसलिए क्योंकि नाबालिग रहने पर शादी कराना ‘यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम’ (POCSO) के प्रावधानों का उल्लंघन है.अदालत ने कहा कि पॉस्को एक्ट एक स्पेशल एक्ट है, इसलिए ये हर व्यक्तिगत कानून को ओवरराइड करता है. पॉक्सो अधिनियम के मुताबिक, किसी भी महिला के यौन गतिविधियों में शामिल होने की कानूनी उम्र 18 साल है. 18 साल से पहले शादी एक गैर-कानूनी गतिविधि है.
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क्या कहते हैं जानकार
सुप्रीम कोर्ट के वकील राहुल कुमार कहते हैं, हाल के दिनों में इस तरह के कई मामले सामने आए हैं. इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होने वाली है. लेकिन, भारत में अलग-अलग धर्म के लड़के-लड़कियों की शादी के लिए अलग-अलग कानून हैं, लेकिन 3 तरह के कानून महत्वपूर्ण हैं. इन तीनों कानून में लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल ही है. इसके अलावा मुस्लिम लड़के-लड़कियों की शादी उनके मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार होती है, जिसके बारे में संसद से कोई कानून नहीं बना है.
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