Monday - 28 October 2024 - 12:25 PM

क्या वाकई डिस्पोजेबल ग्लव्स कोरोना वायरस से बचा सकते हैं?

न्यूज डेस्क

कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर में मास्क और दस्ताने की किल्लत बनी हुई है। दुनिया भर में सबसे ज्यादा कुछ खरीदा जा रहा है तो वह है मास्क, डिस्पोजेबल ग्लव्स और सिनेटाइजर। इसीलिए इन तीनों चीजों की कमी से हर जगह देखी जा रही है।

दुनिया के ज्यादातर देशों में लॉकडाउन है। हालांकि कुछ देशों में लॉकडाउन के बीच कुछ पाबंदियों में ढ़ील दी है। आपने देखा होगा कि लॉकडाउन के दौरान भी जब लोग जरूरत का सामान लेने घर से बाहर निकलते हैं तो ज्यादातर लोगों की कोशिश होती है कि मास्क और दस्ताने पहन कर ही निकला जाए। अब सवाल है कि ये डिस्पोजेबल ग्लव्स क्या वाकई आपको वायरस से बचा सकते हैं? ऐसा ना हो कि ये दस्ताने ही आपकी बीमारी का कारण बन जाएं।

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दस्तानों का इस्तेमाल हम क्यों करते हैं? जाहिर सी बात है बीमारी से बचने के लिए। तो क्या कोरोना के संक्रमण से बचने में ये दस्ताने सहायक साबित हो रहे हैं? कोरोना का संक्रमण कैसे फैलता है सभी को मालूम है। किसी संक्रमित व्यक्ति के आपके आसपास खांसने या छींकने पर आपको संक्रमण हो सकता है। या फिर खांसने और छींकने के दौरान मुंह से निकले ड्रॉपलेट अगर किसी सतह पर पड़ें और आप उस सतह को हाथ लगा दें और फिर गलती से अपने हाथ से चेहरा, आंखें, नाक या मुंह को छू लें तो भी संक्रमण हो सकता है।

डॉक्टर ऑपरेशन के दौरान ग्लव्स पहनते हैं और नर्स बीमार लोगों की देखभाल के दौरान ग्लव्स पहनती हैं। ग्लब्स पहनने का मकसद यह होता है कि इलाज करने वाला मरीज के खून या शरीर से निकलने वाले किसी भी तरल के संपर्क में ना आए। दरअसल ये ग्लब्स बहुत कम वक्त के लिए ही बैक्टीरिया या वायरस से बचा पाते हैं, क्योंकि ग्लव्स जिस मैटीरियल से बने होते हैं वह पोरस होता है।

ग्लब्स को जितनी ज्यादा देर तक पहन कर रखा जाएगा कीटाणुओं के दस्ताने के भीतर घुस कर त्वचा में पहुंचना उतना आसान होता रहेगा। यही वजह है कि अस्पताल में काम करने वाले लोग बार बार दस्ताने बदलते हैं और हर बार उन्हें उतारने के बाद डिसइन्फेक्टेंट से अपने हाथ अच्छी तरह साफ करते हैं। मतलब यह कि ग्लव्स पहनने का मतलब यह नहीं होता कि हाथ धोने से छुट्टी मिल गई।

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डिस्पोजेबल ग्लव्स विनायल, लेटेक्स या फिर नाइट्राइल के बने होते हैं। इन्हें पहनकर सुरक्षा का अहसास तो होता है, लेकिन यह अहसास आपको धोखा दे सकता है। जब लोग सामान खरीदने के लिए ग्लव्स पहन कर घर से बाहर निकलते हैं तो कोशिश जरूर करते हैं कि चेहरे को हाथ ना लगाएं लेकिन चूक तो हो ही सकती है। और खरीदारी के दौरान अगर आप ग्लव्स पहनकर अपने फोन को छू रहे हैं तो वायरस आसानी से आपके फोन की सतह पर फैल सकता है। फिर घर जा कर आप भले ही दस्ताने उतार कर फेंक दें लेकिन फोन को तो दोबारा हाथ में लेंगे ही। वायरस को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि शरीर के अंदर नंगे हाथों से जाना है या ग्लव्स के जरिए।

अब डॉक्टर मांग कर रहे हैं लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाए कि ग्लब्स का गलत इस्तेमाल संक्रमण के खतरे को और भी ज्यादा बढ़ा सकता है। वैसे भी डिस्पोजेबल ग्लव्स पहन कर हाथों में पसीना जल्दी आने लगता है। बैक्टीरिया और वायरस को फैलने के लिए यही तो चाहिए।

डॉक्टर सोशल मीडिया द्वारा लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ सार्वजनिक जगहों पर मेडिकल ग्लव्स न पहनने की अपील कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह स्वास्थ्य ये जुड़ी बहुत बड़े स्तर पर हो रही गड़बड़ी है। दरअसल ग्लव्स के नीचे गर्म और नम माहौल में रोगाणु आसानी से बढ़ते है। उन्हें उतारने के बाद हाथों को डिसइन्फेक्ट ना करके आप अपने हाथों पर गटर लिए घूम रहे हैं।

ग्लब्स का कैसे करें इस्तेमाल

डिस्पोजेबल ग्लव्स के इस्तेमाल को लेकर डॉ रोमा बोरा कहती हैं, ये ग्लब्स आपको वायरस से बचाने की बजाए नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं। साफ हाथ की तुलना में एक डिस्पोजेबल ग्लव कई गुना ज्यादा बैक्टीरिया जमा कर सकता है। इसलिए सार्वजनिक जगहों पर इसके इस्तेमाल से लोगों को बचना चाहिए।

वह कहती हैं, ग्लव्स के सही इस्तेमाल के लिए अच्छी खासी जानकारी और तजुर्बे की जरूरत होती है। ग्लव को इस तरह से उतारना होता है कि उसके कीटाणु ग्लव्स पर ही रहें और हाथों, कलाइयों या फिर आस्तीन पर ना लगें। इसलिए अगर आप खुद को और अपने आसपास वालों को कोरोना वायरस से बचाना चाहते हैं तो डिस्पोजेबल ग्लव्स के इस्तेमाल से बचें।

डॉ. रोमा कहती है कि कोरोना महामारी से बचना है, तो साबुन से अच्छी तरह हाथ धोएं, लोगों से उचित दूरी बनाए रखें और घर पर रहें। अगर फिर भी आपका मन नहीं मानता है और आप इनका इस्तेमाल करना ही चाहते हैं तो इस्तेमाल के फौरन बाद इन्हें फेंक दें। ध्यान रहे इन्हें लापरवाही से इधर उधर पड़े ना रहने दें और उतारने के बाद अच्छी तरह साबुन या डिसइन्फेक्टेंट से हाथ साफ करें।

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