जुबिली न्यूज डेस्क
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली हिंसा को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को आदेश दिया है कि वो मामले की जांच के लिए सीबीआई का सहयोग करे। सीबीआई संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस नेता द्वारा महिलाओं के सामूहिक यौन उत्पीड़न और संदेशखाली में आदिवासी भूमि पर कब्जा करने के आरोपों की जांच कर रही है।
चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने सीबीआई की दलील पर गौर किया। जिसमें कहा गया था कि आदिवासी भूमि पर कब्जा करने के संबंध में प्राप्त 900 से अधिक शिकायतों का सत्यापन करते समय, राज्य सरकार केंद्रीय एजेंसी के साथ सहयोग नहीं कर रही है। चीफ जस्टिस शिवगणम ने आदेश देते हुए कहा कि संदेशखाली हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार जांच में सीबीआई का पूरा सहयोगा करे।
इस मामले में यह आरोप शामिल है कि शाहजहां शेख ने गांव के निवासियों की जमीनें जबरदस्ती हड़प लीं, जिन्हें इस साल की शुरुआत में टीएमसी ने निलंबित कर दिया था। शेख और उसके सहयोगियों पर गांव में महिलाओं के यौन उत्पीड़न का भी आरोप लगाया गया था। लगभग 55 दिनों तक भागने के बाद आरोपी शेख को पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। 10 अप्रैल को पारित एक आदेश में कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित कर दी थी।
आदमियों के खिलाफ मामला दर्ज न करने की धमकी
आज की सुनवाई के दौरान, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और वकील प्रियांक टिबरेवाल ने कोर्ट को बताया कि उन्हें कथित यौन उत्पीड़न की पीड़ित महिलाओं के फोन आए थे। उन्होंने दावा किया कि महिलाओं को शेख या उसके आदमियों के खिलाफ मामला दर्ज न करने की धमकी दी गई थी। टिबरेवाल ने बताया, “रात में कुछ अजनबी उनके घरों में चले आए और उन्हें बताया कि वे पहले ही अपना सम्मान खो चुके हैं और अब अगर उन्होंने बलात्कार का मामला दर्ज कराया तो उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ेगी। इसलिए, महिलाएं सीबीआई के पास भी शिकायत दर्ज कराने से डरती हैं।
ये भी पढ़े-बीजेपी ने रायबरेली से उतारा उम्मीदवार, जानें किसे मिला टिकट
मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक वकील अलख श्रीवास्तव ने बेंच से आग्रह किया कि या तो एक महिला समिति का गठन किया जाए या सीबीआई को पीड़ितों के बयान दर्ज करने के लिए केवल महिला अधिकारियों को भेजने के लिए कहा जाए, जैसा कि मणिपुर हिंसा मामले में किया गया था। हालांकि, पीठ ने पीड़ितों के बीच “विश्वास पैदा करने” के लिए एक तंत्र विकसित करने का काम सीबीआई अधिकारियों पर छोड़ दिया ताकि वे आगे आकर अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें। मामले की अगली सुनवाई 14 जून को होगी।