जुबिली न्यूज डेस्क
संसद के मानसून सत्र के दौरान भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) से प्रदर्शन ऑडिट सहित 12 रिपोर्टें मिलीं, जिन्होंने विभिन्न केंद्र सरकार की योजनाओं और परियोजनाओं में कई कथित खामियों और कमियों को उजागर किया, जिससे राजनीतिक आक्रोश भड़क उठा. कैग जो देश का सर्वोच्च ऑडिट प्राधिकरण है उसने अपनी रिपोर्ट्स में आयुष्मान भारत और द्वारका एक्सप्रेसवे जैसी योजनाओं और परियोजनाओं में कथित मुद्दों पर प्रकाश डाला.
इसमें दावा किया गया है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) ने राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) से 57.45 करोड़ रुपये निकाल लिए — जिसका उद्देश्य 6 राज्यों में अन्य परियोजनाओं के लिए गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले वृद्ध लोगों, विधवाओं और विकलांग लोगों को बुनियादी वित्तीय सहायता प्रदान करना है.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना UDAN (उड़े देश का आम नागरिक) जैसी सरकारी परियोजनाओं और भारतमाला परियोजना चरण – I (BPP-1) के कार्यान्वयन में भी कथित अंतराल और अनियमितताएं दर्ज की गईं.
निष्कर्षों ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है
कथित निष्कर्षों ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है, विपक्षी दलों ने कथित भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और अक्षमता को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला करने के लिए रिपोर्ट्स का हवाला दिया है. हालांकि, सरकार ने अपनी योजनाओं और परियोजनाओं का बचाव करते हुए दावा किया है कि इनसे लाखों लोगों को लाभ हुआ है और देश के विकास में योगदान मिला है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय जो उन मंत्रालयों में से एक है, जिनकी प्रमुख राजमार्ग विस्तार परियोजना, भारतमाला परियोजना, का CAG द्वारा ऑडिट किया गया था, इसने अपनी रिपोर्ट में ऑडिटर द्वारा लगाए गए अधिकांश आरोपों का खंडन किया है.
केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के लिए सार्वजनिक धन के संरक्षक के रूप में कैग की संरचना और कार्यप्रणाली और इसकी रिपोर्टों को इतना महत्व क्यों दिया जाता है, पर एक नज़र डाल रहा है.
कैग क्या है?
संविधान के तहत एकमात्र श्रेणीबद्ध लेखापरीक्षा प्राधिकरण है, CAG. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत कैग केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों की प्राप्तियों और व्ययों का ऑडिट करता है, जिसमें सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्थानों, प्राधिकरणों और निकायों के साथ-साथ सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों और प्रमुख सहायक कंपनियां भी शामिल हैं.
कैग अपनी ऑडिट रिपोर्ट संसद या राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत करता है. संविधान के अनुच्छेद 148 में आगे कहा गया है कि प्रधानमंत्री की सलाह पर केवल राष्ट्रपति ही कैग की नियुक्ति कर सकते हैं. छह साल की अवधि समाप्त होने से पहले उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समान है.
एक स्वतंत्र और गैर-पक्षपातपूर्ण प्राधिकारी के रूप में कैग को पद छोड़ने के बाद केंद्र या राज्य सरकारों के तहत किसी भी अन्य कार्यालय को रखने से रोक दिया जाता है. कैग वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट संसद को प्रस्तुत करता है. इसमें भारत के समेकित कोष और विधानसभा वाले प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश से वित्तीय वर्ष के खर्चों के लिए वित्त खाते और विनियोग खाते शामिल हैं.
किसी राज्य के राष्ट्रपति या राज्यपाल भी कैग से किसी प्राधिकरण के खातों की समीक्षा करने का अनुरोध कर सकते हैं, भले ही वह सीधे सरकार द्वारा समर्थित न हो. कैग और उनकी टीम सरकार के वित्तीय लेनदेन की जांच कर सकते हैं और इस पर प्रशासन से सवाल कर सकते हैं. लेन-देन की समीक्षा करने के बाद, कैग अपनी आपत्तियों को हटा सकता है या गंभीर होने पर उन्हें अपनी संसदीय रिपोर्ट में शामिल कर सकता है.अनुच्छेद 151 में कैग को संघ की ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपने की शक्ति है, जो उन्हें संसद में प्रस्तुत करता है. राज्यपाल विधानमंडलों को राज्य लेखापरीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करता है.
कैग भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और जीवन बीमा निगम (एलआईसी) जैसे वैधानिक व्यवसायों की निगरानी नहीं करता है, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर यह उनके खातों की जांच कर सकता है.कैग कार्यालय के जिन स्टाफ सदस्यों से दिप्रिंट ने बात की, उन्होंने बताया कि संसद सत्र के दौरान पेश की जाने वाली कैग रिपोर्ट्स पूरी जांच और रिकॉर्ड की उपलब्धता पर आधारित होती हैं. सत्र के स्थगन की स्थिति में, उन्हें अगले सत्र में पेश किया जाता है.
कैग की रिपोर्ट्स में क्या है?
कैग विनियोग खातों, वित्त खातों और सार्वजनिक उपक्रमों पर ऑडिट रिपोर्ट संसद के समक्ष रखने के लिए राष्ट्रपति को भेजता है. एक बार ऑडिट रिपोर्ट संसद में पेश होने के बाद, लोक लेखा समिति (पीएसी) उनकी समीक्षा करती है और संसद को सूचित करती है.
संसद में पेश किए गए वित्त और विनियोग खातों में अनियमित खर्चों पर ऑडिट निष्कर्ष और व्यापार, विनिर्माण, लाभ और हानि खातों के सभी ऑडिट और सार्वजनिक और निजी निगमों की बैलेंस शीट के साथ-साथ देश की समेकित निधि से पर्याप्त रूप से वित्त पोषित प्राधिकरणों और निकायों के खातों की जांच भी शामिल हैं.
कैग सरकारी योजनाओं की प्रभावकारिता का मूल्यांकन करने के लिए परफॉर्मेंस ऑडिट भी करता है. ऑडिट अधिकारी अनियमितताओं का पता लगाने के लिए इसकी स्टडी करते हैं और फिर उनकी तुलना नियम से करते हैं. ऑडिटिंग के बाद, राष्ट्रपति द्वारा संसद में रिपोर्ट पेश करने से पहले, मंत्रालयों के पास जवाब देने के लिए दो-चार हफ्ते का समय होता है.
उदाहरण के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच और संसद की पीएसी सुनवाई कथित तौर पर 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सीएजी के निष्कर्षों पर निर्भर थी.
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क्या नीतियों पर सवाल उठाता है CAG?
अतीत में कैग रिपोर्टों के परिणामस्वरूप कथित तौर पर मुकदमे, लाइसेंस रद्दीकरण और राजनेताओं और अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है. दूसरी ओर, ऑडिटर पर कथित तौर पर नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाए गए हैं.
उदाहरण के लिए पूर्व कैबिनेट सचिव बी.के. चतुर्वेदी ने 2019 में कथित तौर पर 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन नीलामी और कोयला ब्लॉक आवंटन पर अपनी रिपोर्टों के लिए कैग की आलोचना करते हुए कहा कि ऑडिटिंग संस्था ने सरकार की नीति निर्धारण भूमिका को “हथियाने” की कोशिश की.
हालांकि, संविधान में उल्लिखित कर्तव्यों के अनुसार, कैग यह बता सकता है कि क्या किसी योजना या नीतियों में गंभीर मसले हैं और इसकी जांच की जा सकती है. गुप्त सेवा व्यय के मामले में कैग निष्पादन के विवरण का अनुरोध नहीं कर सकता है, लेकिन उसे उपयुक्त प्रशासनिक प्राधिकारी से एक प्रमाण पत्र स्वीकार करना होगा कि वे उसके अधिकार क्षेत्र में खर्च किए गए थे.