न्यूज़ डेस्क
हाल ही में आई कैग रिपोर्ट ने एक बेहद चौकाने वाले खुलासे किये हैं। जो सैनिक हमारे देश की सुरक्षा के लिए खुशी खुशी शहीद हो जाते हैं वही सैनिकों अपना गुजारा किन हालातों में कर रहे हैं ये जानकर हैरान हो जायेंगे आप।
भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार सियाचिन, लेह, लद्दाख और डोकलाम जैसे ऊंचे व ठंडे क्षेत्रों की दिन रात सुरक्षा करने वाले सैनिकों को जरुरी सामान तक नहीं मिल पा रहा है।
ऐसी कठिन स्थानों पर तैनात सैनिकों को बर्फ में चलने के लिए जूते, गर्म कपड़े, स्लीपिंग बैग और सन ग्लासेज की गंभीर किल्लत है। इसके साथ ही जवानों के पास खाने-पीने का जरूरी सामान भी प्रयाप्त नहीं है। कैग की इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में बीते दिन पेश किया गया।
कैग की इस रिपोर्ट में इंडियन नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी की स्थापना में हो रही देरी को लेकर भी सवाल उठाए गये हैं। करगिल रिव्यू कमिटी ने 1999 में ये यूनिवर्सिटी बनाने की सिफारिश की थी।
कैग की ये रिपोर्ट साल 2017-18 के दौरान की है। इससे बताया गया कि सैनिक बेहतर कपड़े और उपकरणों से वंचित रहे। साथ ही बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों को स्नो बूट नहीं मिलने से उन्हें पुराने जूतों से काम चलाना पड़ा।
इसके अलावा रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि इन ऊंचे – ऊंचे क्षेत्र में तैनात सैनिकों को रोजाना जरूरत पड़ने वाली एनर्जी के हिसाब से राशन तय किया जाता है। बेसिक फूड आइटम की किल्लत की वजह से सैनिकों को 82 फीसदी तक कम कैलोरी मिल रही है।
जबकि लेह की एक ऐसी घटना का खुलासा कैग ने अपनी रिपोर्ट में किया जिसमें यहां से स्पेशल राशन को सैनिकों के लिए जारी हुआ दिखा दिया गया, लेकिन हकीकत में उन्हें ये सामान मिला ही नहीं।
यही नहीं कैग रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि सेना की ईस्टर्न कमांड ने तो ओपन टेंडर सिस्टम के जरिए कॉन्ट्रैक्ट दिया, लेकिन नॉर्दन कमांड में लिमिटेड टेंडरिंग के जरिए खरीद की गई। इस वजह से खासा समस्या सामने आई।
संसद में पेश गई इस रिपोर्ट के मुताबिक, फेस मास्क, जैकेट और स्लीपिंग बैग भी पुराने स्पेसिफिकेशन के खरीद लिए गए। इससे सैनिक बेहतर प्रॉडक्ट का इस्तेमाल नहीं कर पाए। इन सबका सीधा असर उनकी सेहत पर पड़ा। साथ ही इससे सैनिकों की स्वच्छता भी प्रभावित हुई।