जुबिली न्यूज डेस्क
मध्य प्रदेश में उपचुनाव के नतीजे के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा तेज हो गई है लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी मंत्रिमंडल विस्तार के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि पार्टी इसका कारण कुछ भी दे लेकिन मंत्री पद से लेकर कार्यकारिणी तक बीजेपी के पास उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त कहीं ना कहीं इसका बड़ा कारण है।
मंत्रिमंडल विस्तार शिवराज सिंह चौहान के लिए सिरदर्द बन गई है। इसी बीच प्रदेश कार्यकारिणी में नियुक्तियां अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी साफ कर दिया है कि अभी मंत्रिमंडल विस्तार नहीं किया जाएगा।
दरअसल उपचुनाव में बंपर जीत हासिल करने के बाद चर्चा यह है कि केंद्र ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को फ्री हैंड दे दिया है, जिसके बाद सीएम शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार के मूड में नहीं है।
सीएम शिवराज ने साफ कर दिया है कि समय आने पर मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया जाएगा। अभी इसकी कोई जल्दीबाज़ी नहीं है। वहीं शिवराज सिंह चौहान के इस बयान से दावेदारों में बेचैनी देखने को मिल रही है।
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सबसे ज्यादा खलबली कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए सिंधिया खेमे के विधायकों में है। दरअसल, सिंधिया के करीबी दो मंत्रियों ने 6 महीना का पूरा समय होने के चलते पहले ही मंत्री की कुर्सी छोड़ दी थी और एक मंत्री पद पहले से खाली है।
इस तरह से मंत्रिमंडल में 6 पद खाली हैं, ऐसे में मंत्रिमंडल के विस्तार में सिंधिया खेमे में ही मंत्री पद आएगा या फिर मंत्री बनने से चूक गए बीजेपी विधायकों को मौका मिलेगा।
बता दें कि मध्य प्रदेश में मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 समर्थक विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था, जिसके बाद कमलनाथ सरकार की सत्ता से विदाई हो गई थी। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनी। शिवराज कैबिनेट में सिंधिया के 14 समर्थकों को मंत्री बनाया गया था। नवंबर में हुए 28 सीटों पर उपचुनाव में सिंधिया के सभी 22 समर्थकों ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 9 चुनाव हार गए हैं।
एमपी उपचुनाव में हारने वाले सिंधिया समर्थकों में तीन मंत्री भी शामिल हैं। डबरा विधानसभा सीट से इमरती देवी, सुमावली विधानसभा सीट से ऐदलसिंह कंषाना और दिमनी से गिर्राज डंडौतिया को मात मिली है, जिसके बाद तीनों ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
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इसके अलावा तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को 6 महीने का समय पूरा होने के चलते 164 (4) के तहत मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। इसके अलावा एक मंत्री पद पहले से ही खाली है, जिसे मिलाकर 6 मंत्री पद फिलहाल भरे जाने हैं।
दरअसल, उपचुनाव के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने मंत्रिमंडल का विस्तार करना एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है। सिंधिया समर्थकों के चलते पिछली बार के मंत्रिमंडल विस्तार में शिवराज के करीबी कई विधायक मंत्री नहीं बन पाए थे।
इनमें विंध्य अंचल की रीवा विधानसभा सीट से पांचवीं बार चुनाव जीते सीनियर विधायक राजेंद्र शुक्ला शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में मंत्री रह चुके हैं। सिलवानी से बीजेपी विधायक रामपाल सिंह पिछली शिवराज सरकार में मंत्री थे, पर इस बार वे मंत्री नहीं बन पाए।
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बालाघाट सीट से सातवीं बार बीजेपी विधायक बने गौरीशंकर बिसेन को पिछली सरकारों में मंत्री रहने का अनुभव है। लेकिन इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था। इसके अलावा पाटन सीट से बीजेपी विधायक अजय विश्नोई और संजय पाठक जैसे कई पूर्व मंत्री की नजर भी मंत्रिमंडल पर है।
शिवराज कैबिनेट में मौजूदा समय में 6 मंत्री पद खाली हैं। उपचुनाव में तुलसीराम सिलावट और गोविंद जीतकर आए हैं, जिन्हें सिंधिया के करीबी होने के चलते दोबारा से मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका मिल सकता है।
हालांकि, इसके अलावा चार मंत्री पद और बचते हैं, जिन पर मंत्री बनने का मौका किसे मिलेगा? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिंधिया कोटे के खाली हुए पद उन्हीं के खेमे के विधायकों के पास जाएंगे या फिर बीजेपी के पुराने विधायकों के पास, जिन्हें पहले मंत्री बनने का मौका नहीं मिल सका था। ये तो अब कैबिनेट विस्तार के बाद ही पता चल सकेगा?