न्यूज डेस्क
नागरिकता संसोधन कानून को लेकर देश के अधिकांश राज्यों में विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। विरोध करने वालों में आम आदमी से लेकर छात्र-छात्राएं व आम महिलाएं शामिल हैं।
देश के कई विश्वविद्यालयों में नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। सबसे ज्यादा विरोध दिल्ली में है। छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली के एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय ने छात्रों को चेतावनी दी है कि अगर वह सीएए पर चर्चा करेंगे तो विश्वविद्यालय बंद कर दिया जायेगा।
दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह ने बताया कि संस्था के कार्यवाहक अध्यक्ष ए.वी.एस. रमेश चंद्रा ने उन लोगों को चेतावनी दी है कि अगर सीएए पर चर्चा की तो विश्वविद्यालय बंद हो सकता है।
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छात्रों के समूह ने बताया कि कार्यवाहक अध्यक्ष ने उन्हें नागरिकता संसोधन कानून पर चर्चा करने से रोकने की कोशिश करते हुए कहा कि यह गलत होगा क्योंकि “भारत आपको रोटियां देता है”।
गौरतलब है कि भारत इस अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के लिए न सिर्फ पूरे पूंजीगत खर्च को वहन करती है बल्कि इसके ऑपरेशनल कॉस्ट का भी आधा खर्च भी भारत सरकार ही वहन करती है। वर्ष 2010 में इस विश्वविद्यालय की शुरुआत सार्क समूह के आठ देशों के द्वारा की गई थी।
टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार छात्रों के समूह ने बताया कि कार्यवाहक अध्यक्ष चंद्रा ने चेतावनी दी कि यदि सीएए को लेकर चर्चा हुई तो विश्वविद्यालय को बंद कर दिया जाएगा। इसके अलावा कैंपस के अधिकारियों ने छात्र आयोजनों से संबंधित नियमों को और कड़ा कर दिया है।
दरअसल, एसएयू रिसर्च एसोसिएशन ने ‘लोकतंत्र के स्याह पक्ष : सीएए, एनआरसी, एनपीआर पर का विश्लेषण’ विषय पर 31 जनवरी को कैंटिन में चर्चा करने की इजाजत मांगी थी लेकिन मना कर दिया गया। जब एसोसिएशन के छात्र चंद्रा से मिले तो उन्होंने ‘रोटी’ वाली बात कही। छात्रों ने बताया कि चंद्रा ने उन्हें बताया कि भारत सरकार विश्वविद्यालय को आसानी से धन मुहैया करवाती रही है।
हालांकि छात्रों ने विश्वविद्यालय से बाहर खुले जगह में अपना कार्यक्रम किया। शुक्रवार की रात तक विश्वविद्यालय ने इस मामले में आयोजनकर्ताओं के खिलाफ अभी किसी तरह का कदम नहीं उठाया है।
मालूम हो कि एसएयू मे सार्क देशों के लगभग 600 छात्र हैं। विश्वविद्यालय का कैंपस दिल्ली के चाणक्यपुरी में अपने अकबर भवन में है। यहां छात्र मास्टर डिग्री की पढ़ाई और रिसर्च करते हैं। इस संस्थान का आधा ऑपरेशनल कॉस्ट अन्य सात देश मिलकर वहन करते हैं।
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