न्यूज डेस्क
नागरिकता कानून के खिलाफ (सीएए) के खिलाफ देश में अलग-अलग जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। राजनीतिक दलों के साथ छात्र संगठन भी इस कानून के विरोध में सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच सोमवार को दिल्ली में विपक्षी दलों की मीटिंग बुलाई गई है। बताया जा रहा है कि मीटिंग के माध्यम से इस मसले को लेकर विपक्षी एकता का संदेश दिया जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल पर आज दिल्ली में विपक्षी दलों की मीटिंग होने जा रही है, लेकिन एक-एक कर कई विपक्षी पार्टियां इससे दूरी बनाने लगीं। हालांकि सीएए और एनआरसी के विरोध में विपक्ष की एकजुटता में फूट पड़ गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने विपक्ष की बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला किया है।
इस बीच खबर आ रही है कि अब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी इस बैठक से दूरी बना ली है। इसके बाद कांग्रेस की निगाहें नए साथी शिवसेना की ओर हैं जिसने बीजेपी की पुरानी दोस्ती तोड़ कांग्रेस और एनसीपी के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाई है।
इससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने बताया कि क्योंकि कांग्रेस ने राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी को तोड़ने का काम किया है इसलिए वो कांग्रेस के साथ नहीं आने वाली और इस बैठक में शामिल नहीं होंगी।
अपने ट्वीट में मायावती ने लिखा, ‘जैसा कि विदित है कि राजस्थान में कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिए जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहां बीएसपी के विधायकों को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है। ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा। इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी।’
1. जैसाकि विदित है कि राजस्थान कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहाँ बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है। 1/3
— Mayawati (@Mayawati) January 13, 2020
3. वैसे भी बीएसपी CAA/NRC आदि के विरोध में है। केन्द्र सरकार से पुनः अपील है कि वह इस विभाजनकारी व असंवैधानिक कानून को वापिस ले। साथ ही, JNU व अन्य शिक्षण संस्थानों में भी छात्रों का राजनीतिकरण करना यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण। 3/3
— Mayawati (@Mayawati) January 13, 2020
वहीं, ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वाम दल गंदी राजनीति कर रहे हैं और अब वह सीएए और एनआरसी का विरोध अकेले अपने दम पर करेंगी। बता दें कि ममता बनर्जी ने पिछले हफ्ते गुरुवार को ही विधानसभा में कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो वह अकेले लड़ेंगी। सदन में ही उन्होंने विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा और सीएए के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा 13 जनवरी को बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक के बहिष्कार की घोषणा कर दी थी।
भारत बंद के दौरान हुई हिंसा की आलोचना करते हुए ममता बनर्जी ने लेफ्ट और कांग्रेस पर दोहरे मानदंड अपनाने का भी आरोप लगाया था। गौरतलब है कि ममता बनर्जी सीएए और एनआरसी के खिलाफ मुखर हैं और जमकर इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। वह खुद भी सीएए के खिलाफ होने वाली रैलियों में हिस्सा ले रही हैं।
हालांकि, कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना है कि बनर्जी को विपक्ष की बैठक में आने का न्योता दिया गया था, लेकिन आना, नहीं आना उन पर निर्भर करता है।
सूत्रों का कहना है कि सोमवार को समान विचारधारा वाली विपक्षी पार्टियों की बैठक में भी सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा होगी और मोदी सरकार को संसद के आगामी बजट सत्र के दौरान और सड़क पर भी घेरने के लिए इन दलों को साथ लेने की कोशिश हो गी। विपक्षी दलों की इस बैठक के बाद कांग्रेस इस जनसंपर्क अभियान की पूरी रूपरेखा पेश कर सकती है।