न्यूज डेस्क
आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर को सपने में भी अंदाजा नहीं रहा होगा कि नागरिकता संसोधन कानून का विरोध करना उन्हें कितना भारी पड़ेगा। सीएए का विरोध करने वाले प्रोफेसर की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। पहले केंद्रीय जांच एजेंसी ने पूछताछ की और अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए)।
असमिया इतिहासकार और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी में संकाय सदस्य प्रोफेसर अरूपज्योति सैकिया से राष्ट्रीय जांच एजेंसी तीन दिन में दूसरी बार पूछताछ कर सकती है। एनआईए ने सैकिया से सोमवार को फिर से पूछताछ के लिए उपलब्ध रहने के लिए समन जारी किया है।
हालांकि जांच एजेंसी की तरफ से समन भेजे जाने के कारण को लेकर आधिकारिक रूप से किसी भी तरह की पुष्टि नहीं की गई है। ऐसा माना जा रहा है कि यह समन 11 दिसंबर को सीएए के विरोध के दौरान हुई हिंसा को लेकर जारी किया गया है।
गौरतलब है कि असम के मंत्री और भाजपा नेता हेमंत बिस्वा सरमा ने जनवरी माह में कहा था कि सरकार को पता चला है कि शहर में नागरिकता कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शन में हिंसा भड़काने में अग्रणी शिक्षाविदों की भूमिका रही है।
वहीं प्रो. सैकिया के वकील शांतनु ने बताया कि दिसंबर 2019 की शुरुआत में प्रोफेसर को अखिल गोगोई की गिरफ्तारी के मामले में गवाह के रूप में बुलाया गया था। एक फरवरी को प्रोफेसर सैकिया से दो घंटे तक पूछताछ की गई थी। इसके अलावा सीआरपीसी की धारा 161 के तहत उनका बयान भी दर्ज किया गया था। वर्तमान में अभी उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है और उन्हें सिर्फ गवाह के रूप में बुलाया गया था। वकील ने बताया कि प्रोफेसर सैकिया को सोमवार को दुबारा पूछताछ के लिए समन भेजा गया है।
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मालूम हो कि कृषक मुक्ति संग्राम समिति के संस्थापक अखिल गोगोई को गुवाहाटी में नागरिकता संसोधन काननू के खिलाफ हुए प्रदर्शन के मामले में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था।
फिलहाल आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर अरूपज्योति सैकिया को बुद्धिजीवी वर्ग का साथ मिला है। 52 वर्षीय प्रोफेसर के समर्थन में 42 विद्वानों ने अपील जारी की है।
विद्वानों ने अपने अपील में प्रोफेसर से एजेंसी की सघन पूछताछ के दौरान उनकी गरिमा बनाए रखने के साथ ही उन्हें सम्मान देने की बात कही है।
प्रोफेसर सैकिया का समर्थन करने वालों में जाधवपुर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एमिरेट्स सुकांता चौधरी, सेंटर फॉक स्टडीज इन सोशल साइंसेज के पूर्व निदेशक पार्थ चटर्जी, प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा, एकेडेमिशिनन और कॉलमिस्ट प्रताप भानु मेहता, जाधवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुप्रिय चौधरी, दिल्ली यूनिवर्सिटी की नंदिनी सुंदर, जेएनयू की निवेदिता मेनन और आईआईटी मद्रास की इनाक्षी भट्टाचार्य शामिल हैं।
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