अविनाश भदौरिया
‘अल्लाह मेहरबान, तो गधा पहलवान’
ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी। कहावत के अर्थ को भी भली भांति समझते ही होंगे। नहीं समझते तो समझ लीजिए कहावत का अर्थ है कि, अगर अल्लाह यानी कि भगवान की कृपा हो तो कमजोर व्यक्ति भी शक्तिशाली हो जाता है। आप सोच रहे होंगे कि यहां पूरा देश CAA-NRC को लेकर जल रहा है। राजनीति अपने चरम पर है। सत्ता पक्ष विपक्ष को और विपक्ष सत्ता पक्ष को पानी पी पीकर आरोपी सिद्ध करने में लगा है और हम पहेलियां बुझा रहे हैं। दरअसल इस पहेली का सम्बन्ध इस पूरे प्रकरण से है तो अनायास इसकी याद आ गई।
चलिए अब मुद्दे पर आते हैं। मुद्दा यह है कि क्या महाराष्ट्र में सरकार बनाने में फेल होने के बाद एकबार फिर बीजेपी के चाणक्य से चूक हो गई है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जिस तरह से नागरिकता कानून को लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं और हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं, जेलों में प्रदर्शनकारियों की भीड़ बढ़ रही है वह सब इतना सामान्य तो नहीं।
यह विरोध-प्रदर्शन और बढ़ा तो देश में गृह युद्ध जैसे हालात बन सकते है। शायद यही वजह है कि अब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जनसभाओं में किसी अन्य मुद्दे पर बोलने की बजाय ज्यादातर समय नागरिकता कानून पर ही भाषण दे रहे हैं। वह लोगों से शांति बनाए रखने की अपील भी कर रहे हैं। इतना ही नहीं पीएम मोदी अपने बयानों में गृह मंत्री अमित शाह के दावों को भी ख़ारिज करते दिख रहे हैं।
बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा और राज्यसभा में स्पष्ट किया था कि देश में एनारसी लागू होकर रहेगा। लेकिन रविवार को पीएम मोदी ने रामलीला ग्रांउड में ‘आभार रैली’ को संबोधित करते हुए कहा कि मेरी सरकार आने के बाद एनआरसी शब्द पर कोई चर्चा नहीं हुई।
अब सोचने वाली बात यह है कि या तो पीएम मोदी का यह बयान झूठा है या फिर वो गृह मंत्री अमित शाह के फैसले पर अलग राय रखते हैं।
पीएम मोदी ने क्या कहा
पीएम मोदी ने कहा कि ‘कांग्रेस चीख-चीख कर कह रही है कि कौआ कान काटकर उड़ गया और लोग कौए को देखने लगे। पहले अपना कान तो देख लीजिए कि कौआ कान काटा कि नहीं? पहले यह तो देख लीजिए एनआरसी के ऊपर कुछ हुआ भी है क्या? झूठ चलाए जा रहे हो। मेरी सरकार आने के बाद साल 2014 से ही एनआरसी शब्द पर कोई चर्चा नहीं हुई है। कोई बात नहीं हुई है।
सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के कहने पर यह असम के लिए करना पड़ा। क्या बातें कर रहे हो? झूठ फैलाया जा रहा है। कांग्रेस और उसके साथी, शहरों में रहने वाले पढ़े लिखे नक्सली -अर्बन नक्सल, ये अफवाह फैला रहे हैं कि सारे मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर में भेज दिया जाएगा।’
जन जागरूकता कार्यक्रम
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश में मचे बवाल को शांत करने और लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए भारतीय जनता पार्टी एक अभियान चलाने वाली है। 10 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान पार्टी कार्यकर्ता लोगों से मिलेंगे और सीएए-एनआरसी पर उनकी शंकाओं को दूर करेंगे। देश में 250 से अधिक स्थानों पर प्रेस वार्ता की जाएगी। इस अभियान के दौरान 3 करोड़ से अधिक परिवारों से कार्यकर्ता बात करेंगे।
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एनडीए में फूट
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में फूट पड़ती दिख रही है। इस कानून को लेकर बीजेपी के कई सहयोगी दल उसे घेरने में लग गए हैं। जनता दल यूनाइटेड और लोक जनशक्ति पार्टी जहां राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लेकर तेवर दिखा रहे हैं वहीं पूवोत्तर में बीजेपी की सबसे अहम सयोगी पार्टी असम गण परिषद भी नागरिकता कानून के विरोध में है।
यहां तक की असम गण परिषद ने ऐलान किया है कि वह नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगी।
वहीं देशव्यापी विरोध को देखते हुए जेडीयू ने यू टर्न लिया है। जहां पहले संसद में नागरिकता कानून के समर्थन में वोटिंग में हिस्सा लिया तो अब बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि वे इस कानून को राज्य में लागू नहीं होने देंगे। जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने यह कहते हुए पीएम मोदी की सरदर्दी बढ़ा दी है कि अब एनडीए की बैठक बुलाई जाए।
इसके आलावा बीजेपी के खिलाफ यह ऐसा मौका है जब पूरा विपक्ष एकजुट है और इस पूरे आन्दोलन के केंद्र में छात्र मोर्चा संभाले हुए हैं। मौजूदा हालात को देखते हुए तो यही लगता है कि नागरिकता कानून पर बीजेपी का अड़े रहना काफी महंगा पड़ सकता है।
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