जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर बड़ी खबर आ रही है। दरअसल इसको लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद भारतीय राजनीति में घमासान मच गया है।
ममता बनर्जी ने सीधे शब्दों में इसका विरोध जताया है। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा है कि इससे अगर किसी समुदाय को कोई दिक्कत हुई तो विरोध प्रदर्शन करेंगी।
भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने बताया कि CAA की आवश्यकता इसलिए थी क्योंकि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई अल्पसंख्यक जो दशकों से भारत में आए और देश में बस गए, वे पूर्व-संशोधित नागरिकता कानून के तहत भारतीय नागरिकता हासिल नहीं कर सकते थे। इसके चलते वो भारतीय नागरिकता के कई लाभों से वंचित थे। संशोधन के बाद उन्हें अनिश्चित जीवन नहीं जीना पडे़गा।
CAA के बारे में
पहली बार सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट को 2019 में पेश किया था। गौरतलब है कि नागरिकता संसोधन कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले गैर मुस्लिम शरणार्थियों को आसानी से नागरिकता देने का प्रावधान है, लेकिन केरल सहित राज्य राज्य इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। उनका कहना है कि यह कानून संविधान के खिलाफ है।
दूसरी तरफ विपक्ष का इस पर कुछ और ही कहना है। उनके अनुसार इसमें मुस्लिम समुदाय को टारगेट किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें जानबूझकर अवैध घोषित किए जा सकते हैं।
वहीं बिना वैध दस्तावेजों के भी बाकियों को जगह मिल सकती हैं। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की सबसे बड़ी वजह यही है। विरोध करने वाले इस कानून को एंटी-मुस्लिम करार देते है। उनके अनुसार है कि जब नागरिकता देनी है तो उसे धर्म के आधार पर क्यों दिया जा रहा है?