न्यूज डेस्क
नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन का दौर जारी है। आज भले ही सबकी निगाहे झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम पर टिकी हुई हैं, लेकिन देश के कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। इसी कड़ी में आज डीएमके समेत उसकी सहयोगी पार्टियों ने विशाल रैली निकालकर केन्द्र सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग की गई।
चैन्नई की इस रैली में भारी संख्या में नेता, कार्यकर्ता और आम लोग शामिल हुए। रैली में डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन, कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम, एमडीएमके नेता वाइको और वामदलों की राज्य इकाई के नेता शामिल हुए। इस विशाल रैली के लिए पुलिस बंदोबस्त जबर्दस्त था। चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात थे। लगभग पांच हजार पुलिसकर्मी सुरक्षा ड्यूटी तैनात थे। ड्रोन कैमरे से रैली पर नजर रखी गई।
दरअसल, चेन्नई पुलिस ने इस रैली को अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। रविवार को सुनवाई करते वक्त मद्रास हाईकोर्ट ने इस पूरी रैली पर ड्रोन कैमरे से नजर रखने के आदेश दिए थे।
करीब 2 किलोमीटर तक की इस रैली में भारी संख्या में आम लोग शामिल हुए। मालूम हो कि सीएए पास होने के समय से ही राज्य में डीएमके और उसकी सहयोगी दल, राज्य में सत्तारूढ़ एआईएडीएमके और केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला बोल रहे हैं।
दरअसल राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी एआईएडीएमके ने नागरिक संसोधन कानून को लोकसभा व राज्यसभा में समर्थन दिया, जिसके कारण इस बिल के राज्यसभा से पास होने में आसानी हुई।
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मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के वकील द्वारा सूचित किए जाने के बाद रैली का विरोध करने वाली जनहित याचिका पर रविवार देर रात अंतिम निर्देश दिया था। पुलिस की ओर से इस रैली को अनुमति नहीं दी गई थी, क्योंकि आयोजकों की ओर से किसी भी हिंसा और संपत्ति को नुकसान के मामले में जिम्मेदारी पर कोई ठोस प्रतिबद्धता नहीं दिखाई गई।
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोका नहीं जा सकता क्योंकि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की रीढ़ है। कोर्ट ने इसके बाद पुलिस को निर्देश दिया कि यदि आवश्यक हो तो विरोध प्रदर्शन की वीडियोग्राफी करें और ड्रोन कैमरे का भी उपयोग करें ताकि किसी भी तरह की गैरकानूनी घटनाओं पर नजर रखी जा सके।
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