जुबिली स्पेशल डेस्क
साल 2020 के खत्म होने में अब केवल तीन दिन बचे हैं। हालांकि यह साल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। चीन से निकला कोरोना भारत में मार्च के महीने में पहुंच गया।
इसके बाद यहां पर कोरोना का कहर टूट पड़ा। इसका नतीजा यह रहा कि हर कोई सहम गया। कोरोना को रोकने के लिए सरकार ने कई कड़े कदम उठाये लेकिन कोरोना दिन बे दिन खतरनाक होता रहा।
दूसरी ओर कोरोना काल में राजनीति भी खूब देखने को मिली। मजदूरों के पलायन को लेकर केंद्र सरकार बनाम विपक्ष में रार खूब देखने को मिली। आलम तो यह है कि इस मुद्दे को लेकर पूरे विपक्ष के निशाने पर केंद्र सरकार आ गई थी।
उधर कोरोना खतरनाक हो रहा था तो दूसरी ओर कोरोना काल में देश में कई ऐसी राजनीतिक घटनाक्रम भी देखने को मिलीजो शायद हमेशा याद रहेगा
बिहार से लेकर दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों में गजब की प्रतिस्पर्धा देखने को मिली।
इसके आलावा मध्य प्रदेश में कमल दोबारा खिल गया और कांग्रेस के हाथ से सत्ता निकल गई। कमलनाथ को लेकर उनके साथी इतने नाराज हुए कि उनकी सत्ता वहां से चली गई। आइए जानते जानते हैं कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में जो साल भर चर्चा में बनी रही।
1 तो इस वजह से मध्यप्रदेश में फिर खिला कमल
इस साल राजनीतिक घटनाक्रम सबसे ज्यादा चर्चा में रही तो वो थी मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार का जाना। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी।
हालांकि शुरुआती महीनों में सबकुछ ठीक था लेकिन बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत कांग्रेस को ले डूबी। आलम तो यह रहा कि सिंधिया के 22 समर्थक विधायक कमलनाथ सरकार से किनारा कर लिया और इस वजह से वहां पर कांग्रेस की सरकार चली गई।
इतना ही नहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा का हाथ थाम लिया। इसके बाद सिंधिया की मदद से बीजेपी दोबारा वहां पर सत्ता पर काबिज हो गई।
2 लेकिन राजस्थान में बच गई किसी तरह से कांग्रेस की सरकार
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार चली गई तो दूसरी ओर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार संकट में नजर आई। इस साल कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बुरा दौर रहा है। नेताओं के आपसी मनमुटाव ने कांग्रेस का खेल कई राज्यों में बिगाड़ दिया था।
मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में सचिन पायलट नाराज हो गए। मामला तब और बढ़ गया जब उनको लेकर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत सख्त हो गए।
इतना ही नहीं अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को अपने मंत्रिमंडल से निष्कासित किया बल्कि कांग्रेस ने भी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया। हाालंकि बाद में किसी तरह से सचिन पायलट को कांग्रेस ने अपने पाले में लाने में देर नहीं की और किसी तरह से वहां पर सरकार अब तक कांग्रेस की बरकरार है।
3 केजरीवाल इसलिए लौटे सत्ता में
इस साल फरवरी महीने में दिल्ली की सत्ता को लेकर खूब घमासान देखने को मिला। बीजेपी ने दिल्ली जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी लेकिन जनता की पहली पसंद एक बार फिर अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी रही।
हालांकि केजरीवाल को सत्ता से हटाने के लिए बीजेपी ने कई बड़े दांव खेले। दिल्ली का शाहीन बाग सीएए के खिलाफ प्रदर्शन तेज था और इस मुद्दे को लेकर भी राजनीति खूब देखने को मिली लेकिन बीजेपी को केजरीवाल को रोक नहीं सकी।
इस चुनाव में जहां 62 सीटों के साथ अरविंद केजरीवाल एक बार फिर सत्ता में लौटे तो दूसरी ओर बीजेपी 8 सीटों तक सिमट गई।
4 जारी है ममता से बीजेपी की रार
पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होना है लेकिन बीजेपी अभी से वहां पर अपनी जमीन को तैयार करने में लगी हुई है। इसका नतीजा यह रहा कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच लगातार जुब़ानी जंग देखने को मिल रही है।
ममता बनर्जी लगातार केंद्र पर हमलावर है तो दूसरी ओर बीजेपी वहां पर लगातार सक्रिय हो रही है ताकि ममता राज को खत्म किया जाये। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस में भी सबकुछ ठीक नहीं है। उसके नेता बीजेपी से हाथ मिलाते दिख रहे हैं। कद्दावर नेताओं के बीजेपी में जाने से तृणमूल कांग्रेस को झटका लगा है।
5 बिहार में किसी तरह से नीतीश फिर सत्ता में
इस साल बिहार विधानसभा चुनाव अच्छा खास चर्चा में रहा है। लालू के लाल तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को कई मौकों पर परेशान किया । बिहार में हुए 243 सीटों पर विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन 125 सीटों के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही।
हालांकि यह सरकार कितने दिन चलेगी अब भी बड़ा सवाल है। नीतीश कुमार ने सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपत जरूर ली है लेकिन उनके लिए यह चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं रहा।
तेजस्वी यादव के साथ-साथ चिराग पासवान ने भी नीतीश को कई मौकों पर घेरा है। इस चुनाव में आरजेडी और भाजपा दोनों के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला लेकिन नीतीश की पार्टी जदयू इस चुनाव में काफी कमजोर दिखायी पड़ी।
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