जुबिली पोस्ट ब्यूरो
नई दिल्ली। साहब, सिक्के मत दीजिए, आप नोट दीजिए या फिर उधार ले जाइए, सिक्के लेकर मैं क्या करूंगा, इसे न तो व्यापारी ले रहे हैं और नहीं ही बैंक के अधिकारी। कोई सिक्के ले भी रहा है तो इस वक्त एहसान कर रहा है।
जी हां, यह दर्द एक नहीं कई छोटे व मध्यम कारोबारियों की है। फिलवक्त ऋषिकेश के बाजार में सिक्कों को लेकर हर दुकानदार परेशान हैं। बैंकों की मनमानी चरम पर हैं। प्रशासन आंख मूंदे चैन की बंशी बजा रहा है। बाजारों में सिक्कों को लेकर आए दिन किचकिच हो रही है।
शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में आए-दिन कहीं न कहीं सिक्कों को लेकर होहल्ला मच रहा है। बैंक में तू-तू, मैं-मैं आए दिन की बात हो चुकी है। अधिकारी जहां ग्राहकों का सिक्का नहीं जमा कर रहे हैं, वहीं बड़े दुकानदार भी बैंकों का हवाला देते हुए सिक्का लेने से इंकार कर दे रहे हैं।
सिक्कों की पोटली लेकर छोटे दुकानदार से लेकर आम लोग दर- दर भटकने को विवश हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) बैंकों को कई मर्तबा सिक्कों को लेकर निर्देशित कर चुका है।
सिक्के लेने के सख्त आदेश के बाद भी कई बैंक आदेश को ठेंगा दिखा रहे हैं और प्रशासन आरबीआई के इस आदेश को पालन कराने में अपनी कोई भूमिका नहीं दिखा रहा है।
दरअसल पूरे देश में नोटबंदी के बाद से सिक्कों की बाढ़ आ रखी हैं। हर छोटे चाय-पान व खोमचे व फेरी के दुकानदारों के पास सिक्के की पोटली एकत्र हो चुकी है। छोटे दुकानदारों के पास एकत्र सिक्के बैंक लेने को तैयार नहीं हैं।
आम नागरिक सिक्का लेकर बाजार में सामान खरीदारी के लिए जाता है तो बड़े से लेकर छोटे दुकानदार सिक्के लेने से इंकार कर दे रहे हैं।
जेब में पैसे होने पर भी वह बाजार से खाली हाथ लौटने विवश हैं। सिक्के लेने में बैंक जबरदस्त आनाकानी कर रहे हैं। कभी गिनने का बहाना तो कभी ऊपरी आदेश नहीं होने समेत अन्य तर्क देकर ग्राहकों का सिक्का लेने से इंकार कर हैं।
सिक्कों को लेकर सबसे ज्यादा परेशान छोटे दुकानदार व ग्रामीण जनता नजर आ रही हैं। ऐसे में जो छोटे दुकानदार या हॉकर केवल सिक्कों से ही कारोबार करते हैं उनका और उनके परिवार के सामने रोजी- रोटी के भी संकट उत्पन्न हो गए हैं।