धीरेन्द्र अस्थाना
जलवायु परिवर्तन सिर्फ पर्यावरणविदों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। यदि अब हम नहीं सचेते तो फिर हम कभी संभल नहीं पायेंगे। ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ रहा है और धरती का फेफड़ा सुलग रहा है।
करीब तीन सप्ताह से अमेजन नदी घाटी में फैले वर्षावन जल रहे हैं। अब तक करीब 47 हजार वर्ग किमी जंगल जलकर खाक हो चुके हैं। यह घटना समूचे मानव जाति के लिए चिंता का विषय है। यदि इस आग पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो पूरी दुनिया के लिए कभी न भरने वाला जख्म साबित होगा।
धरती का फेफड़ा कहे जाने वाला अमेजन वर्षावन कभी कार्बन सोखकर ऑक्सीजन पैदा करता था और आज वह ऑक्सीजन सोखकर कार्बन पैदा कर रहा है। एक ओर इस कार्बन की वजह से तो वहीं दूसरी ओर इस जंगल से पूरी दुनिया को मिलने वाली 20 प्रतिशत आक्सीजन के लिए पर्यावरणविद चिंतिंत हैं।
अमेजन के वर्षावन दक्षिण अफ्रीका में स्थित हैं। इस वन का क्षेत्रफल लगभग 55 लाख वर्ग कि.मी. तक फैला है। इस वन की गिनती धरती के सबसे विविध ट्रॉपिकल वर्षा वनों में होती है। ब्राजील में अमेजन के 60 प्रतिशत वर्षावन हैं।
कभी अमेजन एक घना जंगल हुआ करता था। इस विशाल जंगल में हजारों जलधाराएं बहा करती थीं। इस जंगल का अपना एक ईकोसिस्टम था। यह अपना खुद का बादल बनाता था और बारिशे भी करता था। एक समय था जंगल में गगनचुंबी पेड़ों के चंदोवे धरती को इस तरह से ढंक लिया करते थे कि जमीन पर सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंच पाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अमेजन के जंगलों में लगने वाली आग की वजह से यह जंगल लगातार सिकुड़कता जा रहा है।
अमेजन के जंगल को पूरी दुनिया का सबसे बड़ा जंगल माना जाता है। ये पूरी दुनिया के लिए कैसे ऑक्सीजन सेंटर है उसको ऐसे समझा जा सकता है कि दुनिया को 20 प्रतिशत ऑक्सीजन इन्हीं वर्षावनों से मिलता है। विश्व के एक तिहाई मुख्य वन यहां हैं, जो प्रति वर्ष 90 से 140 अरब टन कार्बन सोख रहे हैं। इससे ग्लोबल वॉर्मिंग रोकने में मदद मिल रही है।
इस जंगल में 30 हजार प्रजाति के वृक्ष हैं। 2.5 हजार किस्म की मछलियां हैं तो वहीं 1.5 हजार किस्म के परिंदे रहते हैं। इसके अलावा इस जंगल में 500 स्तनधारी, 550 सरीसृप और करीब 25 लाख किस्म के कीट पाये जाते हैं। इस जंगल में बीते बीस साल में 2200 नए पौधे और जीव खोजे गए हैं। अमेजन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। 6900 किमी में बहने वाली अमेजन अपने में बहुत कुछ समेटे हुए हैं। दुनिया का 20 प्रतिशत गैर-हिमीकृत पानी इसकी घाटी में है।
यह वर्षावन मानवजाति के लिए किस कदर उपयोगी है, इसे इन आंकड़ों से समझा जा सकता है। एक आंकड़े के अनुसार इन वनों के भीतर और आस-पास करीब 30 करोड़ आबादी रहती है। इनमें से 16 लाख लोग ऐसे हैं जिनका जन्म यहीं हुआ है। इस जंगल में 410 किस्म की जनजातियां करीब 11 हजार वर्षों से रह रही हैं। यदि इस जंगल का वजूद खत्म हुआ तो उसके साथ इन आदिवासियों का भी वजूद समाप्त हो जायेगा।
जिस तरह से अमेजन के वर्षावन में आग की घटनाएं हो रही है, वह चिंता बढ़ाने वाली है। यदि ऐसे ही आग की घटनाएं होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब अमेजन के वर्षावन का जिक्र किताबों में होगा। 1950 से लेकर अब तक अमेजन वर्षावन का 18 प्रतिशत हिस्सा खत्म हो चुका है। वहीं इन वर्षावनों में लगने वाली आग की घटनाओं में इस साल 83 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इन आग की घटनाओं की वजह से अगले 50 सालों में 65 प्रतिशत से ज्यादा वर्षावनों पर बंजर होने का खतरा मंडरा रहा है।
ब्राजील की स्पेस एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस रिसर्च के अनुसार इस साल अमेजन के वर्षावन में आग लगने के 72,843 मामले सामने आए। 2018 की तुलना में इन मामलों में 83 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। 2013 से पहले आग की घटनाओं का रिकार्ड नहीं रखा जाता था। सन 2013 से ऐसी घटनाओं का रिकॉर्ड रखा जाने लगा था। तब से लेकर अब तक की यह सबसे बड़ी संख्या है।
अमेजन के वर्षावन में जिस तरह से आग की घटनाएं हो रही है वह बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रही हैं। इसके अलावा आग की बढ़ती ये घटनाएं ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो की नीतियों पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर रही हैं। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद ऐसी घटनाओं में इजाफा हुआ है।
दरअसल राष्ट्रपति की नीति में अमेजन के इलाके में खेती और खनन करना भी शामिल है। इसलिए यह सवाल उठ रहा है। इसके अलावा एक राष्ट्रपति को जिस तरह जंगल के कटान और आग को लेकर चिंतिंत होना चाहिए वैसी चिंता उनकी नहीं दिखती।
सवाल उठने का एक बड़ा कारण यह भी है कि कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने एक बयान दिया था, जिसकी खूब निंदा हुई थी। उन्होंने कहा था कि यह खेती के लिए जंगलों की सफाई का मौसम है। इसीलिए किसान जंगलों को आग लगाकर जमीन तैयार कर रहे हैं। जाहिर है ऐसे बयान की निंदा होगी ही जब यह मालूम हो कि अमेजन के जंगल पूरी मानव जाति और पर्यावरण के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।
आज विकास की अंधी दौड़ में प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों का जमकर दोहन हो रहा है। इसका खामियाजा हम भुगत रहे हैं फिर भी उससे सीख नहीं ले रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता जा रहा है फिर भी हम जंगल की देखभाल को लेकर सचेत नहीं हैं। सभी यह जानते हैं कि पर्यावरण को शुद्ध रखने में ये हरे-भरे पेड़-पौधे ही सहायक होते हैं। यदि यह नहीं रहे तो पृथ्वी का भी वजूद खतरे में पड़ जायेगा।
आज सूखा-बाढ़, वायु प्रदूषण की समस्या से परेशान है तो उसका सबसे बड़ा कारण है जंगलों की कटाई। इसलिए सचेत होने का समय आ गया है। यदि हम अब सचेत नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब हम प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ शुद्ध ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ देंगे। खासकर अमेजन के जंगलों के नष्ट होने से।