पॉलिटिकल डेस्क।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान किया जा चुका है। अगले चरण में 13 राज्यों की 97 लोकसभा सीटों पर 18 अप्रैल को वोटिंग होगी। वहीं झाँसी, हमीरपुर, जालौन में चौथे चरण में मतदान 29 अप्रैल को होगा और बांदा में मतदान पांचवे चरण में 6 मई को निर्धारित है। यह चारो लोकसभा क्षेत्र यूपी के बुंदेलखंड क्षेत्र में आते हैं। इस क्षेत्र के चुनावी मुद्दे और सियासी समीकरण दूसरे क्षेत्रों से अलग होते हैं।
यहां कभी ‘लाल सलाम’ वालों की तूती बोलती थी तो मौजूदा समय में मोदी लहर का भी जादू चल रहा है। वर्तमान समय में यहां की चारों लोकसभा और सभी 19 विधानसभा सीटों पर भाजपा काबिज है। लेकिन 2019 में बीजेपी अपनी जीत को दोहरा पाएगी या फिर बुंदेलखंड का परिणाम चौंकाने वाला होगा यह अभी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है. दरअसल 2014 में चारों सीटों पर कब्जा करने वाली बीजेपी के लिए इस चुनाव में गठबंधन की कड़ी चुनौती तो है ही, कांग्रेस भी लड़ाई को त्रिकोणीय बना रही है।
उत्तर प्रदेश के सात जिलों चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर का भूभाग बुंदेलखंड कहलाता है। बुंदेलखंड में चार लोकसभा क्षेत्र आता है और 19 विधानसभा सीटें है । बांदा, जालौन, हमीरपुर और झांसी लोकसभा सीट का चुनाव हमेशा रोचक रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बुंदेलखंड के 4 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को कुल 19,19,551 वोट मिले थे, जबकि सपा और बसपा (दोनों को मिलाकर) को 18,21,027 मत मिले थे। यानी भाजपा को सपा-बसपा के मुकाबले सिर्फ 98,488 वोट ही ज्यादा मिले थे।
बांदा लोकसभा सीट पर बीजेपी को भीतरघात का खतरा
सपा ने बांदा-चित्रकूट से इलाहाबाद के भाजपा सांसद रहे श्यामाचरण गुप्त को मैदान में उतारा है। बीजेपी ने आर.के. सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया है, तो कांग्रेस ने बांदा-चित्रकूट से ददुआ के भाई व मिर्जापुर से सपा के पूर्व सांसद बालकुमार पटेल को टिकट दिया है।
खास बात यह है कि आर.के. सिंह पटेल और बाल कुमार पटेल पिछले चुनाव में अलग-अलग पार्टी से चुनाव लड़ रहे थे और इस चुनाव में दल बदलकर फिर एक दूसरे के सामने हैं।
वहीं गठबंधन के प्रत्याशी श्यामाचरण गुप्त भी कई बार पाला बदल कर चुनाव लड़ते रहे हैं। बांदा-चित्रकूट से भाजपा उम्मीदवार भैरों प्रसाद मिश्रा को 3,42,066 मत मिले थे, जबकि बसपा के आर.के. सिंह पटेल (अब भाजपा विधायक मानिकपुर) को 2,26,278 और सपा के बाल कुमार पटेल को 1,89,730 मत मिले थे।
आर. के. पटेल
बीजेपी के प्रत्याशी आर.के. पटेल 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर सांसद पहुंचे थे। आर.के. पटेल ने छात्र राजनीति से इस मुकाम तक पहुंचे हैं। पार्टी बदलने में माहिर हैं बसपा-सपा और बीजेपी सभी पार्टियों के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं।
वर्ष 1993 में विधानसभा का चुनाव लड़े लेकिन 165 वोट से हार गए। इसके बाद वर्ष 1996 में बसपा से विधायक चुने गए और बसपा सरकार में मंत्री भी रहे। 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर बांदा से सांसद चुने गए। इसके बाद 2017 में भाजपा के टिकट पर मानिकपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत कर विधायक बने।
आर.के. पटेल जो टिकट दिए जाने से भाजपा के निर्वतमान सांसद भैरों प्रसाद मिश्र नाराज हैं। वह कह रहे हैं कि क्षेत्र में अब बच्चा-बच्चा कह रहा है कि भाजपा नहीं जीत पाएगी। उन्होंने इशारों-इशारों में मोदी और शाह पर भी निशाना साधा है। भैरों प्रसाद ने कुछ शीर्ष नेताओं का नाम लिये बगैर कहा कि पार्टी में सिर्फ मठाधीशी चल रही है।
श्यामाचरण गुप्ता
उत्तर प्रदेश की प्रयागराज लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद श्यामाचरण गुप्ता पार्टी से बगावत कर समाजवादी पार्टी के टिकट पर बांदा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
बीड़ी किंग के नाम से मशहूर श्यामाचरण गुप्ता ने पहली बार बीजेपी के टिकट पर व 1989 में मेयर का चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। वह इससे पहले सपा के टिकट पर 2004 में बांदा से सांसद चुने गए थे। श्यामाचरण गुप्ता भी दल बदलने में माहिर हैं और समय का रुख देखकर पाला बदल लेने हैं।
श्यामाचरण गुप्ता का संसदीय क्षेत्र में लम्बा अनुभव भी रहा है ऐसे में वह मोदी लहर को रोकने में कामयाब हो सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि श्यामाचरण गुप्ता को महागठबंधन का वोट तो मिलेगा ही साथ ही सवर्ण वोटों पर भी वह सेंधमारी कर सकते हैं। गौरतलब है कि कुर्मी वोट बैंक में बंटवारा होना तय है इसका फायदा भी गुप्ता को मिल सकता है।
बाल कुमार पटेल
कांग्रेस ने बाल कुमार पटेल को इस सीट से प्रत्याशी बनाया है। बालकुमार पटेल 2009 में मिर्जापुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा ने उन्हें बांदा लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन मोदी लहर में वो चुनाव जीत नहीं सके। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे थे, लेकिन अखिलेश यादव ने उन पर भरोसा नहीं जता रहे थे तो वह कांग्रेस में शामिल हो गए।
बाल कुमार पटेल कभी बुंदेलखंड में अपना दबदबा रखने वाले दस्यु ददुआ के परिवार के सदस्य हैं। ददुआ को बसपा सरकार में एक मुठभेड़ में मार दिया गया था। लेकिन अब उनके बेटे राजनीति में सक्रिय हैं। एक समय था जब चुनाव में ददुआ का फरमान आया करता था, ददुआ के फरमान से रातों-रात चुनाव का माहौल बदल जाता था। लेकिन अब उनके बेटे खुद चुनाव मैदान में हैं। बाल कुमार पटेल चुनाव भले ही ना जीत रहे हो लेकिन वह बीजेपी के प्रत्याशी आर.के पटेल को बड़ा नुकसान पहुंचाएंगे ऐसे में गठबंधन के प्रत्याशी श्यामाचरण को लाभ हो सकता है।
स्थानीय लोगों का यही कहना है कि अभी इस सीट पर किसकी जीत होगी या किसकी हार होगी कहा नहीं जा सकता। मुकाबला तीनों के ही बीच में हैं। वहीं एक बीजेपी के स्थानीय नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी द्वारा बाहरी प्रत्याशियों को टिकट देने से कार्यकर्ता नाराज हैं।
एक और समस्या यह है कि सभी उम्मीदवार आयतित हैं। जिनके पास अपने कार्यकर्ताओं और क्षेत्रीय जनता को बताने के लिए कुछ नहीं है कि उन्होंने इससे पहले क्या कार्य किए हैं जिसके लिए उन्हें वोट दिया जाए।
‘जुबिली पोस्ट’ की अगली सीरीज ‘बुंदेलखंड का रण’ में हम आपको ‘हमीरपुर-महोबा’ लोकसभा सीट के विषय में बताएंगे