न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। दबे पांव आई मंदी का असर घर बनाने वाले सामान मौरंग, गिट्टी, सीमेंट और सरिया पर भी पड़ा है। लोगों की खरीद क्षमता कम होने से भवन समाग्री की डिमांड बेहद कम हो गई है, जबकि इस सीजन में लोग घरों का निर्माण, फिनिशिंग आमतौर पर ज्यादा कराते हैं।
लॉकडाउन के चलते बाजार में मांग न होने से सैकड़ों ट्रक खड़े हो गए हैं। इससे ट्रकों के चालक पिछले करीब 60 दिन से घर में बैठे हैं। ट्रक मालिक भी किस्त आदि को लेकर परेशान हैं।
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मांग न होने से मौरंग, गिट्टी, सीमेंट, सरिया के भाव भी लॉकडाउन खुलने के बाद कम हो गए हैं लेकिन दूसरी चीजों में महंगाई इतनी है कि आम आदमी फिलहाल घर बनवाने की सोच नहीं पा रहा है।
गिट्टी- मौरंग ट्रक ऑपरेटर सुरेश रावत की माने तो पहले मौरंग और गिट्टी के भाव तेज थे। इसके चलते मांग कम थी, अब जब सस्ता हुआ है तो खरीदार नहीं है, जिसकी वजह से हमारा खर्चा तो दूर गाड़ी का तेल खर्च भी नहीं निकल रहा रहा।
यूपी सीमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम मूर्ति गुप्ता का कहना है कि अब भाव गिरने के बाद भी बाजार बैठ गया है। मांग बिल्कुल नहीं है। हालत यह है कि लोड ट्रक खड़े हैं लेकिन उन्हें लेने वाला कोई नहीं है।
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सरकार कोई बड़ा प्रोजेक्ट शुरू कराएं ताकि बाजार में कुछ सुधार हो सके। उन्होंने बताया कि राजधानी के आसपास करीब 10 हजार ट्रक ड्राइवर प्रतिदिन माल ढोते थे। अब यह संख्या दो से तीन हजार के आसपास ही रह गई है। बाकी चालक अपने घर चले गए।
कारोबारी चिंता जताते हुए उन्होंने बताया कि इस मौसम में घर आदि की फिनिशिंग का काम ज्यादा होता है। इसके चलते मौरंग आदि की मांग ज्यादा रहती है लेकिन इस बार स्थिति उलट है। लॉकडाउन खुलने पर रेट बढ़े थर लेकिन अब तो भाव भी कम हो गए हैं लेकिन मांग नहीं निकल रही है। इसके चलते भाव और गिरावट आई है। मौरंग 5500 रुपये की ट्रक बिक रही है।
सीमेंट के रेट लॉकडाउन से पहले बढ़े हुए थे लेकिन अब फिर पुराने रेट हो गए है। एस. एम गुप्ता के अनुसार मौजूदा समय में सीमेंट के भाव भी कम हो गए हैं। 400 रुपये प्रति पैकेट वाली सीमेंट 350 रुपये में आ गई है।
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सीमेंट की मांग में पहले कभी इतनी गिरावट नहीं आई है। सरिया और लोहा व्यापारी की माने तो सरिया की मांग इस समय शून्य है। भाव भी इस समय सबसे कम हैं। 47-48 रुपये किलो बिकने वाली सरिया के भाव सात से आठ रुपये प्रति किलो कम हुए हैं। आमतौर पर प्रतिदिन दो से ढ़ाई हजार टन सरिया की खपत रहती है, जो गिरकर जमीन पर आ गयी है।
तो इसलिए अभी 3 महीने होंगे मुश्किल
भवन निर्माण करवाने वाले ठेकेदार कुलदीप राय की माने तो उनका कहना है कि समय काफी खराब चल रहा है, लॉकडाउन में भले ही राहत मिल गयी हो लेकिन मजदूरों की कमी को कोई अनदेखा नहीं कर सकता।
दूसरी बड़ी वजह ये भी है कि अभी कोरोना का खौफ लोगों में इतना है कि घरेलू निर्माण तो अभी 3 महीने तक शुरू हो पाना काफी मुश्किल नजर आ रहा है। बाकि सरकार तो पहले ही हाथ खड़े कर चुकी है, इसलिए वहां से निर्माण कार्य की कोई उम्मीद भी नहीं नजर आ रही है।
मजदूर मिलेंगे तो आएगी तेजी
कारोबारी तापेश्वर शाह का कहना है कि जब मंडी में मजदूर मिलेंगे तो काम आसान होगा और मांग में तेजी भी आएगी और बात कीमतों की करें तो हूँ माल तो सस्ता हुआ है, लेकिन मार्केट में पैसे का फ्लो थम गया है, जिसकी वजह से दिक्कतें ज्यादा है। समस्या का हल अभी इतना आसान नहीं है, जितना सोचा जा रहा है।
उत्पाद लॉकडाउन में अब
सीमेंट 390- 400 340- 350
मौरंग 70000 प्रति ट्रक 55000 प्रति ट्रक
सरिया 43000 टन 41000 टन
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