Tuesday - 29 October 2024 - 6:31 PM

बजट 2021 : आम आदमी की क्या है उम्मीदें ?

जुबिली न्यूज डेस्क

एक फरवरी को देश का बजट पेश होगा। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश करना वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए भी आसान नहीं होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। कोरोना वायरस महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था अब भी सुस्ती के दौर से उबर रही है। तालाबंदी की वजह से लंबे समय के लिए कारोबार बंद रहे, लोगों की नौकरियां गईं और इनकम भी कम हुई।

कोरोना महमारी की मार से अधिकांश लोग प्रभावित हुए है। ऐसे में सरकार से कुछ उन उपायों की उम्मीद की जा रही है, जिससे आर्थिक वृद्धि का पहिया तेजी से घूम सके, ज्यादा नौकरियां मिलें, लोगों की इनकम बढ़े और निवेश व मांग बढ़े।

तो आइए जानते हैं कि इस बार देश के मिडिल क्लास की नजर किन बातों पर रहेगी।

कोरोना महामारी की वजह से घर से काम कर रहे कर्मचारियों को घर पर ही ऑफिस जैसी व्यवस्था करने के लिए खर्च करना पड़ा है। ऐसे में इस बार उनकी नजर रहेगी कि सरकार इस खर्च पर कुछ राहत देने का ऐलान करती है या नहीं। क्या सरकार मांग बढ़ाने के लिए कुल डिडक्शन की घोषणा करेगी?

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कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच सैलरी पाने वाले मिडिल क्लास को टैक्स के मोर्चे पर भी सरकार से उम्मीद है। देखना होगा कि क्या आने वाले बजट में सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाने का ऐलान करती है या नहीं।

अब यह भी जान लेते हैं कि स्टैंडर्ड डिडक्शन क्या है? स्टैंडर्ड डिडक्शन वह रकम होती है, जो किसी व्यक्ति की टैक्सेबल इनकम में से घटाने के बाद टैक्स कैलकुलेट किया जाता है। इस प्रकार वो इनकम घट जाती है, जिस पर टैक्स देना होता है।

दरअसल साल 2018-19 के बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन को मेडिकल व ट्रांसपोर्ट अलाउंस को खत्म कर लाया गया था। उस समय स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 40,000 रुपये थी, जिसे बढ़ाकर अब 50,000 रुपये कर दिया गया है।

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इसके अलावा आम लोगों को होम लोन के प्रिंसिपल रिपेमेंट पर 1.5 लाख रुपये की छूट की उम्मीद है। यह इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C (SECTION C) के दायरे से बाहर रखने की मांग है।

दरअसल अधिकतर मामलों में पहले ही 80C के तहत 1.5 लाख की लिमिट पूरी हो जा रही है। यह भी मांग ही है कि इस छूट को घर के पजेशन मिलने की तारीख से नहीं बल्कि लोन लेने की तारीख से हो।

सेक्शन 80सी के तहत लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, होम लोन के प्रिंसिपल रिपेमेंट, एफडी, पीएफ आदि पर 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है।

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पिछले कुछ समय से बढ़ती महंगाई को देखते हुए सरकार इस लिमिट को 2.5 से 3 लाख रुपये तक बढ़ाने का ऐलान कर सकती है। इनकम टैक्स छूट की इस लिमिट के बढऩे का मतलब होगा कि लोग टैक्स बचाने वाले इंस्ट्रूमेंट्स पर ज्यादा खर्च करेंगे।

इस वैश्विक महामारी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट अब एक जरूरत बन चुकी है। अब यह केवल विकल्प नहीं रहा है।

जीवन बचाने में हेल्थ इंश्योरेंस की भूमिका अब बहुत बढ़ चुकी है। कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस अनिवार्य कर दिया है। इसे देखते हुए उम्मीद है कि अब सरकार भी इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80डी की अधिकतम लिमिट को बढ़ाने का ऐलान करे।

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