न्यूज़ डेस्क
सत्रहवीं लोकसभा के संसद सत्र की शुरुआत 17 जून से हो चुकी है। इस संसद सत्र में सरकार सार्वजनिक बैंको को राहत देने के लिए ठोस कदम उठा सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि आगामी बजट में वितमंत्री पब्लिक सेक्टर बैंकों के लिए करीब 30,000 करोड़ के आंवटन की घोषणा कर सकती है। बता दें कि बैंकों की सेहत सुधारने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए फंड का आवंटन काफी महत्वपूर्ण है। इस समय बैंक फंसे कर्जों, बड़े डिफाल्ट के मामलों और नकदी संकट जैसी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बनी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी पांच जुलाई को सदम में अपना पहले पूर्ण बजट पेश करेंगी। पीएम मोदी के लिए यह बड़ी चुनौती होगी क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष 2018-19 में पांच सालों के निचले स्तर पर आ गयी है। साथ ही जीडीपी में सिर्फ 6.8 प्रतिशत की बढ़त हुई है। सदन में इस बार पेश किये जाने वाला बजट अगले पांच साल के लिए अर्थव्यवस्था की दिशा को तय करेगा।
प्रॉम्पट करेक्टिव एक्शन के तहत लाया गया
फिलहाल सरकार के नियंत्रण वाले पांच बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के प्रॉम्पट करेक्टिव एक्शन (PCA) के तहत लाया गया है। इसमें उनको बेसल-3 मानक के मुताबिक एक न्यूनतम नियामक पूंजी अनुपात की जरूरत होती है। सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों को अपने कर्ज में बढ़त के लिए फंड की जरूरत होती है।
पिछले हफ्ते वित्तमंत्री ने की बैठक
बैंकों के वितीय संकट और पूंजी बाजार के समस्याओं के लिए वित्तमंत्री सीतारमण ने पिछले हफ्ते प्रमुख लोगों के साथ बजट पूर्व की चर्चा है। इस चर्चा में रिजर्व बैंक के उप गवर्नर भी मौजूद थे। इस बैठक में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए एक समर्पित नकदी व्यवस्था, छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों की समीक्षा और बैंकों के फंसे कर्जों या एनपीए पर चर्चा हुई। इसके अलावा इस बैठक में सार्वजनिक बैंकों में पूंजी प्रवाह और एक अलग बॉन्ड एक्सचेंज बनाने जैसे मसलों पर भी चर्चा हुई है।
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बता दें कि 2018-19 के वित्त वर्ष में सरकार ने सार्वजनिक बैंकों में 1,06,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी, जो कि इसके पिछले वर्ष की तुलना में काफी ज्यादा था। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, बैंक क्रेडिट में 14.88 फीसदी की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह आर्थिक विकास और रोजगार बढ़ाने के मसलों का समाधान करने के लिए दो मंत्रिमंडलीय समितियों की नियुक्ति की थी।