सुरेंद दुबे
कल आयकर विभाग ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राट्रीय अध्यक्ष मायावती के भाई आनंद कुमार व उनकी पत्नी विचित्र लता के नोएड स्थित एक प्लाट को जब्त कर लिया, जिसकी कीमत 400 करोड़ से भी अधिक की बताई जाती है। तब से चर्चा शुरू हो गई है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मायावती को राजनैतिक रूप से अर्दब में लेने के लिए आयकर विभाग के छापे डलवा रही है। ये आरोप सही भी हो सकता है क्योंकि हमारे देश में जब सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय जैसी संस्थाएं सरकारों के इशारे पर काम करती हैं तो फिर आयकर अधिकारियों की क्या औकात?
पॉलिटिकल गेम बिल्कुल साफ-साफ है। वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं और भाजपा चाहती है कि उसके दो प्रमुख विपक्षी दलों सपा व बसपा को चुनाव के पहले ही ठिकाने लगा दिया जाए। बसपा के खिलाफ भ्रष्टाचार के जखीरों का पता तो भाजपा को काफी पहले से है क्योंकि मायावती कई बार भाजपा के सहयोग से उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। तब मायावती उनकी जरूरत थी इसलिए भाजपा धृतराष्ट्र बनी रहीं। अब वह संजय की भूमिका में आ गई है। उसे भविष्य दिखाई पड़ रहा है। भाजपा को बढ़ाना है तो बसपा को पीछे हटाना है। मायावती कोई भी राजनीतिक तर्क या कुतर्क गढ़ लें पर वह भ्रष्टाचार को दलितोत्थान के नैपकिन में लपेट कर ज्यादा दिनों तक अपने दलित भाईयों को भी अधेरें में नहीं रख पाएंगी। मायावती के सामने गंभीर राजनैतिक संकट की घड़ी है। दलित वोट धीरे-धीरे उससे छिटक रहा है। आयकर के छापों ने उनके संकट को और बढ़ा दिया है।
सवाल ये है कि आनंद कुमार के पास इतनी संपत्ति आई कहां से। सबको मालूम है कि आनंद कुमार एक गरीब परिवार से आते हैं और कभी नोएडा विकास प्राधिकरण में चपरासी हुआ करते थे। उनकी किस्मत से उनकी बहन मायावती उत्तर प्रदेश की एक बार नहीं कई बार मुख्यमंत्री बनीं और यहीं से उनके ऊपर कुबेर की कृपा बरसने लगी। थोड़ी बहुत लक्ष्मी तो छिपाए छिप जाती है पर अगर लक्ष्मी छप्पर फाड़ कर बरसे तो उस पर उंगलियां उठने लगती हैं।
बहस इस पर होने के बजाए कि इतनी अकूत संपत्ति आई कहां से, बहस इस पर हो रही है कि क्या भाजपा राजनैतिक दुर्भावनावश उन्हें फंसा रही है। अगर मायावती कह रही हैं उन्हें राजनैतिक दुर्भावनावश फंसाने की कोशिश की जा रही है तो उन्हें अपने भाई द्वारा अर्जित की गई संपत्ति का ब्यौरा जनता के सामने रखना चाहिए।
अब ये सब तो होना ही था क्योंकि अब राजनीति का स्तर साफ-सुथरी प्रतिद्वंदता की पायदान से उठकर राजनीतिक बदले के शिखर तक पहुंच गया है। अब ऐसे में अगर भाजपा मायावती या उनके परिवार के विरूद्ध भ्रष्टाचार के प्रमाण पाकर हो-हल्ला मचाए तो जनता ये सवाल तो पूछेगी ही कि अगर मायावती के भाई आनंद कुमार ने भ्रष्ट तरीके से करोड़ों की संपदा कमाई है तो उनके विरूद्ध कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए। 400 करोड़ रुपए का प्लाट जब्त किए जाने की खबर को चटखारे लेकर जनता पढ़ रही है।
मायावती भले यह कह कर सारी कार्रवाई की निंदा करें कि ये उनकी पार्टी को बदनाम करने के लिए तथा दलितों के आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। पर एक बात समझ में नहीं आती है कि आनंद कुमार ने किस दलित आंदोलन की अगुवाई करके ये रकम कमाई है। यह अरबों-खरबों कमाने वाले आनंद कुमार आखिर बहुजन समाज पार्टी की किस फिलॉसफी को लेकर आगे बढ़ रहे हैं या फिर दलितों के उत्थान के नाम पर आनंद कुमार अपना उत्थान करने पर लगे हैं। आइए देखते हैं कि आनंद कुमार ने कब-कब और कौन-कौन सा कारनामा किया।
दरअसल, मायावती के भाई आनंद कुमार की संपत्ति की जांच आयकर विभाग काफी पहले से कर रहा था। आयकर विभाग को इस जांच में पता चला कि आनंद कुमार के पास नोएडा में 28328 स्क्वायर मीटर का एक बेनामी प्लॉट है। सात एकड़ में फैले इस प्लॉट की कीमत करीब 400 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्र लता के इस बेनामी प्लॉट को जब्त करने का आदेश 16 जुलाई को विभाग की दिल्ली स्थित बेनामी निषेध इकाई (बीपीयू) ने जारी किया था। इसके बाद कल यानी 18 जुलाई को आयकर विभाग ने प्लॉट को जब्त कर लिया।
आयकर विभाग के सूत्रों का दावा है कि आनंद कुमार की कुछ और बेनामी संपत्तियों की जानकारी उनके पास है, जिसे भविष्य में जब्त किया जा सकता है। इसस मामले की जांच आयकर विभाग के अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कर रही है।
आयकर विभाग के मुताबिक, मायावती के भाई आनंद कुमार की 1,300 करोड़ रुपये की संपत्ति की जांच चल रही है। आयकर विभाग ने अपनी जांच में आरोप लगाया कि आनंद कुमार की संपत्ति में 2007 से 2014 तक 18,000 फीसदी की वृद्धि हुई है। उनकी संपत्ति 7.1 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,300 करोड़ रुपये हो गई। 12 कंपनियां आयकर विभाग की जांच के दायरे में है, जिसमें आनंद कुमार निदेशक हैं।
गौरतलब है कि आनंद कुमार के खिलाफ बेनामी संपत्ति की जानकारी मिली थी, जिसके बाद 2017 में आयकर विभाग ने उनसे पूछताछ की थी। आयकर विभाग के अनुसार, आनंद कुमार ने दिल्ली के व्यवसायी एसके जैन के सहयोग से कई हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति जुटाई थी। इस मामले में एसके जैन को बोगस कंपनी मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार भी किया था।
आनंद कुमार ने वर्ष 2007 से लेकर साल 2012 तक मायावती सरकार के दौरान बेनामी संपत्ति बनाई थी। आनंद पर रियल एस्टेट में निवेश कर कोरड़ों रुपये मुनाफा कमाने का भी आरोप है। इस मामले को लेकर आयकर विभाग उनके खिलाफ जांच कर रहा था।
आपको बता दें कि आनंद कुमार नवंबर 2016 में नोटबंदी के दौरान चर्चा में आए थे। उनके खाते में अचानक 1.43 करोड़ रुपये जमा हुए थे। इतनी बड़ी रकम उनके खाते में आने के बाद से वह एक बार फिर से जांच एजेंसियों की नजर में आ गए थे। जांच एजेंसियां पहले बी कई बार आनंद के घर और दफ्तरों में छापेमारी कर चुकी हैं। आनंद कुमार पर आरोप लगा है कि उन्होंने बोगस कंपनियां बनाकर कई हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति बनाई। यह भी आरोप है कि उन्होंने नोटबंदी के दौरान इन्हीं फर्जी कंपनियों की सहायता से करोड़ों रुपए बदलवाए थे।
अब आने वाले दिनों में बसपा के उपाध्यक्ष आनंद कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि इनकम टैक्स विभाग द्वारा की गई इस कार्रवाई के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कार्रवाई के तैयारी में हैं। इस मामले में ईडी मनी लांड्रिंग मामले में केस दर्ज किया था। अब वह इसमें तेजी लाने की तैयारी कर रही है, ऐसे में आनंद कुमार पर की गई इस कार्रवाई की आंच बसपा सुप्रीमो मायावती तक भी पहुंच सकती है। खासकर विधानसभा उपचुनाव और वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले मायावती की मुश्किल और बढ़ सकती है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद मायावती ने संगठन में फेरबदल करते हुए भाई आनंद कुमार को बसपा का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। साथ ही आनंद कुमार के बेटे को पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी गई है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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