जुबिली न्यूज़ डेस्क
कृषि कानून के खिलाफ धरने पर बैठे किसान संगठनो को लेकर अब सियासत तेज हो गई है। गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर विपक्ष सरकार पर जमकर हमलावर है। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद बजट सत्र की शुरुआत हो गई।
इस बीच बसपा प्रमुख मायावती ने संयुक्त अधिवेशन को लेकर राष्ट्रपति द्वारा किये गये संबोधन को निराशाजनक बताया है। उन्होंने एक के बाद एक, दो ट्वीट लगातार किये।
अपने पहले ट्वीट में बसपा प्रमुख मायावती ने लिखा कि संसद के संयुक्त अधिवेशन में मा. राष्ट्रपति का अभिभाषण खासकर किसानों व गरीबों आदि के लिए घोर निराशाजनक रहा। कृषि के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने वाला किसान तीन कृषि कानूनों की वापसी को लेकर काफी आन्दोलित है व सरकारी प्रताड़ना झेल रहा है जिसपर सरकारी चुप्पी दुःखद है ।
1. संसद के संयुक्त अधिवेशन में मा. राष्ट्रपति का अभिभाषण खासकर किसानों व गरीबों आदि के लिए घोर निराशाजनक। कृषि के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने वाला किसान तीन कृषि कानूनों की वापसी को लेकर काफी आन्दोलित है व सरकारी प्रताड़ना झेल रहा है जिसपर सरकारी चुप्पी दुःखद। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) January 29, 2021
2. बीएसपी ने केन्द्र सरकार द्वारा काफी अपरिपक्व तरीके से लाए गए नए कृषि कानूनों का संसद में व संसद के बाहर हमेशा विरोध किया है। देश के गरीबों, दलितों व पिछड़ों आदि की तरह किसानों के शोषण व अन्याय के विरूद्ध व इनके हक के लिए भी बीएसपी हमेशा आवाज उठाती रहेगी। 2/2
— Mayawati (@Mayawati) January 29, 2021
इसके अलावा बसपा प्रमुख ने अपने दूसरे ट्वीट में केंद्र सरकार पर हमला बोला. उन्होंने ट्वीट किया कि बीएसपी ने केन्द्र सरकार द्वारा काफी अपरिपक्व तरीके से लाए गए नए कृषि कानूनों का संसद में व संसद के बाहर हमेशा विरोध किया है। देश के गरीबों, दलितों व पिछड़ों आदि की तरह किसानों के शोषण व अन्याय के विरूद्ध व इनके हक के लिए भी बीएसपी हमेशा आवाज उठाती रहेगी।
बता दें कि संसद के संयुक्त अधिवेशन में अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति कोविंद ने कोरोना दौर में भारत के संघर्ष, गलवान में शहीद हुए जवान, आत्मनिर्भर भारत और गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा तक का जिक्र किया।
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राष्ट्रपति के अभिभाषण से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों से सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि यह दशक का पहला सत्र है और भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए बहुत अहम है।