जुबिली न्यूज डेस्क
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा बुधवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रहे हैं। उनके अनुसार बुधवार शाम को करीब 8 नए चेहरे राज्य के मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार से राज्य में 18 महीने पुरानी येदियुरप्पा सरकार की स्थिरता के बारे में सभी अटकलों पर विराम लग जाएगा।
पिछले एक साल में येदियुरप्पा को उनकी बढ़ती उम्र और अन्य कारणों से हटाए जाने के बारे में कई अफवाहें सामने आ चुकी हैं। बताया जा रहा है कि बीजेपी के आलाकमान ने अनिच्छा से उन्हें मंत्रिमंडल में अधिक मंत्रियों को शामिल करने की अनुमति दी। क्योंकि उनके नेतृत्व में विश्वास की कमी थी। उन्हें आगे बढ़ाने के लिए मनाकर बीएस येदियुरप्पा ने पार्टी के अंदर एक जंग जीत ली। वह एक बार फिर मजबूत होकर उभर रहे हें।
पिछले शनिवार को येदियुरप्पा नई दिल्ली में आए थे। इस दौरान उनके नई दिल्ली आने को लेकर बेंगलुरु में सीएमओ में कई तरह की अफवाहें शुरू हो गईं। लेकिन वह दिल्ली से विजयी होकर लौटे। अपने मंत्रिमंडल के विस्तार के लिए पार्टी नेतृत्व की स्वीकृति प्राप्त करते हुए। इस प्रकार उन्होंने फिर अपनी स्थिति को मजबूत किया।
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सूत्रों के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के कर्नाटक प्रभारी अरुण सिंह के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने उन्हें मंत्रिमंडल विस्तार की आवश्यकता के बारे में बताया। वे रिक्तियों को भरने के लिए सहमत हो गए और येदियुरप्प को शीर्ष नेतृत्व ने सलाह दी कि वह अपनी सरकार को लोकप्रिय बनाने के लिए राज्य में कुछ बड़ी पहलें शुरू करें।
नई दिल्ली में पार्टी के सूत्र ने कहा, ‘येदियुरप्पा को हटाना बहुत मुश्किल है। पार्टी आलाकमान इस बारे में नहीं सोच रहा है। ये सिर्फ अफवाहें हैं। वह अभी सुरक्षित हैं। मंत्रिमंडल का विस्तार एक स्पष्ट संकेत है। बीएस येदियुरप्पा बुधवार को एमटीबी नागराज और आर शंकर को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकते हैं।
इन लोगों ने जुलाई 2019 में उन्हें सीएम बनाने के लिए कांग्रेस से बीजेपी में आए थे। बीजेपी के वरिष्ठ विधायक अंगारा, उमेश कट्टी, मुरुगेश निरानी और अरविंद लिंबावली को भी मंत्री बनाए जाने की संभावना है।
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आबकारी मंत्री नागेश को मंत्रिमंडल से छोड़ने की संभावना है। सूत्रों का मानना है कि येदियुरप्पा कम से कम एक वर्ष के लिए सुरक्षित हैं। कुछ लोगों का तर्क है कि वह अप्रैल/मई 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव तक पद पर रह सकते हैं।