न्यूज डेस्क
कर्नाटक में पिछले तीन हफ्तों से चल रही सियासी खींचतान आज अंत हो गया। बीएस येदियुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट की मुश्किल पार करते हुए विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया है। इसी के साथ सरकार अपने आगे के कामकाज में जुट गई है।
बता दें कि 17 विधायकों के निलबंन के बाद 207 विधायकों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 104 का आंकड़ा चाहिए था और बीजेपी के पास 105 विधायक हैं। इसी बीच स्पीकर रमेश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि मैं पद को छोड़ना चाहता हूं और जो डिप्टी स्पीकर है अभी वह इस पद को संभालेंगे।
एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि आप अब लोग सरकार में हैं, इसलिए विधायकों पर इस्तीफे का दबाव बनाना खत्म कीजिए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार बढ़िया काम करती है तो वह सरकार को समर्थन करेंगे।
इस बीच विधानसभा में सिद्धारमैया ने कहा कि येदियुरप्पा कभी भी जनता के आशीर्वाद के साथ सीएम नहीं बने। ना आपके पास 2008 में बहुमत था, ना 2018 में और ना ही अब। जब उन्होंने शपथ ली तो सदन में 222 विधायक थे, लेकिन बीजेपी के पास 112 विधायक कहां हैं। उन्होंने कहा कि आप मुख्यमंत्री तो रहेंगे, लेकिन उसकी भी कोई गारंटी नहीं है। आप बागियों के साथ है, लेकिन क्या आप सरकार चला सकते हैं। मैं आपके विश्वास मत के प्रस्ताव का विरोध करता हूं।
इससे पहले रविवार को ही कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने सभी बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया है। ऐसे में नंबरगेम में बागियों का रोल नहीं बचा है।
वहीं स्पीकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला कर चुके बागी विधायक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कर्नाटक के सियासी ड्रामे में उनका भरपूर इस्तेमाल हुआ और वे स्पीकर की बुनी हुई स्क्रिप्ट के शिकार हो गए। बागियों ने अपने राजनीतिक करियर को बचाने के लिए विकल्प खोजने भी शुरू कर दिए हैं।
अयोग्य करार दिए गए बागी विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से कहा कि वे अपनी पार्टी और बीजेपी, दोनों से ही ठगे गए। बीजेपी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद देने का सपना दिखाया था, लेकिन उनके साथ सबसे बड़ा खेल स्पीकर ने किया और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। लिहाजा, उन्हें विधानसभा की सदस्यता से ही हाथ धोना पड़ा। यही नहीं वह 2023 तक कोई उपचुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।