जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से ऐसा मामला प्रकाश में आया है, जिससे माँ का बेटे से विश्वास उठ जायेगा। माँ कहती है आज सुबह तो मेरे बच्चों की मुझे आवाज भी सुनाई नहीं दी। मेरे हाथों से पानी भी नहीं पिया। मां बनकर बच्चों को पाला और उसने (भाई प्रदीप) सुबह उठने के दौरान उनकी हत्या कर दी।
अब वो मुझे कभी बुआजी नहीं कह पाएंगे। दूसरे दिन प्रदीप की बहन और बच्चों की बुआ रीना का रो-रोकर बुरा हाल था। बच्चों की दादी शीला भी उन्हें याद करके दहाड़ मारकर रो रही थी।
मसूरी थाना क्षेत्र के शताब्दीपुरम में प्रदीप ने अपनी पत्नी संगीता, बेटी मनस्वी, यशस्वी और ओजस्वी की हत्या करने के बाद खुद खुदकुशी कर ली थी। घटना के बाद दूसरे दिन कॉलोनी में सन्नाटा पसरा रहा। घर के बाहर बैठी महिलाएं मातम मनाती रहीं।
वह बार-बार दहाड़ मारकर रो रही थीं। रीना रोते हुए बोल रही थी भाई ने हमारी तो दुनिया ही उजाड़ दी। उन मासूम बच्चों का क्या कसूर था। तीनों में एक को तो छोड़ देता, जिसके सहारे हम और मां बाप जिंदगी काट लेते।
शताब्दीपुरम में पांच मौत के बाद दूसरे दिन गली में सन्नाटा पसरा रहा। लोग घरों से बाहर नहीं निकले। पहले चहल पहल दिखाई देती थी। वो दिखाई नहीं दी। गली मोहल्ले के लोग भी चर्चा करते हुए नजर आए। मोहल्ले के लोग बच्चियों को याद कर रहे थे। कहा कि घर के बाहर तक हंसने और खेलने के दौरान बोलने की आवाज आती थी।
पांच मौतों के बाद दूसरे दिन काफी संख्या में महिलाएं और लोग सांत्वना देने के लिए पहुंचते रहे। सभी लोगों ने प्रदीप के बूढ़े माता- पिता और बहन को शांत करने की कोशिश करते रहे। रोते- रोते तीनों का गला सूख रहा था। मां और बहन बेहोश हो रही थीं।
बार- बार उन्हें बेटे- बहू और तीन पोतियों की लाश का मंजर दिखाई दे रहा था। वह इस सीन को याद करके रो रही थीं। महिलाओं से बच्ची और बेटे बहू के बारे में चर्चा कर रही थीं।
बेटा ऐसा कर देगा, विश्वास नहीं हो रहा
पिता फेरुराम और माता शीला को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि उनका बेटा प्रदीप इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे देगा। उन्होंने कभी सपने में भी ऐसी कल्पना नहीं की थी। कहा कि बेटे ने कभी कोई बात भी शेयर नहीं की थी। बिना नशे के वह ठीक रहता था। नशे में होने के बाद गई बार हल्ला मचाने लगता था।
हमें डांटता था, अब खुद ही मार दिया
रीना ने बताया कि बच्चियों को भी शोर मचाने में डाट देते थे या कभी पिटाई कर देते थे। तो भाई प्रदीप सभी से लड़ पड़ता था कि बच्चियों को क्यों मार दिया। उन्हें मारा मत करो। अब उसने खुद ही उनकी हत्या कर दी। वह ऐसा कैसे कर सकता है। उसे मारते समय जरा भी रहम नहीं आया।