न्यूज डेस्क
ब्रिटेन में चुनाव के दौरान बोरिस जॉनसन ने वादा किया था कि वह ईयू से ब्रिटेन को बाहर निकालेंगे। फिलहाल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन अपना वादा पूरा कर दिया है। यूरोपीय संसद में ब्रेक्जिट समझौते के अनुमोदन के साथ ही ईयू से ब्रिटेन के तलाक की कार्रवाई पूरी हो गई। 31 जनवरी की मध्यरात्रि से ब्रिटेन ईयू से बाहर होगा।
ईयू से ब्रिटेन के बाहर निकलने के बाद आगे का रास्ता बहुत अच्छा नहीं होगा। साढ़े तीन साल तक खिंचे यूरोपीय संघ से उसके तलाक की खुशी मनाने का उनके पास ज्यादा समय नहीं होगा।
दरअसल इस पूरे घटनाक्रम ने ना केवल ब्रिटिश जनता का भरपूर ध्रुवीकरण किया है बल्कि ब्रिटिश राजनीति को गहराई तक बदल दिया है।
एक फरवरी से लंदन और ब्रसेल्स के बीच नए सिरे से वार्ताओं का दौर शुरु होगा ताकि भविष्य के संबंधों की रूपरेखा तैयार की जा सके।
ब्रिटेन के पास 2020 के अंत तक का समय है जिस संक्रमण काल में वह ईयू के साझा बाजार का हिस्सा बना रहेगा। 11 महीने में ब्रिटेन को कारोबारी, रक्षा, ऊर्जा, यातायात और डाटा समेत तमाम अहम मामलों पर समझौते करने होंगे।
हालांकि ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन कह चुके हैं कि उनके लिए 11 महीने का समय काफी है जिसमें वह “जीरो टैरिफ, जीरो कोटा” सिद्धांत पर आधारित ट्रेड डील कर लेंगे, जिसका उन्होंने वादा किया था।
ब्रिटेन के बीच के व्यापारिक संबंधों पर विश्व व्यापार संगठन के नियम लागू हो जाएंगे। इसके अंतर्गत व्यापारिक संबंधों में सभी तरह के आयात शुल्क और कंट्रोल की फीस चुकानी होगी।
आमतौर पर ईयू के साथ व्यापार समझौता करने में देशों को कई-कई साल लगते हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि इतने कम समय में व्यापार समझौते के रूप में ज्यादा कुछ हासिल नहीं किया जा सकेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार आसानी और तेजी से कोई समझौता तभी संभव है जब ब्रिटेन ज्यादा से ज्यादा ईयू के नियमों के करीब रहने को राजी हो, लेकिन लंदन की चिंता है कि अगर ब्रिटेन ईयू के नियमों पर चला तो उसके लिए विश्व के दूसरे देशों के साथ व्यापार समझौते करना कठिन होगा, खासकर अमेरिका के साथ।
वहीं ईयू ने भी साफ कर दिया है कि वह ब्रिटेन से निष्पक्ष प्रतियोगिता की गारंटी के बिना कोई समझौता नहीं करेगा, क्योंकि वह उनका नजदीकी, बड़ा और शक्तिशाली पड़ोसी है। निष्पक्ष प्रतियोगिता की गारंटी का मतलब होगा एक जैसे पर्यावरण और श्रम मानकों का पालन करना, ताकि ब्रिटेन ब्लॉक के सदस्यों को बहुत कम कीमतों में कोई उत्पाद बेचने की हालत में ना हो।
एक समझौते पर सहमति बनाने के लिए दोनों पक्षों के पास केवल अक्टूबर तक का ही समय है, क्योंकि उसके बाद उस समझौते का ईयू की 23 आधिकारिक भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा और साल खत्म होने से पहले उसे ईयू संसद में भी पास करना होगा।
यह भी पढ़ें :कोरोना पर WHO के फैसले से चीन को झटका
यह भी पढ़ें : 64 साल पुरानी इस खास कार में डीजीपी की होगी विदाई