न्यूज डेस्क
सुशासन बाबू के राज्य में स्वास्थ्य महकमा भगवान भरोसे है। स्वास्थ्य विभाग को न तो किसी की चिंता है और न ही किसी का डर, तभी तो इंसेफेलाइटिस की वजह से डेढ़ सौ बच्चे मौत के आगोश में चले गए और विभाग अब तक चैतन्य नहीं हुआ। चौतरफा आलोचना के बाद भी स्वास्थ्य महकमा सजग नहीं है। विभाग एक के बाद एक गलती कर सरकार की भद्द पिटवा रहा है।
इस बार बिहार में जो मामला प्रकाश में आया है वह किसी भी देश और सरकार के लिए शर्मिंदा होने के लिए काफी है। नालंदा में जिला सदर अस्पताल में मृत बच्चे का शव ले जाने के लिए उसके पिता को सरकारी एम्बुलेंस नहीं मिला, जिसकी वजह से पिता कंधे पर शव लेकर घर गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक परवलपुर थाना अंतर्गत सीतापुर गांव निवासी वीरेंद्र यादव अपने आठ वर्षीय पुत्र सागर कुमार को अचानक बुखार और पेट में दर्द की शिकायत होने पर इलाज के लिए मंगलवार सुबह नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ स्थित सदर अस्पताल लेकर आए थे। डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
वीरेंद्र यादव का आरोप है कि वह अपने मृत बच्चे को ले जाने के लिए एम्बुलेंस के लिए अस्पताल में चक्कर लगाते रहे लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराया गया। मजबूरन वह अपने बेटे के शव को कंधे पर लादकर घर ले जाने को मजबूर हुए।
Bihar: Man in Nalanda carries body of his child on his shoulders allegedly due to unavailability of an ambulance at the govt hospital. DM Nalanda, Yogendra Singh, says, "An inquiry will be conducted, if negligence is found, strict action will be taken." pic.twitter.com/TdF9rkZKST
— ANI (@ANI) June 25, 2019
वहीं इस मामले में जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने मामले की जांच का आदेश देते हुए बताया कि जांच के बाद दोषी पाए जाने वाले अस्पतालकर्मियों के खिलाफ कड़ी करवाई की जाएगी ताकि बाकी अन्य स्वास्थ्यकर्मी उससे सबक लें। यह कोई पहली घटना नहीं है कि एंबुलेंस नहीं मिला। सिंह ने कहा कि ऐसी घटना पहले भी सामने आ चुकी है।